नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) के आदेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि केवल उनके संबद्ध राज्य ईकाईयों के चुने हुए प्रतिनिधि ही आगामी चुनावों में भाग लेने के लिए अधिकृत होंगे. जस्टिस मिनी पुष्करणा की बेंच ने बीएफआई के 7 मार्च के सर्कुलर को निरस्त करने का आदेश दिया. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और बीएफआई को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी.
हाईकोर्ट ने साफ किया कि बीएफआई के चुनाव की प्रकिया जारी रहेगी और चुनाव के रिजल्ट भी जारी किए जाएंगे लेकिन ये चुनाव परिणाम कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर करेंगे. बीएफआई का चुनाव 28 मार्च को होना है. याचिका दिल्ली अमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन ने दायर की थी.
दरअसल, निर्वाची अधिकारी ने दिल्ली अमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिशन के दो प्रतिनिधियों का नाम 7 मार्च के सर्कुलर के आधार पर वोटर लिस्ट से हटा दिया था. निर्वाची अधिकारी ने हिमाचल प्रदेश बॉक्सिंग एसोसिएशन की ओर से नामांकित किए गए बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर के नाम को भी वोटर लिस्ट की सूची से हटा दिया था.
सुनवाई के दौरान दिल्ली अमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिशन की ओर से पेश वकील अभिजात और विदुश्पद सिंघानिया ने कहा कि 7 मार्च का सर्कुलर स्पोर्ट्स कोड का उल्लंघन है. ये सर्कुलर बीएफआई के नियमों का भी उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि ये सर्कुलर बीएफआई के अध्यक्ष अजय सिंह की मनमानी को दर्शाता है. याचिका में कहा गया है कि अजय सिंह ने वोटर लिस्ट में चुनिंदा लोगों को रखा है ताकि उन्हें जीत मिल सके. सुनवाई के दौरान बीएफआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दायन कृष्णन ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया एडवांस चरण में है और इस परिस्थिति में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
शब्बीर अहमद की जेल में फोन से बात करने और ई-मुलाकात की अनुमति देने की मांग पर एनआईए को नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट ने टेरर फंडिंग के आरोपी और कश्मीर के अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की तिहाड़ जेल में टेलीफोन से बात करने और ई-मुलाकात की अनुमति देने की मांग पर एनआईए को नोटिस जारी किया है. जस्टिस गिरीश कथपलिया की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 1 मई को करने का आदेश दिया.
शब्बीर शाह ने याचिका दायर कर उस सर्कुलर को चुनौती दी है जिसमें ई-मुलाकात और टेलीफोन पर बात करने के लिए जांच एजेंसी का अनापत्ति प्रमाण पत्र की जरुरत का प्रावधान किया गया है. इस सर्कुलर की वजह से शब्बीर शाह किसी से न तो टेलीफोन पर बात नहीं कर पा रहा है और न ही ई-मुलाकात की अनुमति दी जा रही है.
शब्बीर शाह को पटियाला हाउस कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग के मामले में 27 अगस्त 2024 को जमानत दी थी। शब्बीर शाह पर टेरर फंडिंग का मामला भी चल रहा है जिसमें वो न्यायिक हिरासत में है. पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को हाफिज सईद , सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.
एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तोयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगवावादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.
एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने , सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था.
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