भोपाल: पेंटिंग तो कई देखी होंगी, लेकिन क्या आपने एक पेंटिंग के अंदर 4 हजार 359 चेहरे देखें हैं? ऐसी ही पेंटिंग जबलपुर के चित्रकार रामकृपाल नामदेव ने तैयार की है. स्वर कोकिला लता मंगेशकर की इस पेंटिंग में लताजी के 4 हजार 359 चेहरे समाए हुए हैं. रामकृपाल नामदेव ने लताजी पर आधारित 42 चित्रों को भोपाल के भारत भवन में प्रदर्शित किया है. इनमें से एक पेंटिंग को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्र्ड्स में शामिल किया जा चुका है. वे बताते हैं कि 2014 में उन्हें अपनी पेंटिंग लता दीदी को दिखाने का मौका मिला. मुलाकात में दीदी की सादगी देख मैं इतना प्रभावित हुआ कि उनकी पेंटिंग बनाना शुरू कर दिया.
11 महीने लगे एक पेंटिंग तैयार करने में, रिकॉर्ड दर्ज
जबलपुर के रहने वाले रामकृपाल नामदेव बताते हैं कि "उन्हें बचपन से पेंटिंग का शौक था. उन्होंने कई तरह की पेटिंग बनाई, लेकिन लता दीदी से मुलाकात के बाद मैं उनसे जुड़ी 50 से ज्यादा पेंटिंग बना चुके हैं. यह सभी पेंटिंग लताजी के अलग-अलग जीवन प्रसंगों से जुड़ी हुई हैं. इनमें उनकी एक पेंटिंग को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए भी चुना गया है. इस पेंटिंग का शीर्षक ही मैंने चित्रलेखिका दिया है."

इस पेंटिंग की खासियत यह है कि इसमें एक ही पेंटिंग में बैकग्राउंड में 1436 चित्र बने हुए हैं. इसमें लताजी के साथ महान हस्तियों को दिखाया गया है. पेंटिंग में लताजी के चेहरे और गले पर 77, हाथों पर 127 और तानपुरे पर लताजी के 666 चेहरे बनाए गए हैं. पेंटिंग में माथे पर मां सरस्वती का चित्र बनाया गया है.

वहीं बैक ग्राउंड में उनकी जीवन से जुड़ी घटनाओं के 564 चेहरे बनाए गए हैं. लता दीदी को मैं मां सरस्वती की प्रतिमूर्ति मानता हूं, इसलिए आस्था दर्शाने के लिए उनके पैरों के पास मंदिर बनाया है. इस पेंटिंग को बनाने में 11 महीने का वक्त लगा.

एक पेंटिंग 4359 चेहरे
रामकृपाल नामदेव बताते हैं कि "उन्होंने एक दूसरी लताजी की पेंटिंग में लताजी के 4359 चेहरे बनाए हैं. ध्यान से देखें तो सभी चेहरे फ्री हैंड ब्रश से बनाए गए हैं और सभी एक-एक सेंटीमीटर के हैं. चेहरे पर भी उनके चेहरे बनाए गए हैं और माथे पर मां सरस्वती हैं. 2016 में एक और पेंटिंग बनाई, इसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए चुना गया था. वे कहते हैं कि इस तरह की पेंटिंग बनाने के लिए बहुत धैर्य की जरूरत होती है.

इस पेंटिंग को बनाने में ही 8 माह का समय लग गया. पेंटिंग में एक-एक चेहरे पर बेहद बारीकी से काम करना पड़ता है. ध्यान न भटके इसके लिए हर दिन 40 मिनिट ध्यान करता हूं. इससे गुस्सा भी नहीं आता, क्योंकि गुस्सा व्यक्तित्व को बदल देता है."