दंतेवाड़ा: बस्तर में मां दंतेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध दंतेवाड़ा शहर में बस्तर पंडुम की भव्य शुरुआत हो गई. बुधवार से इस महोत्सव का शुभारंभ हुआ है. यह चार दिनों तक चलेगी. 2 अप्रैल से 5 अप्रैल तक इस आयोजन में बस्तर संस्कृति के अलावा देश की अन्य आदिवासी संस्कृतियों की झलक देखने को मिलेगी. दंतेवाड़ा के हाई स्कूल मैदान यह चार दिवसीय महोत्सव की शुरुआत हुई है.
बस्तर संभाग से जुटे प्रतिभागी: बस्तर पंडुम में बस्तर संभाग से 600 प्रतिभागी शामिल हुए हैं. इस आयोजन के जरिए बस्तर के आदिवासी समाज की उस संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी जिसे आम लोग करीब से नहीं देख पाए हैं. बस्तर पंडुम के जरिए लोग आदिवासी समाज की उस विरासत की झलक देख पाएंगे जो आज भी बस्तर में सहेज कर आदिवासी वर्ग ने रखी है.
बस्तर पंडुम के आयोजन में क्या हुआ ?: बस्तर पंडुम के आयोजन में पहले दिन बस्तर संभाग के सभी सातों जिलों से टीमें पहुंची. ये टीमें कई विधाओं में शामिल हुआ. अन्य राज्य जैसे ओडिशा, तेलंगाना, असम, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक दलों की टुकड़ियां भी यहां पहुंची. आज के आयोजन में दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी मौजूद रहे. उन्होंने सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर एवं कांकेर के जनजातीय टीमों के स्टॉलों को देखा.
बस्तर पंडुम में गांव-गांव से टीमें आई है. यह बस्तर के लिए ऐतिहासिक अवसर है. सीएम विष्णुदेव साय के कुशल नेतृत्व में बस्तर पंडुम का सफल आयोजन हो रहा है- चैतराम अटामी, विधायक, दंतेवाड़ा
कैसे हुआ बस्तर पंडुम का आयोजन?: बस्तर पंडुम का आयोजन पहले ब्लॉक स्तर पर हुआ. उसके बाद संभाग स्तर पर बस्तर पंडुम को मनाया गया. इसमें पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प, और आदिवासी रीति-रिवाजों को एक भव्य मंच प्रदान किया गया है.
बस्तर पंडुम से होगा फायदा: बस्तर पंडुम से स्थानीय संस्कृति को नई पहचान मिलेगी. इस उत्सव में जनजातीय समूह अपनी कला और परंपराओं का प्रदर्शन कर रहे हैं. इन समूहों के कलाकारों की इन प्रस्तुतियों के जरिए पहचान बनेगी. सबसे बड़ी बात है कि इस आयोजन का फायदा बस्तर के टूरिज्म सेक्टर को मिलेगा. पंडुम का मतलब उत्सव होता है.