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BMHRC के डाक्टरों का कमाल, केरला की 1 कार्निया से 2 लोगों के आंखों की लौटी रोशनी - TWO PEOPLE GOT VISION FROM 1 CORNEA

भोपाल में बीएमएचआरसी के डॉक्टरों ने किया कमाल, केरल से भेजी गई एक डोनर कार्निया से 2 लोगों के आंखों की वापस आई रोशनी.

TWO PEOPLE GOT VISION FROM 1 CORNEA
BMHRC में 1 कार्निया से 2 आंखों की लौटाई गई रोशनी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : June 9, 2025 at 8:21 PM IST

2 Min Read

भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी स्थित भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) के कार्निया प्रत्यारोपण केंद्र में चिकित्सा क्षेत्र की एक अनूठी उपलब्धि सामने आई है. दरअसल, केरल के एक नेत्र बैंक द्वारा भेजे गए दाता कॉर्निया (नेत्र ऊतक) से भोपाल में दो अलग-अलग मरीजों की आंखों की रोशनी लौटाई गई. यह भोपाल में संभवतः पहला मामला है, जब एक ही कार्निया के दो अलग-अलग भागों का उपयोग कर दो मरीजों को देखने की शक्ति प्रदान की गई है.

कार्निया के दोनों हिस्सों का किया गया इस्तेमाल

इस प्रक्रिया में कॉर्निया के एक भाग से भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज का सफल प्रत्यारोपण किया गया. जबकि दूसरे भाग से बीएमएचआरसी में एक 66 वर्षीय गैस पीड़ित मरीज को रोशनी मिली. डाक्टरों ने बताया कि मरीज की एक आंख में पहले से ही मोतियाबिंद का ऑपरेशन असफल हो चुका था, जिससे उसकी रोशनी चली गई थी. वह कॉर्नियल एंडोथीलियल फेल्योर नामक स्थिति से पीड़ित था. इस बीमारी में आंख की सबसे अंदरूनी परत ठीक से काम करना बंद कर देती है और चीजें धुंधली दिखने लगती हैं.

जटिल सर्जरी से लौटी 2 लोगों की रोशनी

नेत्र रोग विभाग की प्रमुख डॉ. हेमलता यादव ने बताया कि "बीएचएमआरसी में भर्ती मरीज की अत्याधुनिक डेसेमेट मेम्ब्रेन एंडोथेलियल केराटोप्लास्टी (DMEK) सर्जरी की गई. यह एक जटिल तकनीक होती है. जिसमें केवल क्षतिग्रस्त एंडोथेलियल परत को हटाकर स्वस्थ डोनर की परत लगाई जाती है. इस प्रक्रिया में टांकों की जरूरत नहीं होती और मरीज की दृष्टि तेजी से वापस लौटती है."

'एक डोनर 2 लोगों का बदल सकता है जीवन'

बता दें कि कॉर्निया की दो प्रमुख परतें होती हैं. पहली स्ट्रोमा (मध्य परत) और दूसरी एंडोथेलियम (भीतरी परत). उन्नत माइक्रोसर्जरी तकनीक के जरिए इन दोनों परतों को अलग-अलग कर मरीजों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है. हालांकि इसके लिए डोनर के टिशु की गुणवत्ता उपयुक्त होनी चाहिए और दोनों मरीजों की समस्याएं और आवश्यकताएं अलग हों.

बीएचएमआरसी की निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि "यह उपलब्धि बीएमएचआरसी के चिकित्सा कौशल और समर्पण की एक मिसाल है. नेत्रदान से जुड़ी जागरूकता और आधुनिक तकनीकों की मदद से अब एक डोनर, दो जीवन बदल सकता है."

भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी स्थित भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) के कार्निया प्रत्यारोपण केंद्र में चिकित्सा क्षेत्र की एक अनूठी उपलब्धि सामने आई है. दरअसल, केरल के एक नेत्र बैंक द्वारा भेजे गए दाता कॉर्निया (नेत्र ऊतक) से भोपाल में दो अलग-अलग मरीजों की आंखों की रोशनी लौटाई गई. यह भोपाल में संभवतः पहला मामला है, जब एक ही कार्निया के दो अलग-अलग भागों का उपयोग कर दो मरीजों को देखने की शक्ति प्रदान की गई है.

कार्निया के दोनों हिस्सों का किया गया इस्तेमाल

इस प्रक्रिया में कॉर्निया के एक भाग से भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज का सफल प्रत्यारोपण किया गया. जबकि दूसरे भाग से बीएमएचआरसी में एक 66 वर्षीय गैस पीड़ित मरीज को रोशनी मिली. डाक्टरों ने बताया कि मरीज की एक आंख में पहले से ही मोतियाबिंद का ऑपरेशन असफल हो चुका था, जिससे उसकी रोशनी चली गई थी. वह कॉर्नियल एंडोथीलियल फेल्योर नामक स्थिति से पीड़ित था. इस बीमारी में आंख की सबसे अंदरूनी परत ठीक से काम करना बंद कर देती है और चीजें धुंधली दिखने लगती हैं.

जटिल सर्जरी से लौटी 2 लोगों की रोशनी

नेत्र रोग विभाग की प्रमुख डॉ. हेमलता यादव ने बताया कि "बीएचएमआरसी में भर्ती मरीज की अत्याधुनिक डेसेमेट मेम्ब्रेन एंडोथेलियल केराटोप्लास्टी (DMEK) सर्जरी की गई. यह एक जटिल तकनीक होती है. जिसमें केवल क्षतिग्रस्त एंडोथेलियल परत को हटाकर स्वस्थ डोनर की परत लगाई जाती है. इस प्रक्रिया में टांकों की जरूरत नहीं होती और मरीज की दृष्टि तेजी से वापस लौटती है."

'एक डोनर 2 लोगों का बदल सकता है जीवन'

बता दें कि कॉर्निया की दो प्रमुख परतें होती हैं. पहली स्ट्रोमा (मध्य परत) और दूसरी एंडोथेलियम (भीतरी परत). उन्नत माइक्रोसर्जरी तकनीक के जरिए इन दोनों परतों को अलग-अलग कर मरीजों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है. हालांकि इसके लिए डोनर के टिशु की गुणवत्ता उपयुक्त होनी चाहिए और दोनों मरीजों की समस्याएं और आवश्यकताएं अलग हों.

बीएचएमआरसी की निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि "यह उपलब्धि बीएमएचआरसी के चिकित्सा कौशल और समर्पण की एक मिसाल है. नेत्रदान से जुड़ी जागरूकता और आधुनिक तकनीकों की मदद से अब एक डोनर, दो जीवन बदल सकता है."

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