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नालंदा में खाजा नहीं खाया तो क्या खाया! बिहार नहीं दुनिया में फेमस है सिलाव का खाजा, जानें कहानी - BIHAR DIWAS

वैसे तो बिहार बहुत सारी अनोखी चीजों के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है, लेकिन सिलाव खाजा मिठाई की बात ही निराली है

SILAO KA KHAJA
नालंदा का सिलाव खाजा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : March 22, 2025 at 6:30 AM IST

5 Min Read

नालंदा: 22 मार्च को बिहार-दिवस मनाया जा रहा है. ऐसे मौकों पर बिहार के गौरव का बखान करते हुए लोग अक्सर इसके सुनहरे इतिहास के पन्ने पलटने लगते हैं. इस खास दिवस पर नालंदा के सिलाव की खाजा मिठाई की चर्चा के बगैर सूबे की पहचान फीका है, क्योंकि खाजा की मिठास पूरी दुनिया में मशहूर है. ऐसे नालंदा में कई दुकानें हैं लेकिन नालंदा में सिलाव के खाजा के लिए श्री काली साह की दुकान फेवरेट डेस्टिनेशन है.

खाजा को मिला है जीआई टैग: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिलाव के खाजा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उद्योग का दर्जा दिया था. जिसके बाद उद्योग विभाग के माध्यम से एक कलस्टर का निर्माण कराया गया. वहीं, अब भारत सरकार ने सिलाव के खाजा को जीआई टैग (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग) मिल चुका है.

नालंदा के सिलाव का मशहूर खाजा (ETV Bharat)

भगवान बुद्ध को भेंट की गई थी खाजा: जानकर बताते हैं कि भगवान बुद्ध कभी उस रास्ते से गुज़र रहे थे तो उन्हें किसी ने खाजा मिठाई भेंट किया था जिसे खाकर ख़ुश हुए और तारीफ़ करते हुए कहा कि इसका नाम खजूरी से बेहतर खाजा रखना चाहिए तबसे लोग इसे खाजा ही बुलाते हैं.

खाजा के बिना अधूरा है मांगलिक कार्य: दरअसल, खाजा एक ऐसी मिठाई जिसके बगैर बिहार में कोई मांगलिक कार्य संपन्न ही नहीं होता है. शादी के बाद जब नई नवेली दुल्हन अपने पिया के घर जब आती है तो अपने साथ में खाजा मिठाई जरूर लाती है और इसी खाजा को मोहल्लों में बांटा जाता है.

नालंदा का खाजा
नालंदा का खाजा (ETV Bharat)

1978 में मिली पहचान: दुकानदार संजीव गुप्ता बताते हैं कि उनके दादा 4 पीढ़ी से पहले काली शाह ने इस खाजा मिठाई की शुरुआत 250 वर्ष पहले की थी. जिसकी पहचान 1978 मोरिसस में मिठाई महोत्सव के दौरान लगे स्टॉल से हुई थी. उसके बाद यह देश विदेश तक फैलता गया. पहले इस मिठाई को 'खजूरी' नाम से जाना जाता था.

" कुरियर के साथ ऑनलाइन व्यवसाय भा शुरू हो गया है. आज इस मिठाई की ब्रांडिंग भी होने लगी है. अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर घूमने आने जाने वाले सैलानियों की पहली पसंद होती है."-संजीव गुप्ता, दुकानदार

सिलाव का खाजा तैयार करते कारीगर
सिलाव का खाजा तैयार करते कारीगर (ETV Bharat)

ऐसे बनता है 'खाजा': खाजा बनाने में मैदा, चीनी और रिफाइंड तेल का इस्तेमाल करते हैं. सबसे पहले मैदा को पानी में गूंथते हैं. फिर गूंथे मैदे को रिफाइन में फ्राई करते हैं. उसके बाद छानते हैं. फिर ट्रे पर रखकर उसके ऊपर से चीनी का पतला शीरा डालते हैं जबकि नमकीन खाजा में गूंथने के समय नमक डाल दिया जाता है. अब बिना चीनी और नमक का खाजा भी बनाए जाने लगा है.

सिलाव का खाजा
सिलाव का खाजा (ETV Bharat)

"पहले खाजा सिर्फ चीनी, मैदा, घी, इलायची और सौंफ से बनाया जाता था, लेकिन अब चीनी के अलावा नमकीन, गुड़, चॉक्लेट के वेराइटी भी शुरू हो चुकी है. जिसमें सबसे ज़्यादा डिमांड गुड़ वाले खाजा का है. नमकीन और गुड़ वाले खाजा की कीमत 300 रुपये किलो जबकि चीनी वाली 250 और चॉक्लेट वाला खाजा 700 रुपये किलो बिकता है."- धर्मेंद्र कुमार, कारीगर

सिलाव खाजा कैसा होता है?: सिलाव खाजा अपने स्वाद, कुरकुरापन और बहुस्तरीय उपस्थिति के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है. काली शाह के परिवार के सदस्य ने बताया की मूल खाजा 52 पतली आटा-चादर होती हैं जो एक दूसरे के ऊपर होती हैं. हल्के पीले रंग की मिठाई में सामग्री के रूप में गेहूं का आटा, चीनी, मैदा, घी, इलायची और सौंफ होते हैं.

सिलाव का खाजा की हाईटेक दुकान
सिलाव का खाजा की हाईटेक दुकान (ETV Bharat)

सिलाव खाजा का इतिहास: बिहार के इतिहास का अध्ययन करने से पता चलता है कि सिलाव खाजा बुद्ध काल में शुरू हुआ था, जो अभी भी जारी है. सिलाव खाजा अद्भुत कला का प्रदर्शन करता है जो इसे सभी मिठाइयों से अलग बनाता है. ऐसा माना जाता है कि काली शाह के परिवार ने खाजा की परंपरा को बरकरार रखा, आज भी इस परिवार के लोग खाजा के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.

नालंदा का खाजा की दुकानें
नालंदा का खाजा की दुकानें (ETV Bharat)

सिलाव खाजा के व्यवसाय को मिली उद्योग का दर्जा: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लंबे और अथक प्रयासों के कारण, खाजा के व्यवसाय को वर्ष 2015 में उद्योग का दर्जा मिला. सिलाव के खाजा को उद्योग का दर्ज़ा प्राप्त होने के बाद इसके व्यवसाय में वृद्धि देखी गयी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं तारीफ: बता दें कि पटना-राजगीर मार्ग पर स्थित सिलाव बाजार के करीब 200 दुकानों में एक-चौथाई दुकानें खाजा की हैं. पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने इसे रेलवे के मेन्यू में भी शामिल किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सिलाव की तारीफ कर चुके हैं.

नालंदा में सिलाव का खाजा की दुकानें
नालंदा में सिलाव का खाजा की दुकानें (ETV Bharat)

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नालंदा: 22 मार्च को बिहार-दिवस मनाया जा रहा है. ऐसे मौकों पर बिहार के गौरव का बखान करते हुए लोग अक्सर इसके सुनहरे इतिहास के पन्ने पलटने लगते हैं. इस खास दिवस पर नालंदा के सिलाव की खाजा मिठाई की चर्चा के बगैर सूबे की पहचान फीका है, क्योंकि खाजा की मिठास पूरी दुनिया में मशहूर है. ऐसे नालंदा में कई दुकानें हैं लेकिन नालंदा में सिलाव के खाजा के लिए श्री काली साह की दुकान फेवरेट डेस्टिनेशन है.

खाजा को मिला है जीआई टैग: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिलाव के खाजा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उद्योग का दर्जा दिया था. जिसके बाद उद्योग विभाग के माध्यम से एक कलस्टर का निर्माण कराया गया. वहीं, अब भारत सरकार ने सिलाव के खाजा को जीआई टैग (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग) मिल चुका है.

नालंदा के सिलाव का मशहूर खाजा (ETV Bharat)

भगवान बुद्ध को भेंट की गई थी खाजा: जानकर बताते हैं कि भगवान बुद्ध कभी उस रास्ते से गुज़र रहे थे तो उन्हें किसी ने खाजा मिठाई भेंट किया था जिसे खाकर ख़ुश हुए और तारीफ़ करते हुए कहा कि इसका नाम खजूरी से बेहतर खाजा रखना चाहिए तबसे लोग इसे खाजा ही बुलाते हैं.

खाजा के बिना अधूरा है मांगलिक कार्य: दरअसल, खाजा एक ऐसी मिठाई जिसके बगैर बिहार में कोई मांगलिक कार्य संपन्न ही नहीं होता है. शादी के बाद जब नई नवेली दुल्हन अपने पिया के घर जब आती है तो अपने साथ में खाजा मिठाई जरूर लाती है और इसी खाजा को मोहल्लों में बांटा जाता है.

नालंदा का खाजा
नालंदा का खाजा (ETV Bharat)

1978 में मिली पहचान: दुकानदार संजीव गुप्ता बताते हैं कि उनके दादा 4 पीढ़ी से पहले काली शाह ने इस खाजा मिठाई की शुरुआत 250 वर्ष पहले की थी. जिसकी पहचान 1978 मोरिसस में मिठाई महोत्सव के दौरान लगे स्टॉल से हुई थी. उसके बाद यह देश विदेश तक फैलता गया. पहले इस मिठाई को 'खजूरी' नाम से जाना जाता था.

" कुरियर के साथ ऑनलाइन व्यवसाय भा शुरू हो गया है. आज इस मिठाई की ब्रांडिंग भी होने लगी है. अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर घूमने आने जाने वाले सैलानियों की पहली पसंद होती है."-संजीव गुप्ता, दुकानदार

सिलाव का खाजा तैयार करते कारीगर
सिलाव का खाजा तैयार करते कारीगर (ETV Bharat)

ऐसे बनता है 'खाजा': खाजा बनाने में मैदा, चीनी और रिफाइंड तेल का इस्तेमाल करते हैं. सबसे पहले मैदा को पानी में गूंथते हैं. फिर गूंथे मैदे को रिफाइन में फ्राई करते हैं. उसके बाद छानते हैं. फिर ट्रे पर रखकर उसके ऊपर से चीनी का पतला शीरा डालते हैं जबकि नमकीन खाजा में गूंथने के समय नमक डाल दिया जाता है. अब बिना चीनी और नमक का खाजा भी बनाए जाने लगा है.

सिलाव का खाजा
सिलाव का खाजा (ETV Bharat)

"पहले खाजा सिर्फ चीनी, मैदा, घी, इलायची और सौंफ से बनाया जाता था, लेकिन अब चीनी के अलावा नमकीन, गुड़, चॉक्लेट के वेराइटी भी शुरू हो चुकी है. जिसमें सबसे ज़्यादा डिमांड गुड़ वाले खाजा का है. नमकीन और गुड़ वाले खाजा की कीमत 300 रुपये किलो जबकि चीनी वाली 250 और चॉक्लेट वाला खाजा 700 रुपये किलो बिकता है."- धर्मेंद्र कुमार, कारीगर

सिलाव खाजा कैसा होता है?: सिलाव खाजा अपने स्वाद, कुरकुरापन और बहुस्तरीय उपस्थिति के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है. काली शाह के परिवार के सदस्य ने बताया की मूल खाजा 52 पतली आटा-चादर होती हैं जो एक दूसरे के ऊपर होती हैं. हल्के पीले रंग की मिठाई में सामग्री के रूप में गेहूं का आटा, चीनी, मैदा, घी, इलायची और सौंफ होते हैं.

सिलाव का खाजा की हाईटेक दुकान
सिलाव का खाजा की हाईटेक दुकान (ETV Bharat)

सिलाव खाजा का इतिहास: बिहार के इतिहास का अध्ययन करने से पता चलता है कि सिलाव खाजा बुद्ध काल में शुरू हुआ था, जो अभी भी जारी है. सिलाव खाजा अद्भुत कला का प्रदर्शन करता है जो इसे सभी मिठाइयों से अलग बनाता है. ऐसा माना जाता है कि काली शाह के परिवार ने खाजा की परंपरा को बरकरार रखा, आज भी इस परिवार के लोग खाजा के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.

नालंदा का खाजा की दुकानें
नालंदा का खाजा की दुकानें (ETV Bharat)

सिलाव खाजा के व्यवसाय को मिली उद्योग का दर्जा: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लंबे और अथक प्रयासों के कारण, खाजा के व्यवसाय को वर्ष 2015 में उद्योग का दर्जा मिला. सिलाव के खाजा को उद्योग का दर्ज़ा प्राप्त होने के बाद इसके व्यवसाय में वृद्धि देखी गयी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं तारीफ: बता दें कि पटना-राजगीर मार्ग पर स्थित सिलाव बाजार के करीब 200 दुकानों में एक-चौथाई दुकानें खाजा की हैं. पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने इसे रेलवे के मेन्यू में भी शामिल किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सिलाव की तारीफ कर चुके हैं.

नालंदा में सिलाव का खाजा की दुकानें
नालंदा में सिलाव का खाजा की दुकानें (ETV Bharat)

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