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जीजीयू के छात्र पढ़ाई के साथ सीख रहे कमाई का साधन, मधुमक्खी पालन का कर रहे प्रेक्टिकल - BEEKEEPING

गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के छात्र मधुमक्खी पालन के बारे में सीख रहे हैं.

Benefit from Beekeeping
मधुमक्खी पालन से लाभ (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : March 11, 2025 at 1:03 PM IST

Updated : March 11, 2025 at 2:22 PM IST

4 Min Read

बिलासपुर: गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में छात्रों को थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल ज्ञान देकर भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है. स्वावलंबी छत्तीसगढ़ योजना के जरिए इस समय छात्रों को मधुमक्खी पालन के बारे में बताया जा रहा है. इससे छात्र छात्राओं को ना सिर्फ इनके बारे में जानकारी मिल रही है बल्कि आने वाले समय में वे इसका व्यवसाय शुरू कर लाभ भी ले सकते हैं.

मधुमक्खी पालन के बारे में जानिए: मधुमक्खी पालन एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है जिससे न केवल शहद का उत्पादन होता है बल्कि फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि कर अन्य फायदे भी मिलते हैं. मधुमक्खी पालन में छत्ते के लिए सही जगह चुनना महत्वपूर्ण होता है. इसके साथ ही मधुमक्खियों के प्रबंधन के लिए सही तरीके अपनाने की भी जरूरत होती है.

मधुमक्खी पालन (ETV Bharat Chhattisgarh)

जीजीयू के ग्रामीण प्रौद्योगिक एवं सामाजिक विकास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि घासीदास विश्वविद्यालय के छात्र थ्योरिकल पढ़ाई के साथ आय के साधन भी अर्जित कर रहे हैं. मधुमक्खी पालन काफी लाभ देने वाला बिजनेस है. घासीदास विश्वविद्यालय में स्वावलंबी छत्तीसगढ़ योजना संचालित है. इसके जरिए छात्र पढ़ाई के साथ साथ मधुमक्खी पालन की जानकारी भी ले रहे हैं.

Beekeeping
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में मधुमक्खी पालन (ETV Bharat Chhattisgarh)

प्रोफेसर दिलीप कुमार ने बताया कि मधुमक्खी का जीवन चक्र अलग अलग पड़ाव में होता है. इसके लिए एक बॉक्स में अलग अलग कॉलोनी बनाई जाती है. इन सभी पड़ाव के बारे में छात्रों को बताया जाता है.

Beekeeping
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में मधुमक्खी पालन (ETV Bharat Chhattisgarh)

मधुमक्खी पालन के दौरान ध्यान रखने वाले बातें भी प्रोफेसर दिलीप कुमार ने बताया. उन्होंने बताया मधुमक्खी पालन के दौरान कई बातों का ध्यान रखना होता है. मधुमक्खी अलग अलग दिशाओं में जाकर भोजन इकठ्ठा करती है. अगर किसान फूलों में कैमिकल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो इससे मधुमक्खियों को ज्यादा नुकसान होता है. चीटियों से भी मुधमक्खी को काफी नुकसान होता है. इस तरह की थ्योरिकल और प्रैक्टिकल जानकारी छात्रों को दी जा रही है इससे बच्चों को आगे आने वाले चैलेंज के बारे में पता चलेगा.जिसका सामना करें, जिससे आगे जाकर वे इन्टरप्यूनर बन सकते हैं.

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मधुमक्खी पालन का तरीका (ETV Bharat Chhattisgarh)

मधुमक्खी से शहद और मोम: बिलासपुर के गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की छात्रा बताती है 'मधुमक्खी एक फायदे अनेक', हनी बी से मिलने वाले हनी की मार्केट में बहुत ज्यादा डिमांड है. प्योर हनी की मार्केट वेल्यू 500 से 700 रुपये प्रतिकिलो है. मधुमक्खी पालकर सालभर में 30 से 50 किलो हनी का प्रोडक्शन किया जा सकता है. शहद के साथ ही इससे मिलने वाले वैक्स से कॉस्मेटिक और शैंपू में यूज किया जाता है.

प्रोटीन की हमारे भारत में बहुत मांग है. उस प्रोटीन का एक्सट्रैक्शन हम हनी से कर सकते हैं. इसमें रायल जैली रहता है जो बहुत मंहगा होता है. कई तरह के मेडिसिन में भी शहद का काफी यूज होता है. मधुमक्खी से स्किल डेवलपमेंट करने के साथ साथ भविष्य में बिजनेस किया जा सकता है, जिससे काफी फायदा मिल सकता है. छात्रा, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय

मधुमक्खी पालन का तरीका:

  1. वसंत ऋतु में मधुमक्खी पालन शुरू करने का सबसे अच्छा समय
  2. मधुमक्खी पालन के लिए, छत्ते को बगीचों, फूलों के खेतों या बगीचों के पास रखें.
  3. छत्ते का मुंह ऐसा रखे कि मधुमक्खियों को अच्छी रोशनी मिलती रहे.
  4. छत्ते को जमीन से ऊपर रखें.
  5. मधुमक्खियों को पानी और अन्य खतरों से बचा कर रखें.

मधुमक्खी पालन के लिए जरूरी सामान

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मधुमक्खी पालन के लिए जरूरी सामान (ETV Bharat Chhattisgarh)
  1. मधुमक्खी पालन के लिए कार्बनिक मोम (डिब्बे) की व्यवस्था करें
  2. छत्ते उठाने के लिए मैनुअल हैंडलिंग तकनीक अपनाएं

मधुमक्खी पालन के लाभ

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मधुमक्खी पालन के लाभ (ETV Bharat Chhattisgarh)
  1. मधुमक्खी पालन से मिलता है ज्यादा मुनाफा
  2. शहद और मोम की मांग बाजार में बहुत ज्यादा
  3. नाबार्ड और राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB)से मिलती है मदद
सुपरफूड बनता जा रहा है देसी बेरी, शहतूत की खेती से किसान हो रहे मालामाल
छत्तीसगढ़ में किसान बढ़ा रहे फूलों का उत्पादन, पिछले साल उत्पादन का आंकड़ा 111.8 हजार मीट्रिक टन
मैनपाट में नाइजर की खेती, किसान बन सकते हैं मालामाल, कम खर्चे में ज्यादा कमाई वाली फसल

बिलासपुर: गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में छात्रों को थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल ज्ञान देकर भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है. स्वावलंबी छत्तीसगढ़ योजना के जरिए इस समय छात्रों को मधुमक्खी पालन के बारे में बताया जा रहा है. इससे छात्र छात्राओं को ना सिर्फ इनके बारे में जानकारी मिल रही है बल्कि आने वाले समय में वे इसका व्यवसाय शुरू कर लाभ भी ले सकते हैं.

मधुमक्खी पालन के बारे में जानिए: मधुमक्खी पालन एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है जिससे न केवल शहद का उत्पादन होता है बल्कि फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि कर अन्य फायदे भी मिलते हैं. मधुमक्खी पालन में छत्ते के लिए सही जगह चुनना महत्वपूर्ण होता है. इसके साथ ही मधुमक्खियों के प्रबंधन के लिए सही तरीके अपनाने की भी जरूरत होती है.

मधुमक्खी पालन (ETV Bharat Chhattisgarh)

जीजीयू के ग्रामीण प्रौद्योगिक एवं सामाजिक विकास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि घासीदास विश्वविद्यालय के छात्र थ्योरिकल पढ़ाई के साथ आय के साधन भी अर्जित कर रहे हैं. मधुमक्खी पालन काफी लाभ देने वाला बिजनेस है. घासीदास विश्वविद्यालय में स्वावलंबी छत्तीसगढ़ योजना संचालित है. इसके जरिए छात्र पढ़ाई के साथ साथ मधुमक्खी पालन की जानकारी भी ले रहे हैं.

Beekeeping
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में मधुमक्खी पालन (ETV Bharat Chhattisgarh)

प्रोफेसर दिलीप कुमार ने बताया कि मधुमक्खी का जीवन चक्र अलग अलग पड़ाव में होता है. इसके लिए एक बॉक्स में अलग अलग कॉलोनी बनाई जाती है. इन सभी पड़ाव के बारे में छात्रों को बताया जाता है.

Beekeeping
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में मधुमक्खी पालन (ETV Bharat Chhattisgarh)

मधुमक्खी पालन के दौरान ध्यान रखने वाले बातें भी प्रोफेसर दिलीप कुमार ने बताया. उन्होंने बताया मधुमक्खी पालन के दौरान कई बातों का ध्यान रखना होता है. मधुमक्खी अलग अलग दिशाओं में जाकर भोजन इकठ्ठा करती है. अगर किसान फूलों में कैमिकल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो इससे मधुमक्खियों को ज्यादा नुकसान होता है. चीटियों से भी मुधमक्खी को काफी नुकसान होता है. इस तरह की थ्योरिकल और प्रैक्टिकल जानकारी छात्रों को दी जा रही है इससे बच्चों को आगे आने वाले चैलेंज के बारे में पता चलेगा.जिसका सामना करें, जिससे आगे जाकर वे इन्टरप्यूनर बन सकते हैं.

Beekeeping
मधुमक्खी पालन का तरीका (ETV Bharat Chhattisgarh)

मधुमक्खी से शहद और मोम: बिलासपुर के गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की छात्रा बताती है 'मधुमक्खी एक फायदे अनेक', हनी बी से मिलने वाले हनी की मार्केट में बहुत ज्यादा डिमांड है. प्योर हनी की मार्केट वेल्यू 500 से 700 रुपये प्रतिकिलो है. मधुमक्खी पालकर सालभर में 30 से 50 किलो हनी का प्रोडक्शन किया जा सकता है. शहद के साथ ही इससे मिलने वाले वैक्स से कॉस्मेटिक और शैंपू में यूज किया जाता है.

प्रोटीन की हमारे भारत में बहुत मांग है. उस प्रोटीन का एक्सट्रैक्शन हम हनी से कर सकते हैं. इसमें रायल जैली रहता है जो बहुत मंहगा होता है. कई तरह के मेडिसिन में भी शहद का काफी यूज होता है. मधुमक्खी से स्किल डेवलपमेंट करने के साथ साथ भविष्य में बिजनेस किया जा सकता है, जिससे काफी फायदा मिल सकता है. छात्रा, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय

मधुमक्खी पालन का तरीका:

  1. वसंत ऋतु में मधुमक्खी पालन शुरू करने का सबसे अच्छा समय
  2. मधुमक्खी पालन के लिए, छत्ते को बगीचों, फूलों के खेतों या बगीचों के पास रखें.
  3. छत्ते का मुंह ऐसा रखे कि मधुमक्खियों को अच्छी रोशनी मिलती रहे.
  4. छत्ते को जमीन से ऊपर रखें.
  5. मधुमक्खियों को पानी और अन्य खतरों से बचा कर रखें.

मधुमक्खी पालन के लिए जरूरी सामान

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मधुमक्खी पालन के लिए जरूरी सामान (ETV Bharat Chhattisgarh)
  1. मधुमक्खी पालन के लिए कार्बनिक मोम (डिब्बे) की व्यवस्था करें
  2. छत्ते उठाने के लिए मैनुअल हैंडलिंग तकनीक अपनाएं

मधुमक्खी पालन के लाभ

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मधुमक्खी पालन के लाभ (ETV Bharat Chhattisgarh)
  1. मधुमक्खी पालन से मिलता है ज्यादा मुनाफा
  2. शहद और मोम की मांग बाजार में बहुत ज्यादा
  3. नाबार्ड और राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB)से मिलती है मदद
सुपरफूड बनता जा रहा है देसी बेरी, शहतूत की खेती से किसान हो रहे मालामाल
छत्तीसगढ़ में किसान बढ़ा रहे फूलों का उत्पादन, पिछले साल उत्पादन का आंकड़ा 111.8 हजार मीट्रिक टन
मैनपाट में नाइजर की खेती, किसान बन सकते हैं मालामाल, कम खर्चे में ज्यादा कमाई वाली फसल
Last Updated : March 11, 2025 at 2:22 PM IST
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