भोपाल (बृजेन्द्र पटेरिया) : मध्य प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को 3 गुना तक करने के लिए सांची दुग्ध संघ और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के बीच एमओयू को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में इस अनुबंध को किया गया. इसके साथ ही अब मध्य प्रदेश के सांची के सभी 6 दुग्ध संघों का नियंत्रण और संचालन एनडीडीबी यानी राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा किया गया. इस अनुबंध के बाद मध्यप्रदेश में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में क्या बदलाव होने जा रहे हैं और किसानों को कैसे फायदा मिलेगा, आइए आपको बताते हैं.
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ऐसे करेगा काम
केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में मध्य प्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के बीच एमओयू हो गया है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के मंत्रिमंडल से इसको पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. अब सवाल है कि आखिर इस एमओयू के बाद मध्य प्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन में क्या बदलाव होने जा रहा है.

- मध्यप्रदेश में स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन से सांची के 6 दुग्ध संघ जुड़े हुए हैं. इस एमओयू के बाद अब इन सभी दुग्ध संघों का मैनेजमेंट और इसका संचालन राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा ही संभाला जाएगा.
- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड अगले 5 सालों तक मध्य प्रदेश दुग्ध संघ का पूरा कामकाज देखेगा और इसका गांव-गांव तक विस्तार करने और मध्य प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने का काम करेगा.
- मध्य प्रदेश में अगले 5 सालों में दुग्ध समितियों की संख्या 3 हजार बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. प्रदेश में अभी 6 हजार दुग्ध समितियां मौजूद हैं. एक दुग्ध समिति द्वारा आसपास के 1 से 3 गांवों से दूध का कलेक्शन किया जाता है. इस तरह 3 हजार नई समितियां गठित होने से प्रदेश के 9 हजार गांवों में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाया जाएगा.
किसानों को मिलने वाले हैं ये फायदे
- इस एमओयू से प्रदेश के किसानों को सीधा फायदा पहुंचेगा. खासतौर से उन किसानों को जो खेती के साथ दुग्ध उत्पादन कर रहे हैं.
- दुग्ध समितियों के माध्यम से किसान दूध को सीधे दुग्ध संघ को बेच सकेगा, इसके लिए उन्हें दूध बेचने के लिए बाजार तक नहीं जाना होगा.
- दुग्ध संघ को दूध बेचने पर किसानों को हर हफ्ते पैसों का भुगतान किए जाने की व्यवस्था तैयार की जा रही है.
- किसानों द्वारा बेचे जाने वाले दुग्ध से बनाए जाने वाले दुग्ध उत्पादों को बेचकर होने वाले फायदे का इंसेंटिव दुग्ध उत्पादकों को भी मिलेगा.
- मध्यप्रदेश सरकार किसानों को डेयरी फार्मिंग और दुग्ध उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रही है और इसके लिए एक नई योजना शुरू की है. इसमें सरकार 25 गाय और भैंस की डेयरी खोलने पर 25 फीसदी का अनुदान देगी. 25 गाय और भैंस पालने के लिए 42 लाख रुपए की लागत आएगी. इस पर यह अनुदान दिया जाएगा. सरकार इस डेयरी को दुग्ध समितियों से जोड़ेगा और सांची के जरिए दूध खरीदा जाएगा.
- पशुपालन मंत्री के मुताबिक खेती के साथ दुग्ध उत्पादन से किसानों को खेती में दोहरा लाभ होगा. किसान जैविक खेती की तरफ बढ़ेगा और लागत में कमी आएगी.
प्रदेश में इतना बढ़ जाएगा दूध उत्पादन
मध्य प्रदेश में अभी 6 हजार दुग्ध समितियां हैं, इससे प्रदेश में अभी 8 लाख लीटर हर दिन दूध का कलेक्शन किसानों से किया जाता है. मध्य प्रदेश में अभी प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता करीबन 652 ग्राम है. दुग्ध उत्पादन बढ़ने से किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे। राज्य सरकार ने प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाकर 25 लाख लीटर रोजाना करने का लक्ष्य रखा है. दूग्ध उत्पादन के साथ प्रदेश में दुग्ध उत्पादों की पूर्ति भी तेज होगी. मध्य प्रदेश अभी दुग्ध उत्पादन के मामले में तीसरे स्थान पर है, वहीं घी का उत्पादन कम है, जबकि शुद्ध घी की मांग तेजी से बढ़ी है. देश में उत्तरप्रदेश घी उत्पादन में सबसे आगे है.
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क्या सांची दुग्ध संघों से कर्मचारी होंगे बाहर?
नेशनल डेयरी विकास बोर्ड के अनुबंध के बाद अब प्रदेश के सभी सांची दुग्ध संघों का संचालन बोर्ड के अधिकारियों की निगरानी में होगा. कार्यक्रम में पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने कहा कि "सांची से किसी भी कर्मचारी को बाहर नहीं किया जाएगा."
- बोर्ड द्वारा सांची दुग्ध संघों के कामों में बदलाव किया जाएगा.
- सांची के प्रोडक्ट की गुणवत्ता को बढ़ाने, इसके प्रोडक्ट की ब्रांडिंग जैसे तमाम कार्य बोर्ड द्वारा ही किए जाएंगे.
- अनुबंध के बाद सबसे पहला काम प्रदेश में पहले से संचालित सहकारी समितियों को मजबूत करने, किसानों को दुग्ध उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने, गांवों में दुग्ध समितियों के गठन करने और दूध के कलेक्शन की व्यवस्था करने का होगा.