भोपाल (शिफाली पांडे): मैं जब तक पैसा दे रहा था, तब तक सब ठीक था. जैसे ही जेब खाली हुई उनकी ख्वाहिश पूरी नहीं कर पाया. मुझ पर केस लगने शुरू हो गए, आप खुद सोचिए, जो बिना सहारे के चल नहीं सकता, वो इंसान अपनी पत्नी के साथ मारपीट कर सकता है क्या? लेकिन मुझ पर घरेलू हिंसा का मामला लगा दिया गया. उनकी जिद एक ही थी धर्म बदलो तो साथ रहेंगे. वरना अपना रास्ता देखो. ये अलग-अलग बयानी उन पतियों की है, जो विवाह में प्रताड़ित हुए हैं. विवाह का शिकार हैं.
इन पीड़ित पतियों के लिए काम करने वाली संस्था वॉच लीग ने इसे विवाह आतंकवाद का नाम दिया है. भोपाल में जुटे इन प्रताड़ित पतियों ने अपनी आप बीती सुनाई. संस्था की प्रमुख चांदना अरोरा ने बताया कि "किस तरह से पतियों की प्रताड़ना के लिए पूरा रैकेट काम कर रहा है और पैकेज में इन पर मामले दर्ज करवाए जाते हैं."
मैं देख भी नहीं सकता, घरेलू हिंसा की धारा लगी है
भोपाल के रहने वाले आफताब अली ने बताया कि "2009 में मेरी शादी हुई थी. 2017 से शादी के बाद मुझ पर मामले दर्ज होने शुरू हुए, जो 2019 से केस लगे. गोधरा गुजरात में मेरे खिलाफ केस लगाया. पहले केस लगाया कि मारपीट करके मैंने पत्नी को निकाल दिया. फिर मेंटेनेंस का केस लगाया. दूसरा मामला अलीगढ उत्तर प्रदेश में लगाया. जबकि जिस दिन के मारपीट के आरोप मुझ पर लगाए गए हैं, उस दिन मैं भोपाल मे था.

उनकी एक ही मांग थी कि घर वालों से अलग हो जाओ. ये मंजूर नहीं किया, तो डिवोर्स दे दिया. हमारी अरैंज मैरिज थी. अब ये हालत है कि मैं अदालत की पेशी के लिए गुजरात से उत्तर प्रदेश भागता रहता हूं. आप सोचिए जिसे दिखाई नहीं देता, जो सहारा लेकर चलता हो, वो कैसे किसी को मार सकता है, लेकिन मारपीट की धाराएं लगी हैं.
अब कोर्ट में मामला अटका है. तारीख पर बार-बार जाना वकील की फीस सब भुगत रहा हूं. पुलिस ने भी बिना जांचे मुझ पर एफआईआर कर दी."

धर्म बदल लेता तो शादी बच जाती
निर्मल शिम्पी ने दूसरे धर्म की लड़की से शादी की थी. वे कहते हैं 2003 मे शादी हुई, लेकिन 17 साल बाद 2019 में जाकर 498 में मामला दर्ज किया गया. पूरा मुद्दा धर्म परिवर्तन का था. अगर धर्म परिवर्तन कर लेता, तो कोई दिक्कत नहीं थी. शादी चल जाती, नहीं किया तो परेशान किया जा रहा है. घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करवाया गया."

बस कमाई घटी शादी टूट गई हमारी
गुवाहाटी में कारोबार करने वाले मनीष शुक्ला को अदालत में चल रहे मामले की वजह से गुवाहाटी से भोपाल आना पड़ता है. वे बताते हैं "मेरी सादी 2007 में हुई थी. हमारी अरेंज मैरिज थी. पिता ने लड़की देखी थी. लड़की के पिता चाचा सब पुलिस में हैं. जब तक मैं पैसा कमाकर उन पर लुटाता था. तब तक सब सही चलता रहता रहा.

उनकी डिमांड थी, लड़की के साथ अलग घर बनाओ. ससुराल के बगल में वो भी बनाया, लेकिन जब पैसा खत्म हो गया, तो रिश्ते में दरारे आने लगीं. 2019 में 498 में मामला लगा दिया, मेरे जैसे आदमी पर फर्जी मारपीट का मामला दर्ज कर दिया गया. अब मेरे पास दो ही रास्ते हैं जिंदा रहता हूं तो कानूनी लड़ाई लडूं या फिर मर जाऊं.
मेरे मैन्टेनेन्स के पैसे पर वो मौज कर रहे हैं और मैं गुवाहाटी भोपाल के चक्कर काट रहा हूं. मुझ पर केस लादे जा रहे हैं.

पत्नि-सास ने जान ले ली मेरे भाई की
इंदौर के रहने वाले सूरज अपने आंसू नहीं रोक पाते. तीन महीने पहले उनके भाई ने खुदकुशी कर ली. खुदकुशी की वजह भाई सूरज को पत्नी सास और साली से मिली प्रताड़ना थी. वे बताते हैं " मेरा भाई मरने से पहले 14 पेज का नोट लिखकर गया है, लेकिन हैरत की बात है कि पत्नी मीनाक्षी शर्मा समेत किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. गैंगस्टर को पकड़ने वाली पुलिस इन्हें नहीं पकड़ पा रही."
नया आतंकवाद है वैवाहिक आतंकवाद, ये धाराएं जुड़ें
वॉच लीग संस्था की चांदना अरोरा इन पीड़ित और प्रताड़ित समर्थन में सामने आई हैं. उनका कहना है कि "अब जो फर्जी मामले सामने आ रहे हैं. हमारा अनुरोध है कि इस तरह के मामलों को सिरे से खारिज किया जाए. उन्होंने कहा कि कई वकील ऐसे पैकेज ऑफर करते हैं कि आप ये चार मामले में शिकायत दर्ज कराओ पति अपने आप सही हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि हम देश के सर्वोच्च न्यायलय व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से मदद कीगुहार लगा रहे हैं. पत्नी द्वारा कानूनी प्रताड़ना "वैवाहिक आतंकवाद" झेलने वाले पीड़ित पति/पति-पक्ष के प्रकरणों में अब पति द्वारा आत्मा-हत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं. अरोरा का कहना था कि भारतीय दंड संहिता के तहत, जान-बूझके झूठी शिकायतें और साक्ष्य देना गंभीर अपराध हैं.
यदि वकील झूठे मामले दर्ज कराते हैं, तो उनके विरद्ध आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें सजा और वकालत की व्यवसायिक मान्यता से संबंधित दंड शामिल हैं. वकीलों के विरुद्ध बार कौंसिल भी उचित कानूनी कार्रवाई कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे मामलों में सख्त रुख अपनाया है. जहां झूठे आरोपों के माध्यम से वैवाहिक संबंधों को नुकसान पहुंचाने के प्रयासो को निंदनीय बताया गया है.
बदलते अपराध के मद्देनजर जोड़ी जाएं नई धाराएं
वॉच लीग संस्था की प्रमुख चांदना अरोरा ने कहा कि " न्यायाधीश भारत सरकार व एजेंसियों को निर्देशित करें के अपराध के बदलते स्वरूपों से निपटने के लिए भारतीय न्याय संहिता में नई धाराओं का समावेश हो सके. जिसमें महिला/पत्नी द्वारा धमकाना/ब्लैकमेल "वैवाहिक ब्लैकमेल" (Marital Black-mail) की धारा जोड़ी जाए.
इसके अलावा पत्नी द्वारा पति/पति-पक्ष पर क्रूरता की धारा के साथ पत्नी द्वारा नाजायज मांग से जुड़ी हुई धाराएं लगाई जाए. ताकि परिवार के साथ अदालती लड़ाई में भी प्रताड़ित हो रहे इन पीड़ित पतियों को राहत मिल सके."