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कैपिटल सिटी ऑफ लेपर्ड: जयपुर में एक और सफारी का शुभारंभ, देश का एकलौता शहर बना - BEED PAPAD LEOPARD SAFARI

जयपुर में बीड पापड़ लेपर्ड सफारी के शुभारंभ. जयपुर देश का पहला ऐसा शहर बना जहां तीन लेपर्ड सफारी और अन्य प्रमुख वन्यजीव सफारी हैं.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : June 5, 2025 at 8:08 PM IST

6 Min Read

जयपुर: राजधानी जयपुर ने देशभर में एक नया पर्यावरणीय और वन्यजीव संरक्षण कीर्तिमान स्थापित किया है. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने वर्चुअल माध्यम से बीड पापड़ लेपर्ड सफारी का उद्घाटन कर जयपुर को भारत का पहला ऐसा शहर बना दिया है जहां अब तीन लेपर्ड सफारी संचालित हो रही हैं.

इससे पहले झालाना और आमागढ़ में लेपर्ड सफारी शुरू की जा चुकी थीं. अब नाहरगढ़ वाइल्डलाइफ सेंचुरी में बीड पापड़ लेपर्ड सफारी के जुड़ने से जयपुर वन्यजीव पर्यटन और संरक्षण का एक मजबूत केंद्र बन गया है. साथ ही जयपुर अब एकमात्र ऐसा जिला बन चुका है जहां तीन लेपर्ड सफारी के अलावा एक-एक लायन, टाइगर और एलिफेंट सफारी भी हैं. यह पहल राज्य में वन्यजीवों की सुरक्षा और इको टूरिज्म को नई दिशा दे रही है.

सीएम ने किया बीड पापड़ लेपर्ड सफारी का शुभारंभ
सीएम ने किया बीड पापड़ लेपर्ड सफारी का शुभारंभ (ETV Bharat Jaipur)

इसे भी पढ़ें- विश्व पर्यावरण दिवस पर शुरू होगी बीड पापड़ लेपर्ड सफारी, झालाना और आमागढ़ के बाद अब तीसरी लेपर्ड सफारी

नाहरगढ़ सेंचुरी में तैयार हुई तीसरी लेपर्ड सफारी: वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री संजय शर्मा ने इस अवसर पर बताया कि नाहरगढ़ सेंचुरी क्षेत्र के बीच विकसित बीड पापड़ लेपर्ड सफारी लगभग 5240 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है. इसमें करीब 19 किलोमीटर लंबे ट्रैक बनाए गए हैं जो सफारी संचालन के लिए उपयुक्त हैं. जंगल के करीब 30 प्रतिशत क्षेत्र को सफारी के लिए चिह्नित कर बाउंड्री वॉल भी बनाई गई है.

इसके अलावा वन्यजीवों के लिए 12 वाटर पॉइंट विकसित किए गए हैं, जहां नियमित रूप से जल की व्यवस्था की जाती है. इस क्षेत्र में वर्तमान में 21 लेपर्ड हैं. इनके अलावा सेंचुरी में सांभर, नीलगाय, हाइना, सियार, सेही, जंगली सूअर जैसी विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीव और 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां देखी जा सकती हैं. इनमें कई दुर्लभ पक्षी भी शामिल हैं. इस क्षेत्र में धोक, सफेदा, सालर, बबूल जैसी प्रमुख वनस्पतियां भी पाई जाती हैं जो जंगल की जैव विविधता को और समृद्ध बनाती हैं.

कैपिटल सिटी ऑफ लेपर्ड
सफारी लगभग 5240 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है (ETV Bharat Jaipur)

इसे भी पढ़ें- जयपुर में लेपर्ड सफारी के बाद अब काऊ सफारी की तैयारी, देसी नस्ल की गायों को मिलेगा संरक्षण

लेपर्ड संरक्षण का मजबूत कॉरिडोर: राज्य सरकार ने लेपर्ड संरक्षण के तहत जयपुर में एक विस्तृत और प्रभावी कॉरिडोर भी विकसित किया है. यह कॉरिडोर झालाना लेपर्ड रिजर्व से शुरू होकर आमागढ़ होते हुए नाहरगढ़ अभयारण्य और दिल्ली रोड स्थित अचरोल तक फैला है. इस प्रयास से लेपर्ड के प्राकृतिक आवागमन और सुरक्षित निवास को मजबूती मिली है. झालाना लेपर्ड रिजर्व करीब 700 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है जहां 40 से अधिक लेपर्ड हैं. आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व 1524 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है जिसमें 20 लेपर्ड हैं. अब नाहरगढ़ में 21 लेपर्ड के साथ इस श्रृंखला को और भी सशक्त किया गया है. इस तरह जयपुर में लेपर्ड संरक्षण का एक ऐसा मॉडल तैयार किया गया है जिसे पूरे देश में अपनाया जा सकता है.

बाघों की संख्या पहुंची 140: राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे संरक्षण प्रयासों के कारण राजस्थान में बाघों की संख्या बढ़कर 140 तक पहुंच गई है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक राजस्थान को वन्यजीव पर्यटन के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाया जाए. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट लेपर्ड की शुरुआत झालाना लेपर्ड रिजर्व से हुई थी और आज यह मिशन सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है. झालाना आज देश के सबसे पसंदीदा लेपर्ड रिजर्व में से एक बन गया है. आमागढ़ और अब नाहरगढ़ जैसे क्षेत्रों में भी लेपर्ड रिजर्व का सफल विस्तार हुआ है.

बीड पापड़ लेपर्ड सफारी में वाटर होल
बीड पापड़ लेपर्ड सफारी में वाटर होल (ETV Bharat Jaipur)

इसे भी पढ़ें- विश्व लेपर्ड दिवस : टाइगर से कम नहीं लेपर्ड की अहमियत, हो रहे अकाल मौत का शिकार

'कैपिटल सिटी ऑफ लेपर्ड' का खिताब: तीन लेपर्ड सफारी, एक लायन, एक टाइगर और एक एलिफेंट सफारी के साथ जयपुर अब 'कैपिटल सिटी ऑफ लेपर्ड' के नाम से जाना जा रहा है. झालाना, आमागढ़ और अब बीड पापड़ लेपर्ड सफारी के जुड़ने से जयपुर देश का एकमात्र ऐसा शहर बन गया है जहां इतने व्यापक स्तर पर लेपर्ड संरक्षण और पर्यटन की व्यवस्थाएं हैं. झालाना में विकसित लेपर्ड रिजर्व मालवीय नगर औद्योगिक क्षेत्र के पास स्थित है और पर्यटन के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय है. आमागढ़ और नाहरगढ़ भी इसी दिशा में तेजी से विकसित हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री की अन्य पर्यावरणीय सौगातें: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने अन्य कई परियोजनाओं की शुरुआत भी की. इनमें पांच लव कुश वाटिकाएं, उदयपुर में माछला मगरा नगर वन, रिसाला ग्रीन लंग्स जैसी परियोजनाएं शामिल हैं. इसके अलावा सर्कुलर इकोनॉमी इन्सेंटिव स्कीम, ऑटो रिन्यूअल सिस्टम, मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम 2.0, सांगानेर में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज आधारित सीईटीपी का जीर्णोद्धार, और छह प्रमुख अस्पतालों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का लोकार्पण भी शामिल रहा.

इसे भी पढ़ें- जयपुर बना 'कैपिटल सिटी ऑफ लेपर्ड', झालाना-आमागढ़ के बाद नाहरगढ़ में लेपर्ड सफारी, जानें खासियत

पर्यावरण सुधार को लेकर हुए समझौते: राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल और सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट, नई दिल्ली के बीच क्लाइमेट चेंज अडैप्टेशन प्लान 2030 को लेकर एमओयू किया गया. इसके अलावा इमिशन ट्रेडिंग स्कीम पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, ईपीआईसी और जेपीएएल एसए के साथ त्रिपक्षीय समझौता हुआ. अलवर और भिवाड़ी के लिए अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के तहत आईआईटीएम पुणे और प्रदूषण नियंत्रण मंडल के बीच भी एक अहम समझौता हुआ है.

लेपर्ड कंजर्वेशन में जयपुर की भूमिका राष्ट्रीय मॉडल: जयपुर में झालाना से शुरू हुआ लेपर्ड संरक्षण अब देश के लिए एक मिसाल बन चुका है. शहर का घना जंगल, सुनियोजित ट्रैक, जल प्रबंधन, सुरक्षित सीमाएं और व्यापक कॉरिडोर व्यवस्था ने लेपर्ड संरक्षण को व्यवहारिक बनाया है. इन पहलों के परिणामस्वरूप जयपुर को 'कैपिटल सिटी ऑफ लेपर्ड' का दर्जा मिला है और यह अब वन्यजीव पर्यटन का राष्ट्रीय केंद्र बनकर उभर रहा है. बीड पापड़ लेपर्ड सफारी का शुभारंभ इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.

इसे भी पढ़ें- World Leopard Day: मुकुंदरा में टाइगर महज 3, पैंथरों का 'शतक', लेपर्ड सफारी की जगी उम्मीद

इसे भी पढ़ें- अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस : आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व लाखों की आबादी के लिए बन चुका ऑक्सीजन बैंक, वन और वन्यजीवो को मिला संरक्षण

जयपुर: राजधानी जयपुर ने देशभर में एक नया पर्यावरणीय और वन्यजीव संरक्षण कीर्तिमान स्थापित किया है. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने वर्चुअल माध्यम से बीड पापड़ लेपर्ड सफारी का उद्घाटन कर जयपुर को भारत का पहला ऐसा शहर बना दिया है जहां अब तीन लेपर्ड सफारी संचालित हो रही हैं.

इससे पहले झालाना और आमागढ़ में लेपर्ड सफारी शुरू की जा चुकी थीं. अब नाहरगढ़ वाइल्डलाइफ सेंचुरी में बीड पापड़ लेपर्ड सफारी के जुड़ने से जयपुर वन्यजीव पर्यटन और संरक्षण का एक मजबूत केंद्र बन गया है. साथ ही जयपुर अब एकमात्र ऐसा जिला बन चुका है जहां तीन लेपर्ड सफारी के अलावा एक-एक लायन, टाइगर और एलिफेंट सफारी भी हैं. यह पहल राज्य में वन्यजीवों की सुरक्षा और इको टूरिज्म को नई दिशा दे रही है.

सीएम ने किया बीड पापड़ लेपर्ड सफारी का शुभारंभ
सीएम ने किया बीड पापड़ लेपर्ड सफारी का शुभारंभ (ETV Bharat Jaipur)

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नाहरगढ़ सेंचुरी में तैयार हुई तीसरी लेपर्ड सफारी: वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री संजय शर्मा ने इस अवसर पर बताया कि नाहरगढ़ सेंचुरी क्षेत्र के बीच विकसित बीड पापड़ लेपर्ड सफारी लगभग 5240 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है. इसमें करीब 19 किलोमीटर लंबे ट्रैक बनाए गए हैं जो सफारी संचालन के लिए उपयुक्त हैं. जंगल के करीब 30 प्रतिशत क्षेत्र को सफारी के लिए चिह्नित कर बाउंड्री वॉल भी बनाई गई है.

इसके अलावा वन्यजीवों के लिए 12 वाटर पॉइंट विकसित किए गए हैं, जहां नियमित रूप से जल की व्यवस्था की जाती है. इस क्षेत्र में वर्तमान में 21 लेपर्ड हैं. इनके अलावा सेंचुरी में सांभर, नीलगाय, हाइना, सियार, सेही, जंगली सूअर जैसी विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीव और 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां देखी जा सकती हैं. इनमें कई दुर्लभ पक्षी भी शामिल हैं. इस क्षेत्र में धोक, सफेदा, सालर, बबूल जैसी प्रमुख वनस्पतियां भी पाई जाती हैं जो जंगल की जैव विविधता को और समृद्ध बनाती हैं.

कैपिटल सिटी ऑफ लेपर्ड
सफारी लगभग 5240 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है (ETV Bharat Jaipur)

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लेपर्ड संरक्षण का मजबूत कॉरिडोर: राज्य सरकार ने लेपर्ड संरक्षण के तहत जयपुर में एक विस्तृत और प्रभावी कॉरिडोर भी विकसित किया है. यह कॉरिडोर झालाना लेपर्ड रिजर्व से शुरू होकर आमागढ़ होते हुए नाहरगढ़ अभयारण्य और दिल्ली रोड स्थित अचरोल तक फैला है. इस प्रयास से लेपर्ड के प्राकृतिक आवागमन और सुरक्षित निवास को मजबूती मिली है. झालाना लेपर्ड रिजर्व करीब 700 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है जहां 40 से अधिक लेपर्ड हैं. आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व 1524 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया गया है जिसमें 20 लेपर्ड हैं. अब नाहरगढ़ में 21 लेपर्ड के साथ इस श्रृंखला को और भी सशक्त किया गया है. इस तरह जयपुर में लेपर्ड संरक्षण का एक ऐसा मॉडल तैयार किया गया है जिसे पूरे देश में अपनाया जा सकता है.

बाघों की संख्या पहुंची 140: राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे संरक्षण प्रयासों के कारण राजस्थान में बाघों की संख्या बढ़कर 140 तक पहुंच गई है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक राजस्थान को वन्यजीव पर्यटन के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाया जाए. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट लेपर्ड की शुरुआत झालाना लेपर्ड रिजर्व से हुई थी और आज यह मिशन सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है. झालाना आज देश के सबसे पसंदीदा लेपर्ड रिजर्व में से एक बन गया है. आमागढ़ और अब नाहरगढ़ जैसे क्षेत्रों में भी लेपर्ड रिजर्व का सफल विस्तार हुआ है.

बीड पापड़ लेपर्ड सफारी में वाटर होल
बीड पापड़ लेपर्ड सफारी में वाटर होल (ETV Bharat Jaipur)

इसे भी पढ़ें- विश्व लेपर्ड दिवस : टाइगर से कम नहीं लेपर्ड की अहमियत, हो रहे अकाल मौत का शिकार

'कैपिटल सिटी ऑफ लेपर्ड' का खिताब: तीन लेपर्ड सफारी, एक लायन, एक टाइगर और एक एलिफेंट सफारी के साथ जयपुर अब 'कैपिटल सिटी ऑफ लेपर्ड' के नाम से जाना जा रहा है. झालाना, आमागढ़ और अब बीड पापड़ लेपर्ड सफारी के जुड़ने से जयपुर देश का एकमात्र ऐसा शहर बन गया है जहां इतने व्यापक स्तर पर लेपर्ड संरक्षण और पर्यटन की व्यवस्थाएं हैं. झालाना में विकसित लेपर्ड रिजर्व मालवीय नगर औद्योगिक क्षेत्र के पास स्थित है और पर्यटन के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय है. आमागढ़ और नाहरगढ़ भी इसी दिशा में तेजी से विकसित हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री की अन्य पर्यावरणीय सौगातें: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने अन्य कई परियोजनाओं की शुरुआत भी की. इनमें पांच लव कुश वाटिकाएं, उदयपुर में माछला मगरा नगर वन, रिसाला ग्रीन लंग्स जैसी परियोजनाएं शामिल हैं. इसके अलावा सर्कुलर इकोनॉमी इन्सेंटिव स्कीम, ऑटो रिन्यूअल सिस्टम, मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम 2.0, सांगानेर में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज आधारित सीईटीपी का जीर्णोद्धार, और छह प्रमुख अस्पतालों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का लोकार्पण भी शामिल रहा.

इसे भी पढ़ें- जयपुर बना 'कैपिटल सिटी ऑफ लेपर्ड', झालाना-आमागढ़ के बाद नाहरगढ़ में लेपर्ड सफारी, जानें खासियत

पर्यावरण सुधार को लेकर हुए समझौते: राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल और सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट, नई दिल्ली के बीच क्लाइमेट चेंज अडैप्टेशन प्लान 2030 को लेकर एमओयू किया गया. इसके अलावा इमिशन ट्रेडिंग स्कीम पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, ईपीआईसी और जेपीएएल एसए के साथ त्रिपक्षीय समझौता हुआ. अलवर और भिवाड़ी के लिए अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के तहत आईआईटीएम पुणे और प्रदूषण नियंत्रण मंडल के बीच भी एक अहम समझौता हुआ है.

लेपर्ड कंजर्वेशन में जयपुर की भूमिका राष्ट्रीय मॉडल: जयपुर में झालाना से शुरू हुआ लेपर्ड संरक्षण अब देश के लिए एक मिसाल बन चुका है. शहर का घना जंगल, सुनियोजित ट्रैक, जल प्रबंधन, सुरक्षित सीमाएं और व्यापक कॉरिडोर व्यवस्था ने लेपर्ड संरक्षण को व्यवहारिक बनाया है. इन पहलों के परिणामस्वरूप जयपुर को 'कैपिटल सिटी ऑफ लेपर्ड' का दर्जा मिला है और यह अब वन्यजीव पर्यटन का राष्ट्रीय केंद्र बनकर उभर रहा है. बीड पापड़ लेपर्ड सफारी का शुभारंभ इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.

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