शिमला: प्रदेश सरकार के पशु मित्र रखने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व उद्योग मंत्री और भाजपा विधायक बिक्रम सिंह ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर करारा प्रहार किया. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार हर उस वर्ग के खिलाफ काम कर रही है, जिसे सबसे अधिक सामाजिक सुरक्षा और संवैधानिक संरक्षण की जरूरत है.
बिक्रम सिंह ठाकुर ने कहा, "बीपीएल सर्वे, पंचायतों की स्वायत्तता, कर्मचारियों के हित, महिला सम्मान और जनसुविधाओं जैसे अहम मोर्चों पर सरकार ने जनविरोधी निर्णय लेकर अपना असली चेहरा उजागर किया है."
बीपीएल सूची पर सियासत का आरोप
भाजपा विधायक ने बीपीएल सूची को लेकर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि सरकार ने सूची में शामिल होने के लिए सालाना आय ₹50,000 तय की है, लेकिन यह मानक सिर्फ पहले से सूचीबद्ध परिवारों पर लागू किया जा रहा है. नए आवेदकों की आय जानबूझकर बढ़ाकर दिखाई जा रही है ताकि उन्हें सूची से बाहर रखा जा सके.
बिक्रम सिंह ठाकुर ने सवाल उठाया कि "अगर किसी गरीब परिवार को भाजपा सरकार की योजना के तहत एक पक्का कमरा मिला है, तो क्या वह अब गरीब नहीं रहा? क्या वह बीपीएल सूची में बने रहने का हकदार नहीं?"
पंचायतों के अधिकारों का हनन
बिक्रम सिंह ठाकुर ने पंचायतों की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियां खत्म करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब ग्राम सभा के निर्णयों को नजरअंदाज कर अधिकारी तय कर रहे हैं कि कौन बीपीएल सूची में होगा. पंचायत फंड का ब्याज वापस लेना, तीन दिन में खर्च न होने वाली राशि को जब्त करना और संपत्ति कर की आय छीन लेना – ये सब सरकार की पंचायत विरोधी मानसिकता को दर्शाते हैं. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि "अब पंचायत प्रधानों को नल-जल मित्रों की ट्रेनिंग फीस भरनी है, कांगड़ा महोत्सव के लिए चंदा देना है, और विकास के लिए सरकार से ठोकरें खानी हैं".
कर्मचारी वर्ग उपेक्षित
बिक्रम ठाकुर ने आरोप लगाया कि जिला परिषद कर्मचारियों के विभागीय मर्जर की घोषणा आज तक कागजों से बाहर नहीं निकली. सितंबर 2022 के बाद किसी भी कर्मचारी का नियमितिकरण नहीं हुआ. ग्राम रोजगार सेवकों को तीन महीनों से वेतन नहीं मिला, वहीं सिलाई अध्यापिकाएं, पंचायत चौकीदार और अन्य मानदेयी कर्मचारी भी कई महीनों से भुगतान की प्रतीक्षा में हैं.
"लगभग 900 चौकीदारों के पद खाली हैं। जिनके 10 साल पूरे हो गए, उन्हें दैनिक वेतनभोगी तक नहीं बनाया गया. आज प्रधान को खुद चौकीदारी करनी पड़ रही है. इससे बड़ी विडंबना पंचायती राज की नहीं हो सकती."
जनता की जेब पर बोझ
उन्होंने कहा कि पानी के बिलों की वसूली दोबारा शुरू कर दी गई है, जबकि पहले इसे बंद करने का दावा किया गया था. अब प्रधानों को बिल वसूलने का जिम्मा देकर जनता और प्रतिनिधियों के बीच टकराव की स्थिति बनाई जा रही है.
"नारी को नमन योजना को शहरी क्षेत्रों में बंद करने की तैयारी है और HRTC का न्यूनतम किराया ₹5 से बढ़ाकर ₹10 कर दिया गया है. यह सरकार की महिला और आमजन विरोधी नीति का सबूत है."
चमियाणा अस्पताल: सुविधाओं के बिना खोला सुपर स्पेशलिटी सेंटर
उन्होंने शिमला के पास स्थित चमियाणा अस्पताल को बिना तैयारी के शुरू करने पर भी सवाल उठाए. "न तो हिमकेयर योजना का लाभ मिल रहा है, न ही दवाएं उपलब्ध हैं. कोई सरकारी बस नहीं चलती और सड़कें इतनी खराब हैं कि मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है."
शराब नीति और विधायक निधि पर सवाल
240 शराब ठेकों को सरकार द्वारा स्वयं संचालित करने के फैसले को ठाकुर ने "सामाजिक सरोकारों के खिलाफ साजिश" करार दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायकों के क्षेत्रों में जनता के विरोध के बावजूद ठेके खोले गए.
साथ ही विधायक निधि पर नियंत्रण और कोषागारों को बार-बार बंद करने को विकास कार्यों में बाधा बताया."₹10,000 से ऊपर के भुगतान पर रोक और ट्रेजरी बंद रहने से ठेकेदारों को भुगतानों में देरी हो रही है."
बिक्रम ठाकुर ने कहा, "यह सरकार न गरीबों के प्रति संवेदनशील है, न कर्मचारियों, महिलाओं या युवाओं के प्रति. सारा ध्यान सत्ता, कमीशन और तानाशाही पर है. जनता अब इसे समझ चुकी है और समय आने पर जवाब देगी."
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