मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी में 'बियोंड बॉर्डर आर्ट एंड कल्चर फेस्टिवल 2025' का समापन हो गया है. इस फेस्टिवल में विभिन्न देशों से आए कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया. उनकी पेंटिंग और चित्रकारी देख लोग हैरान रह गए. यह फेस्टिवल 'एम्पावरमेंट द आर्ट एंड कल्चर ऑर्गनाइजेशन' की ओर से आयोजित किया गया था.
एम्पावरमेंट द आर्ट एंड कल्चर ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक कुमार विकास सक्सेना ने बताया कि यह फेस्टिवल अंतरराष्ट्रीय कलाकारों को एक साथ लाकर विभिन्न सांस्कृतिक परिदृश्यों को खोजने, अनुभव करने और व्यक्त करने का अवसर देती है. इसका उद्देश्य संस्कृति और कला के माध्यम से संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना है. मसूरी के प्राकृतिक और ठंडी हवा फिर अचानक हुई बारिश ने उनके रचनात्मक सफर को और खूबसूरत बना दिया.

दिल्ली में हुआ फेस्टिवल का पहला चरण: कुछ कलाकारों ने खुले आसमान के नीचे पेंटिंग बनाया तो कुछ ने इनडोर ही अपने अंदाज में इन दृश्यों को कैनवास पर उतारा. उन्होंने बताया कि फेस्टिवल का पहला चरण दिल्ली में हुआ. जहां कलाकारों ने ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया. कला स्टूडियो में संवाद किए और चर्चाओं में भाग लिया.

योग नगरी ऋषिकेश में हुआ फेस्टिवल का दूसरा चरण: फेस्टिवल का दूसरे चरण के आयोजन उत्तराखंड के ऋषिकेश की आध्यात्मिक भूमि में हुआ. जहां कलाकारों ने इस पवित्र नगरी की दिव्यता को महसूस किया. उन्होंने परमार्थ निकेतन में गंगा आरती का अनुभव किया और इस भूमि की आध्यात्मिक ऊर्जा को आत्मसात किया.

मसूरी की शांत पहाड़ियों में हुआ फेस्टिवल का समापन: कई कलाकारों ने शहर की शांति, आध्यात्मिकता और लयबद्ध ऊर्जा को अपनी कृतियों में उकेरा. फेस्टिवल का समापन कार्यक्रम मसूरी की शांत पहाड़ियों में आयोजित हुआ. बैंकॉक के कलाकार सुरिया कून ने मसूरी की सुंदरता को अपनी कला में जीवंत कर दिया. जिसमें उनकी ऋषिकेश की आध्यात्मिक ऊर्जा भी झलकी.

फ्रांस की कलाकार कैरोला ने बारिश के बीच लाइव पेंटिंग की, जिसमें धुंध से ढकी पहाड़ियों को उनके अनूठे अंदाज में दर्शाया गया. थाईलैंड के थीपतिस बूनविजिटनितितोर्न ने ऋषिकेश की आध्यात्मिकता से प्रेरित होकर 'प्रकाश की भूमि' नामक एक चित्र बनाया. जिसमें नटराज का अद्भुत चित्रण किया गया.

स्लोवेनिया की कलाकार कार्मेन ने उत्तराखंड में मिली आध्यात्मिक शांति को हाथों की मुद्राओं (हस्त मुद्राओं) के माध्यम से दर्शाया, जिसमें एक 'केसरिया पृष्ठभूमि' पर खुले हृदय की भावना प्रकट की गई थी. कजाकिस्तान के कलाकार नूरलान ने हिमालय की एक मासूम बच्ची का चित्र बनाया, जिसमें भारतीय और कजाख संस्कृति का सुंदर समन्वय दिखा.

ग्रीस की कलाकार निकोलेटा ने होली के रंगों को अपनी कला में उतारा, जिससे इस पर्व की जीवंतता महसूस की गई. सर्बिया के कलाकार निकोला ने अपने खास अंदाज में मसूरी की रहस्यमयी सुंदरता को उकेरा. हंगरी की कलाकार एस्टर को गंगा आरती में जलाए जाने वाले 'सर्पाकार दीपों' ने आकर्षित किया, जिससे वे भगवान 'शिव' से प्रेरित हुईं और इस विषय पर एक अनोखी कृति बनाई.
बता दें कि यह फेस्टिवल कला और संस्कृति के माध्यम से 'सीमाओं से परे एकता और सौहार्द का संदेश' दे रहा है. जहां कलाकारों ने अपनी कृतियों के जरिए भारत की आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता को महसूस किया एवं उसे अपनी कला में अभिव्यक्त किया.
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