भागलपुर: बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर लगातार कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. इसी क्रम में बीएयू के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के शोधार्थी देबजीत चक्रवर्ती का चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद (इसरो) में वैज्ञानिक के रूप में हुआ है. देबजीत चक्रवर्ती मूलरूप से पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगुर, बोराई के रहने वाले हैं.
''कंप्यूटर टेस्ट के आधार पर मेरा चयन हुआ है. 30 दिसंबर 2024 को इसरो द्वारा एनआरएससी की परीक्षा ली गई थी, जिसमें मैं शामिल हुआ था, उसमें मुझे सफलता मिली, जिसके बाद मेरा चयन हुआ है. मेरा चयन इसरो में वैज्ञानिक के रूप में हुआ है. यूनिवर्सिटी में 5 साल से अधिक समय बीत गया. इस दौरान मुझे यहां काफी कुछ सीखने के लिए मिला. यहां जितने भी प्रोफेसर और वैज्ञानिक हैं, उन्होंने काफी मोटिवेट किया. जिसके कारण आज मैं यहां तक पहुंच पाया हूं. मेरा शौक था कि मेरे नाम के आगे डॉक्टर लगे और वह अब सपना पूरा हो गया है.'' देबजीत चक्रवर्ती, शोधार्थी
''यह पूरे विश्वविद्यालय परिवार के लिए गर्व का क्षण है. 30 दिसंबर 2024 कंप्यूटर आधारित परीक्षा (सीबीटी) में वे शामिल हुए थे. इसके बाद 20 मार्च को हैदराबाद स्थित एनआरसी मुख्यालय में उनका इंटरव्यू हुआ. इस परीक्षण के बाद उनका चयन किया गया.उन्होंने बीएयू से सत्र 2019-21 में पीजी की पढ़ाई पूरी की.'' दुनिया राम सिंह, कुलपति, बीएयू

साल 2019 में नामांकित हुए थे देबजीत चक्रवर्ती: वे आईसीएआर-एनटीएस फेलो के रूप में 2019 में विवि में नामांकित हुए थे. वे एसएससी, बीएयू सबौर के जूनियर वैज्ञानिक डॉ. निंटू मंडल के सानिध्य में पीएचडी कर रहे हैं. उनका डॉक्टरेट शोध प्रबंध गैर-कैल्केरियस और कैल्केरियस मिट्टी में गेहूं राइजोस्फीयर के तहत लौह और जस्ता नैनोकणों के बैक्टीरिया मध्यस्थता संश्लेषण और उनके मूल्यांकन पर आधारित है.

जेआरएफ होल्डर हैं देबजीत चक्रवर्ती: वह जेआरएफ होल्डर भी हैं. बाह्य मूल्यांकन के बाद उन्हें जेआरएफ से एसआरएफ में अपग्रेड करने की सिफारिश की गई है. मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग द्वारा देबजीत को सम्मानित करने के लिए एक कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें उन्हें सम्मानित किया जाएगा.

बीएयू ने किए कई उल्लेखनीय कार्य: बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने कृषि क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है. जिनमें अनुसंधान, शिक्षा और प्रसार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य शामिल हैं, जैसे नई किस्मों का विकास, कृषि तकनीकों का प्रसार और कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना.
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