प्रयागराज: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल अस्पताल के एक टेंडर में अनियमितता मामले में आरोपी मनोज कुमार शाह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल सकी. कोर्ट ने लंका थाने में दर्ज धोखाधड़ी के मुकदमे को रद करने की मांग में दाखिल याचिका उनके अधिवक्ता द्वारा वापस लिए जाने की मांग स्वीकार करते हुए खारिज कर दी.
यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी व न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने मनोज कुमार शाह की याचिका पर दिया. वाराणसी के लंका थाने में बीएचयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. कैलाश कुमार, डॉ. एएनडी द्विवेदी, रश्मि रंजन और पल्स डायग्नोस्टिक के एमडी मनोज कुमार शाह व निदेशक सुनैना बिहानी के खिलाफ 19 मार्च 2025 को एसीजेएम कोर्ट के आदेश पर पर धोखाधड़ी में मुकदमा दर्ज किया गया था.
शिकायतकर्ता डॉ. उदयभान सिंह ने प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया था कि बीएचयू अस्पताल की ओर से छह अगस्त 2024 को पीपीपी मोड पर डायग्नोस्टिक इमेजिंग सेवाओं के संचालन व अन्य कार्य के टेंडर जारी किया गया था. याची ने फर्जी जीएसटी नंबर का इस्तेमाल अन्य आरोपियों की मिलीभगत से टेंडर प्राप्त कर लिया.
जबकि टेंडर की शर्त थी कि आवेदन की तिथि तक आवेदक के पास सभी अहर्ताएं होनी चाहिए. डायग्नोस्टिक के एमडी मनोज कुमार शाह ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर दर्ज मुकदमे का रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की.
कोर्ट ने कहा प्रथम दृष्या याची के पास जीएसटी नंबर नहीं था. उसने टेंडर में जीएसटी आवेदन के नंबर का इस्तेमाल किया. इसके बाद याची के अधिवक्ता ने याचिका वापस लेने की प्रार्थना की जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.
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