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कोरोना काल में 'अमृत' बने रेमडेसिवर इंजेक्शन खरीद में 17 करोड़ का घोटाला! - BHOPAL REMDESIVIR INJECTIONS

भोपाल के सरकारी गोडाउन में रखे 1.33 लाख रेमडेसिवर इंजेक्शन एक्सपायर. खुलासा होते ही आरोपों का दौर शुरू.

Bhopal Remdesivir injections
भोपाल में रखे 1.33 लाख रेमडेसिवर इंजेक्शन एक्सपायर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : April 12, 2025 at 4:34 PM IST

3 Min Read

भोपाल: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिवर इंजेक्शन अमृत के समान हो गया था. इस इंजेक्शन के लिए लोगों ने मुंहमांगी कीमत तो अदा की ही थी, इससे पहले इसे पाने की ऊंची पहुंच भी जरूरी थी. आम दिनों में 1000 से 1500 रुपये में मिलने वाले इस इंजेक्शन की कीमतें उस समय बेशकीमती हो गई थीं. कुछ लोगों ने इस इंजेक्शन की दलाली कर बेतहाशा कमाई की थी. लेकिन जैसे ही कोरोना की लहर खत्म हुई तो इस इजेक्शन को कोई पूछने वाला नहीं मिला.

भोपाल के निशातपुरा में रखा था स्टॉक

बाद में इन इंजेक्शन की बड़ी खेप को सरकारी गोदामों में स्टॉक कर दिया गया. अब पता चला है कि भोपाल के एक सरकारी गोदाम में रखे 1.33 लाख रेमडेसिवर इंजेक्शन एक्सपायर हो गए हैं. इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला व विभाग के अन्य अधिकारियों से की गई है. मामले के अनुसार भोपाल के निशातपुरा स्थित सेन्ट्रल वेयर हाउस कार्पोरेशन के गोडाउन में 17 करोड़ रुपये के रेमडेसिवर एक्सपायर हो गए. आरोप है कि ये दवाएं एक्सपायर ही खरीदी गईं. इस प्रकार ये बड़ा घोटाला है.

Bhopal Remdesivir injections
भोपाल के निशातपुरा में रखा था रेमडेसिवर इंजेक्शन का स्टॉक (ETV BHARAT)

पीएम और सीएम से की शिकायत

सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप खंडेलवाल ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर शिकायत की है. इसके अलावा मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के साथ स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को भी ई-मेल के माध्यम से शिकायत की गई है. खंडेलवाल का आरोप है "वेयरहाउस में दवाएं एक्सपायर नहीं हुई, बल्कि दवा कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने ही करोड़ों रुपये की एक्सपायर दवाएं खरीदी थीं. इसका भुगतान भी किया जा चुका है. रेमडेसिवर समेत अनय दवाओं को एक्सपायर हुए 3 साल बीत गए, लेकिन इसे डिस्पोज करने की बजाय हर साल 6 लाख रुपये वेयर हाउस का किराया भी 3 साल तक चुकाया गया. इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, जिससे घोटाला सामने आ सके."

25 से 30 ट्रक एक्सपायर दवाएं नष्ट कराईं

खंडेलवाल ने बताया "सेन्ट्रल वेयर हाउस कार्पोरेशन के गोडाउन में 17 करोड़ रुपये के 1.33 लाख रेमडेसिवर, करीब 24 लाख रुपये की 3 हजार स्ट्रिप टैबलेट, 30 लाख रुपये की 10 हजार से अधिक पीपीई किट समेत 25 से 30 ट्रक अन्य सामान करीब 3 साल से पड़ा हुआ है, जिसे अब नष्ट कराया गया है. इससे समझ में आता है कि इन दवाओं की जरूरत नहीं थी. ये केवल चहेती कंपनियों को उपकृत करने के लिए खरीदी गई. यदि इन दवाओं की आवश्यकता थी, तो फिर मरीजों तक क्यों नहीं पहुंची."

दवा खरीदी की ओट में घोटाले की बात नकारी

इस मामले में मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ मिशन के एमडी मयंक अग्रवाल का कहना है "ये दवाएं एमपी सरकार ने नहीं खरीदी. बल्कि ये दवाएं डोनेशन के रूप में पब्लिक हेल्थ कार्पोशन को गरीब और जरुरतमंद मरीजों के लिए मिली थी. चूंकि बाद में लोगों को रेमडेसिवर की जरूरत नहीं थी, इसलिए उन्हें गोडाउन में रखा गया, जो एक्सपायर हो गए."

भोपाल: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिवर इंजेक्शन अमृत के समान हो गया था. इस इंजेक्शन के लिए लोगों ने मुंहमांगी कीमत तो अदा की ही थी, इससे पहले इसे पाने की ऊंची पहुंच भी जरूरी थी. आम दिनों में 1000 से 1500 रुपये में मिलने वाले इस इंजेक्शन की कीमतें उस समय बेशकीमती हो गई थीं. कुछ लोगों ने इस इंजेक्शन की दलाली कर बेतहाशा कमाई की थी. लेकिन जैसे ही कोरोना की लहर खत्म हुई तो इस इजेक्शन को कोई पूछने वाला नहीं मिला.

भोपाल के निशातपुरा में रखा था स्टॉक

बाद में इन इंजेक्शन की बड़ी खेप को सरकारी गोदामों में स्टॉक कर दिया गया. अब पता चला है कि भोपाल के एक सरकारी गोदाम में रखे 1.33 लाख रेमडेसिवर इंजेक्शन एक्सपायर हो गए हैं. इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला व विभाग के अन्य अधिकारियों से की गई है. मामले के अनुसार भोपाल के निशातपुरा स्थित सेन्ट्रल वेयर हाउस कार्पोरेशन के गोडाउन में 17 करोड़ रुपये के रेमडेसिवर एक्सपायर हो गए. आरोप है कि ये दवाएं एक्सपायर ही खरीदी गईं. इस प्रकार ये बड़ा घोटाला है.

Bhopal Remdesivir injections
भोपाल के निशातपुरा में रखा था रेमडेसिवर इंजेक्शन का स्टॉक (ETV BHARAT)

पीएम और सीएम से की शिकायत

सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप खंडेलवाल ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर शिकायत की है. इसके अलावा मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के साथ स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को भी ई-मेल के माध्यम से शिकायत की गई है. खंडेलवाल का आरोप है "वेयरहाउस में दवाएं एक्सपायर नहीं हुई, बल्कि दवा कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने ही करोड़ों रुपये की एक्सपायर दवाएं खरीदी थीं. इसका भुगतान भी किया जा चुका है. रेमडेसिवर समेत अनय दवाओं को एक्सपायर हुए 3 साल बीत गए, लेकिन इसे डिस्पोज करने की बजाय हर साल 6 लाख रुपये वेयर हाउस का किराया भी 3 साल तक चुकाया गया. इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, जिससे घोटाला सामने आ सके."

25 से 30 ट्रक एक्सपायर दवाएं नष्ट कराईं

खंडेलवाल ने बताया "सेन्ट्रल वेयर हाउस कार्पोरेशन के गोडाउन में 17 करोड़ रुपये के 1.33 लाख रेमडेसिवर, करीब 24 लाख रुपये की 3 हजार स्ट्रिप टैबलेट, 30 लाख रुपये की 10 हजार से अधिक पीपीई किट समेत 25 से 30 ट्रक अन्य सामान करीब 3 साल से पड़ा हुआ है, जिसे अब नष्ट कराया गया है. इससे समझ में आता है कि इन दवाओं की जरूरत नहीं थी. ये केवल चहेती कंपनियों को उपकृत करने के लिए खरीदी गई. यदि इन दवाओं की आवश्यकता थी, तो फिर मरीजों तक क्यों नहीं पहुंची."

दवा खरीदी की ओट में घोटाले की बात नकारी

इस मामले में मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ मिशन के एमडी मयंक अग्रवाल का कहना है "ये दवाएं एमपी सरकार ने नहीं खरीदी. बल्कि ये दवाएं डोनेशन के रूप में पब्लिक हेल्थ कार्पोशन को गरीब और जरुरतमंद मरीजों के लिए मिली थी. चूंकि बाद में लोगों को रेमडेसिवर की जरूरत नहीं थी, इसलिए उन्हें गोडाउन में रखा गया, जो एक्सपायर हो गए."

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