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कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन है सॉल्यूशन का पता नहीं, बैठकें तो बहुत हुई CM कैंडिडेट तय नहीं - BIHAR ASSEMBLY ELECTIONS 2025

महागठबंधन में सीएम कैंडिडेट को लेकर थ्री ईडियट्स का 'कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन है' वाला गाना याद आता है. पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट.

Bihar Assembly Elections 2025
महागठबंधन पर रिपोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : April 16, 2025 at 5:35 PM IST

8 Min Read

पटना: मंगलवार को महागठबंधन की बैठक के बाद तेजस्वी यादव का बयान बदला बदला नजर आया. कभी खुद को सीएम कैंडिडेट घोषित करने वाले तेजस्वी यादव अपने बयान से पलट गए. उन्होंने कहा कि 17 अप्रैल को इसपर विचार किया जाएगा. तेजस्वी यादव के बयान से समर्थकों की चिंता बढ़ गयी है कि महागठबंधन का सीएम कैंडिडेट कौन होगा?

महागठबंधन में कंफ्यूजन: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला लिया है, लेकिन विपक्ष में कौन चेहरा होगा अभी तक तय नहीं है. आपको बता दें कि 2020 और 2024 में बिहार में महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार सस्पेंस बना हुआ है.

महागठबंधन पर रिपोर्ट (ETV Bharat)

कांग्रेस नेता साफ कह रहे हैं कि जब सहमति बनेगी तो हमलोग नाम की घोषणा करेंगे. ऐसे महागठबंधन ने 17 अप्रैल को बैठक बुलाई है. राजनीतिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि तेजस्वी के अलावा विकल्प क्या है? 17 अप्रैल की बैठक में तय हो जाएगा..

राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे कहते हैं कि बिहार में दो ही धुरी के बीच लड़ाई होनी है. नीतीश के सामने तेजस्वी ही होंगे क्योंकि महागठबंधन के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है. कांग्रेस की छटपटाहट है और यह सब कुछ सीट की पैतरेबाजी है. 17 तारीख को घोषणा हो सकती है.

"महागठबंधन में दो धूरी है. इसी के बीच लड़ाई होगी.15 अप्रैल को दिल्ली की बैठक में कांग्रेस ने तय कर ली है कि राजद के साथ चुनाव लड़ेगी. राजद में तेजस्वी यादव नेता हैं. पिछले चुनाव में भी तेजस्वी सीएम कैंडिडेट चेहरा थे. चुनाव के पहले कांग्रेस सीट को लेकर सौदेबाजी करती है. कांग्रेस का बिहार में कोई गुंजाइश नहीं है. उसे अभी खोई हुई जमीन चाहिए. राजद तो बिहार का नेतृत्व कर रही है जैसे यूपी में अखिलेश यादव कर रहे हैं. सीएम कैंडिडेट पर 17 को घोषणा हो जाएगी." -अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

Bihar Assembly Elections 2025
अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ (ETV Bharat)

कांग्रेस के नेता बढ़ा रहे सस्पेंस: सीएम उम्मीदवार के चेहरे पर सस्पेंस बना हुआ है. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और एमएलसी मदन मोहन झा कह रहे हैं अभी तो एनडीए में भी तय नहीं हुआ है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के चेहरा हैं. उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बनाए जाएंगे यह किसी ने नहीं बोल रहा है.

हम लोगों के यहां सब की सहमति से फैसला होगा. जो बड़े दल हैं उनकी भी सहमति होगी. लेकिन ऐलान आला कमान ही करेंगे. हर पार्टी की इच्छा होती है कि उसे अधिक सीट मिले, उसके अधिक MLA हो और उसके दल के ही मुख्यमंत्री हो तो यह कोई गलत बात नहीं है. 2020 में तेजस्वी यादव बिहार में महागठबंधन के चेहरा थे. इस पर मदन मोहन झ ने कहा 2020 की बात नहीं हुई, लेकिन 2025 में सब मिल तय करेंगे.

"अभी तो नीतीश कुमार भी सीएम का चेहरा नहीं हैं तो महागठबंधन से सीएम का चेहरा देने का सवाल ही नहीं उठता है. कोई किसी के नेतृत्व में चुनाव लड़ सकते हैं. इसमें सीएम कैंडिडेट कहां से आ गया. इसपर बैठक में बड़े नेता विचार करेंगे." -मदन मोहन झा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस

Bihar Assembly Elections 2025
मदन मोहन झा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस (ETV Bharat)

'तेजस्वी जनता की पसंद': आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि तेजस्वी यादव बिहार की जनता की चाहत. यह हम लोगों को कहने की जरूरत नहीं है. बिहार की आवाम, युवा और महिलाएं से पूछ सकते हैं. सभी की पसंद तेजस्वी हैं. तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष है, उनके नेतृत्व में ही 2024 लोकसभा का चुनाव लड़ा गया, 2020 विधानसभा का चुनाव लड़ा गया. कांग्रेस क्यों नहीं तैयार हो रही है? इस पर आरजेडी प्रवक्ता का कहना है कि सब तैयार है.

"तेजस्वी यादव बिहार की जनता के पसंद हैं. आवाम, नौजवान और महिला भी चाहती है कि तेजस्वी यादव सीएम बनेंगे. 17 अप्रैल को बैठक होगा जिसमें कई तरह के फैसले लिए जाएंगे. सभी दल के नेता इसमें शामिल होंगे." -एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता

Bihar Assembly Elections 2025
एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता (ETV Bharat)

तेजस्वी के लिए मुश्किल: दिल्ली चुनाव में राजद ने अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया था जो कांग्रेस को नाराज कर दिया. उससे पहले ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का नेता बनाने को लेकर लालू प्रसाद यादव का बयान भी कांग्रेस और राहुल गांधी को पसंद नहीं आया था. कन्हैया को लेकर भी कांग्रेस इस बार समझौता करने के लिए तैयार नहीं है. सीट बंटवारे में अधिक सीट और डिप्टी सीएम जैसे पद को लेकर भी कांग्रेस का दबाव है.

तेजस्वी यादव के पक्ष में बात: कांग्रेस को छोड़कर अन्य घटक दल तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा मान रहे हैं. वाम दलों का तो यहां तक कहना रहा है कि कांग्रेस को कम सीट मिलना चाहिए. 2020 में कांग्रेस के कारण ही सरकार नहीं बन पाई. वीआईपी भी अपने लिए अधिक सीट चाहती है. डिप्टी सीएम का पद भी है लेकिन तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा मानती रही है. तेजस्वी यादव के पक्ष में यादव का 14% बड़ा वोट बैंक है. मुस्लिम वोट बैंक भी साथ है.

राजनीति के जानकार कहते हैं नीतीश कुमार के सामने यदि तेजस्वी यादव को चेहरा नहीं बनाया गया तो महागठबंधन की एक जुटता पर भी असर पड़ सकता है. और सवाल यह भी है कि तेजस्वी यादव नहीं होंगे तो दूसरा कौन होगा?

पिछले दो चुनाव का स्ट्राइक रेट: पिछले दो चुनाव की बात करें तो राजद आगे रही है. 2020 में आरजेडी 144 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें 75 सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी और 19 पर जीती है. वाम दल 29 सीटों पर लड़े थे और 16 पर जीत मिली थी. आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

2020 में पांच दल महागठबंधन में थे, लेकिन इस बार वीआईपी भी महागठबंधन में शामिल है. इसलिए दलों की संख्या 7 हो सकती है. यदि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी भी शामिल होती है तो बात अलग हो जाएगी.

बिहार में पिछले दो विधानसभा चुनाव की बात करें तो आरजेडी का स्ट्राइक रेट कांग्रेस से अधिक रहा है. 2015 के विधानसभा चुनाव में भी राजद ने 101 सीटों पर चुनाव लड़कर 80 सीट जीती थी. लगभग 80% स्ट्राइक रेट रहा. कांग्रेस 41 सीटों पर चुनाव लड़कर 27 सीटों पर जीत हासिल की थी. 65% स्ट्राइक रेट रहा था.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

2020 में राजद 144 सीटों पर चुनाव लड़कर 75 सीट पाया 52% स्ट्राइक रेट रहा. कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़कर 19 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी. 30% से भी कम स्ट्राइक रेट रहा. कांग्रेस से बेहतर वाम दलों का स्ट्राइक रेट रहा. इसलिए राजद के साथ वाम दलों का भी कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है.

लालू को कन्हैया से खतरा: पिछले कुछ महीनो में कांग्रेस के लिए गए फैसलों से राजद की परेशानी बढ़ी है. पहले लालू यादव के खास माने जाने वाले अखिलेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया. पार्टी के पुराने नेता राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी दी गई है. फिर प्रभारी कृष्ण अल्लावरु को बिहार भेजा गया. कन्हैया को तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव ने 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार में आने नहीं दिया.

बिहार में मजबूत हो रहे कन्हैया: कन्हैया को दिल्ली से चुनाव लड़ना पड़ा, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले कन्हैया ने बिहार में पदयात्रा कर साफ मैसेज दिया है इस बार मजबूती से चुनाव में रहेंगे. कन्हैया ने पदयात्रा भी पलायन रोको और नौकरी दो की. तेजस्वी यादव का यह बड़ा मुदा रहा है. पदयात्रा में कांग्रेस के दिग्गज सचिन पायलट ने चुनाव के बाद मुख्यमंत्री तय करने की बात कही. यह राजद के लिए और मुश्किल बन गया है.

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महागठबंधन में कंफ्यूजन: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला लिया है, लेकिन विपक्ष में कौन चेहरा होगा अभी तक तय नहीं है. आपको बता दें कि 2020 और 2024 में बिहार में महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार सस्पेंस बना हुआ है.

महागठबंधन पर रिपोर्ट (ETV Bharat)

कांग्रेस नेता साफ कह रहे हैं कि जब सहमति बनेगी तो हमलोग नाम की घोषणा करेंगे. ऐसे महागठबंधन ने 17 अप्रैल को बैठक बुलाई है. राजनीतिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि तेजस्वी के अलावा विकल्प क्या है? 17 अप्रैल की बैठक में तय हो जाएगा..

राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे कहते हैं कि बिहार में दो ही धुरी के बीच लड़ाई होनी है. नीतीश के सामने तेजस्वी ही होंगे क्योंकि महागठबंधन के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है. कांग्रेस की छटपटाहट है और यह सब कुछ सीट की पैतरेबाजी है. 17 तारीख को घोषणा हो सकती है.

"महागठबंधन में दो धूरी है. इसी के बीच लड़ाई होगी.15 अप्रैल को दिल्ली की बैठक में कांग्रेस ने तय कर ली है कि राजद के साथ चुनाव लड़ेगी. राजद में तेजस्वी यादव नेता हैं. पिछले चुनाव में भी तेजस्वी सीएम कैंडिडेट चेहरा थे. चुनाव के पहले कांग्रेस सीट को लेकर सौदेबाजी करती है. कांग्रेस का बिहार में कोई गुंजाइश नहीं है. उसे अभी खोई हुई जमीन चाहिए. राजद तो बिहार का नेतृत्व कर रही है जैसे यूपी में अखिलेश यादव कर रहे हैं. सीएम कैंडिडेट पर 17 को घोषणा हो जाएगी." -अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

Bihar Assembly Elections 2025
अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ (ETV Bharat)

कांग्रेस के नेता बढ़ा रहे सस्पेंस: सीएम उम्मीदवार के चेहरे पर सस्पेंस बना हुआ है. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और एमएलसी मदन मोहन झा कह रहे हैं अभी तो एनडीए में भी तय नहीं हुआ है कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के चेहरा हैं. उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बनाए जाएंगे यह किसी ने नहीं बोल रहा है.

हम लोगों के यहां सब की सहमति से फैसला होगा. जो बड़े दल हैं उनकी भी सहमति होगी. लेकिन ऐलान आला कमान ही करेंगे. हर पार्टी की इच्छा होती है कि उसे अधिक सीट मिले, उसके अधिक MLA हो और उसके दल के ही मुख्यमंत्री हो तो यह कोई गलत बात नहीं है. 2020 में तेजस्वी यादव बिहार में महागठबंधन के चेहरा थे. इस पर मदन मोहन झ ने कहा 2020 की बात नहीं हुई, लेकिन 2025 में सब मिल तय करेंगे.

"अभी तो नीतीश कुमार भी सीएम का चेहरा नहीं हैं तो महागठबंधन से सीएम का चेहरा देने का सवाल ही नहीं उठता है. कोई किसी के नेतृत्व में चुनाव लड़ सकते हैं. इसमें सीएम कैंडिडेट कहां से आ गया. इसपर बैठक में बड़े नेता विचार करेंगे." -मदन मोहन झा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस

Bihar Assembly Elections 2025
मदन मोहन झा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस (ETV Bharat)

'तेजस्वी जनता की पसंद': आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि तेजस्वी यादव बिहार की जनता की चाहत. यह हम लोगों को कहने की जरूरत नहीं है. बिहार की आवाम, युवा और महिलाएं से पूछ सकते हैं. सभी की पसंद तेजस्वी हैं. तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष है, उनके नेतृत्व में ही 2024 लोकसभा का चुनाव लड़ा गया, 2020 विधानसभा का चुनाव लड़ा गया. कांग्रेस क्यों नहीं तैयार हो रही है? इस पर आरजेडी प्रवक्ता का कहना है कि सब तैयार है.

"तेजस्वी यादव बिहार की जनता के पसंद हैं. आवाम, नौजवान और महिला भी चाहती है कि तेजस्वी यादव सीएम बनेंगे. 17 अप्रैल को बैठक होगा जिसमें कई तरह के फैसले लिए जाएंगे. सभी दल के नेता इसमें शामिल होंगे." -एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता

Bihar Assembly Elections 2025
एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता (ETV Bharat)

तेजस्वी के लिए मुश्किल: दिल्ली चुनाव में राजद ने अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया था जो कांग्रेस को नाराज कर दिया. उससे पहले ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का नेता बनाने को लेकर लालू प्रसाद यादव का बयान भी कांग्रेस और राहुल गांधी को पसंद नहीं आया था. कन्हैया को लेकर भी कांग्रेस इस बार समझौता करने के लिए तैयार नहीं है. सीट बंटवारे में अधिक सीट और डिप्टी सीएम जैसे पद को लेकर भी कांग्रेस का दबाव है.

तेजस्वी यादव के पक्ष में बात: कांग्रेस को छोड़कर अन्य घटक दल तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा मान रहे हैं. वाम दलों का तो यहां तक कहना रहा है कि कांग्रेस को कम सीट मिलना चाहिए. 2020 में कांग्रेस के कारण ही सरकार नहीं बन पाई. वीआईपी भी अपने लिए अधिक सीट चाहती है. डिप्टी सीएम का पद भी है लेकिन तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा मानती रही है. तेजस्वी यादव के पक्ष में यादव का 14% बड़ा वोट बैंक है. मुस्लिम वोट बैंक भी साथ है.

राजनीति के जानकार कहते हैं नीतीश कुमार के सामने यदि तेजस्वी यादव को चेहरा नहीं बनाया गया तो महागठबंधन की एक जुटता पर भी असर पड़ सकता है. और सवाल यह भी है कि तेजस्वी यादव नहीं होंगे तो दूसरा कौन होगा?

पिछले दो चुनाव का स्ट्राइक रेट: पिछले दो चुनाव की बात करें तो राजद आगे रही है. 2020 में आरजेडी 144 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जिसमें 75 सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी और 19 पर जीती है. वाम दल 29 सीटों पर लड़े थे और 16 पर जीत मिली थी. आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

2020 में पांच दल महागठबंधन में थे, लेकिन इस बार वीआईपी भी महागठबंधन में शामिल है. इसलिए दलों की संख्या 7 हो सकती है. यदि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी भी शामिल होती है तो बात अलग हो जाएगी.

बिहार में पिछले दो विधानसभा चुनाव की बात करें तो आरजेडी का स्ट्राइक रेट कांग्रेस से अधिक रहा है. 2015 के विधानसभा चुनाव में भी राजद ने 101 सीटों पर चुनाव लड़कर 80 सीट जीती थी. लगभग 80% स्ट्राइक रेट रहा. कांग्रेस 41 सीटों पर चुनाव लड़कर 27 सीटों पर जीत हासिल की थी. 65% स्ट्राइक रेट रहा था.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

2020 में राजद 144 सीटों पर चुनाव लड़कर 75 सीट पाया 52% स्ट्राइक रेट रहा. कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़कर 19 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी. 30% से भी कम स्ट्राइक रेट रहा. कांग्रेस से बेहतर वाम दलों का स्ट्राइक रेट रहा. इसलिए राजद के साथ वाम दलों का भी कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है.

लालू को कन्हैया से खतरा: पिछले कुछ महीनो में कांग्रेस के लिए गए फैसलों से राजद की परेशानी बढ़ी है. पहले लालू यादव के खास माने जाने वाले अखिलेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया. पार्टी के पुराने नेता राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी दी गई है. फिर प्रभारी कृष्ण अल्लावरु को बिहार भेजा गया. कन्हैया को तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव ने 2024 लोकसभा चुनाव में बिहार में आने नहीं दिया.

बिहार में मजबूत हो रहे कन्हैया: कन्हैया को दिल्ली से चुनाव लड़ना पड़ा, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले कन्हैया ने बिहार में पदयात्रा कर साफ मैसेज दिया है इस बार मजबूती से चुनाव में रहेंगे. कन्हैया ने पदयात्रा भी पलायन रोको और नौकरी दो की. तेजस्वी यादव का यह बड़ा मुदा रहा है. पदयात्रा में कांग्रेस के दिग्गज सचिन पायलट ने चुनाव के बाद मुख्यमंत्री तय करने की बात कही. यह राजद के लिए और मुश्किल बन गया है.

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