पटना : कांग्रेस आला कमान ने बिहार कांग्रेस को संभालने के लिए कृष्णा को भेजा है. ठीक उसी तरह से जैसे पांडवों ने कौरवों के बीच में भगवान कृष्णा को शांति दूत बनाकर भेजा था. कृष्णा अल्लावरु बिहार कांग्रेस प्रदेश के प्रभारी बने हैं, युवा नेता है. जब वह पटना पहुंचे और कांग्रेस नेताओं से मिल रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि युवा कांग्रेस का कोई लीडर उनसे मिल रहा हो. वजह साफ थी कि बिहार कांग्रेस में दिग्गज नेताओं की इतनी बड़ी फेहरिस्त है कृष्णा अल्लावरु के हम उम्र एक भी नेता नहीं दिखे.
इसके बावजूद कृष्णा अल्लावरु जब अपना संदेश कांग्रेस नेताओं को दिया तो सभी नेताओं के चेहरे पर एक गंभीर लकीर खींच गई. बिहार कांग्रेस के नए प्रभारी ने इशारों-इशारों में यह साफ कर दिया कि अब तक कांग्रेस भले दिग्गज नेताओं के इशारों पर चलती रही हो लेकिन, अब यह कांग्रेस कृष्णा के इशारे पर चलेगी. कृष्णा जिस तरीके से घोड़ा दौड़ाएंगे उसे तरीके से कांग्रेस के नेता दौड़ेंगे.

कृष्णा अल्लावरु की पांच प्रमुख बातें:-
1. गुटबाजी नहीं चलेगी : बिहार कांग्रेस में गुटबाजी नहीं चलेगी, जो नेता गुटबाजी करते पकड़े जाएंगे या फिर गुटबाजी में शामिल रहेंगे उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा. कृष्णा अल्लावरु ने बड़े साफ शब्दों में बिहार कांग्रेस के नेताओं को चेता दिया है कि, जो नेता गुटबाजी करते हैं उससे बाज आ जाएं नहीं तो, कांग्रेस में उनके लिए दरवाजा बंद हो जाएगा उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा.
''पार्टी में कितने भी बड़े पद पर हो यदि, वह गुटबाजी करते हैं तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा. क्योंकि हम लोग एक बड़ी लड़ाई लड़ने जा रहे हैं.''- कृष्णा अल्लावरु, बिहार कांग्रेस प्रभारी
2. सदाकत आश्रम का चक्कर नहीं काटना : कृष्णा अल्लावरु ने बहुत ही कड़े शब्दों में यह कहा है कि बिहार में 'गणेश परिक्रमा' नहीं चलेगी. उन्होंने अपने सभी नेताओं को बताया कि आपको सदाकत आश्रम पटना में या फिर दिल्ली में बार-बार दौड़ लगाने की जरूरत नहीं है. यदि आप कांग्रेस के नेता हैं तो आपको फील्ड में उतरना होगा. अपने क्षेत्र में काम दिखाना होगा. तभी आपके लिए कांग्रेस में जगह बन सकती है.
3. रेस में दौड़ने वालों पर दांव लगाएंगे : टिकट बंटवारे पर कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि राहुल गांधी ने कहा है कि हम 'रेस के घोड़े को शादी में लगा देते हैं और शादी के घोड़े को रेस में दौड़ाते हैं.' यानी कि यह साफ है कि जो मेहनत कर रहे हैं उनको टिकट नहीं दे रहे हैं, पद नहीं दे रहे हैं और जो मेहनत नहीं कर रहे हैं, उनको टिकट मिल जा रही है. अब से जो दौड़ेंगे वही जीतेंगे और यह दौड़ सदाकत आश्रम में नहीं लगेगी, यह दौड़ मैदान में लगेगी. जो दौड़ेगा उसी को पार्टी में मान-सम्मान-प्रतिष्ठा मिलेगी.
4. सिर्फ लड़ने के लिए लड़ाई नहीं लड़ेंगे : कृष्णा अल्लावरु ने बिहार कांग्रेस के नेताओं को स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम जो लड़ाई लड़ने जा रहे हैं, वह लड़ाई जीतने के लिए लड़ रहे हैं. सिर्फ लड़ने के लिए लड़ाई नहीं लड़ेंगे. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से इस बात को भी दोहराया कि वह लड़ेंगे और जीतेंगे.
कृष्णा अल्लावरु ने पार्टी में अनुशासन को लेकर साफ संदेश दिया कि हर परिवार में अनबन होती है, मतभेद होता है, लेकिन मनभेद नहीं करना है. टिकट बंटवारे पर भी उन्होंने साफ कहा कि जो पार्टी आला कमान निर्णय लेगी वह अपने कार्यकर्ताओं के पक्ष में लेगी. किसी भी तरह से जो कार्यकर्ता मेहनत करेंगे उन्हें सम्मान दिया जाएगा.

5. मैदान में ही होगी मुलाकात : बिहार कांग्रेस प्रभारी ने अपने नेताओं से यह स्पष्ट कह दिया कि अब मुलाकात मैदान में ही होगी. सदाकत आश्रम में वह नहीं मिलेंगे. दिल्ली में भी उनकी मुलाकात नहीं होगी. जो नेता या कार्यकर्ता मैदान में दिखेंगे उन्हीं को कांग्रेस का सही वर्कर माना जाएगा. लोकसभा या विधानसभा का रास्ता गांव- पंचायत से जाता है, वहां जाना होगा.
''मैं भी सदाकत आश्रम में बैठने नहीं आया हूं. आप सबके साथ मिलकर मैदान में हम लोग काम करेंगे, तभी जीतेंगे.''- कृष्णा अल्लावरु, बिहार कांग्रेस प्रभारी
'गुटबाजी से पार्टी को नुकसान होता है' : कृष्णा अल्लावरु जोशीले भाषण के बाद कार्यकर्ताओं और नेताओं के मन में एक विश्वास जगी है. कांग्रेस के नेता यह मानते हैं कि बिहार कांग्रेस में जो गुटबाजी चल रही है उसका पटाक्षेप हो जाएगा. बिहार कांग्रेस के नेता ने कहा कि गुटबाजी तो है उसको खत्म करनी चाहिए. इससे पार्टी का नुकसान होता है.
''कुछ लोग समझते हैं कि सदाकत आश्रम घूमते रहो, दिल्ली चले जाओ, नेताओं के पीछे लगे रहो तो, ऐसा नहीं चलेगा. प्रभारी ने साफ तौर पर कहा है कि गांव में जाना होगा. पंचायत में जाना होगा. पार्टी को नए जोश के साथ काम करना है. उन्होंने साथ तौर पर कहा है कि जो काम करेंगे उनको तरजीह मिलेगी.''- प्रेमचंद मिश्रा, बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता
'कृष्णा कार्यकर्ताओं के लिए लड़ेंगे' : वहीं कांग्रेस नेत्री डॉ मधुबाला ने कहा कि बिहार के लिए यह आवश्यक था कि एक ऐसे जोशीले प्रभारी के तौर पर नेता मिले. यह सौभाग्य की बात है. एक तरह से उन्होंने चेतावनी भी दी है बड़ी लड़ाई लड़नी है तो मिल कर रहो, लड़ेंगे तभी जीतेंगे. भेदभाव कलह को दरकिनार करके लड़ाई लड़नी होगी. परिक्रमा करने की जो परंपरा चल निकली थी, उसको छोड़ना होगा और अपने क्षेत्र में जाना होगा. यह बहुत ही अच्छी बात है.
'कांग्रेस में गुटबाजी खत्म करना बड़ी चुनौती' : कांग्रेस के नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को लेकर वरिष्ठ पत्रकार कुमार राघवेंद्र बताते हैं कि कृष्णा अल्लावरु राहुल गांधी की कोर कमेटी के सदस्य हैं. यह दक्षिण भारत के रहने वाले हैं लेकिन, उनकी राजनीतिक क्षमता काफी अधिक है. कांग्रेस के तेज तर्रार नेताओं में गिने जाते हैं लेकिन, उनके सामने बिहार में कई चुनौतियां हैं. जिसको लेकर काम करना होगा.
''पहली चुनौती, उनके लिए कांग्रेस के अंदर जो घमासान मचा हुआ है. जो तीन-चार गुट में लोग बंटे हुए हैं, उसको खत्म करना होगा. उत्तर बिहार के नेता अलग राजनीति कर रहे हैं. दक्षिण बिहार के नेता अलग राजनीति कर रहे हैं. सीमांचल के नेता की अलग राजनीति है. इन तमाम गुट के नेताओं को एकजुट करना होगा, तभी बिहार में कांग्रेस बेहतर करने की सोच सकती है.''- कुमार राघवेंद्र, वरिष्ठ पत्रकार
गठबंधन के सामने मजबूती दिखानी होगी : कुमार राघवेंद्र बताते हैं कि यदि कांग्रेस में गुटबाजी खत्म कर लेते हैं, उसके बाद कृष्णा अल्लावरु के सामने अपने घटक दल यानी कि गठबंधन के दलों के सामने अपनी मजबूत स्थिति पेश करनी होगी. जैसा कि हम लोग लगातार देखते रहे हैं कि राजद के तरफ से उन्हीं सीटों पर कांग्रेस को ऑफर किया जाता है जो उनके लिए कमजोर हो. यह अलग बात है कि उसमें से कुछ सीटें कांग्रेस जरूर जीत जाती है.
''बिहार के विधानसभा या लोकसभा में सीटों के बंटवारे पर पहला हक आरजेडी का होता है. राजद के बाद जो सीट बचती है उसमें कांग्रेस को मैनेज करना होता है. कृष्णा अल्लावरु के सामने अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को मजबूत रखने के लिए राजद के सामने एक बड़ा प्रस्ताव रखना होगा. पिक एंड चूज का एक विकल्प रखना होगा. उसके बाद बिहार में कांग्रेस की स्थिति ठीक-ठाक हो पाएगी और जब यह तमाम चीज निपट जाएगी, उसके बाद उनको क्षेत्र में काम करना होगा और एनडीए के साथ मजबूती से चुनाव लड़ना होगा.''- कुमार राघवेंद्र, वरिष्ठ पत्रकार
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