कोरबा(राजकुमार शाह): बंजर जमीन को उपजाऊ बनाना और इसमें परंपरागत खेती से अलग हटकर नई किस्म की रचनात्मक खेती करना आसान काम नहीं होता है. खेतों का मिजाज ठीक ठाक हो, तब भी सामान्य रुप से किसान अनाज और सब्जी की फसलों पर ही आश्रित रहता है. किसान किसी नए तरह की फसल को उगाने की हिम्मत नहीं जुटाता. लेकिन भटगांव के एक किसान दिलीप कुमार कंवर ने बंजर खेत से बंपर फसल लेने का कमाल कर दिखाया है.
बंजर जमीन में पीले सोने की खेती: दिलीप कंवर आदिवासी समुदाय के छोटे से किसान हैं. दिलीप के लगाए सूरजमुखी की फसल आज जिस जगह पर मुस्कुरा रहे हैं, वो जगह कभी बंजर हुआ करती थी. दिलीप ने अपनी कड़ी मेहनत और रचनात्मक खेती से इस जमीन को उपजाऊ बनाया. जमीन की बेहतरीन जुताई की, अच्छी फसल पाने के लिए खेतों में जैविक खाद का इस्तेमाल किया. जमीन जब फसल के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई, तब उसमें सूरजमुखी के बीज बोए.
भीषण गर्मी में लहलहा रहे सूरजमुखी के फूल: किसान दिलीप की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि इस भीषण गर्मी के मौसम में भी सूरजमुखी के फूल मुस्कुरा रहे हैं. सूरजमुखी के फूलों की खासियत होती है कि वो सूर्य की तरफ मुंह करके ही पूरा दिन खिले रहते हैं. किसान दिलीप भी सूरजमुखी की फसलों से प्रेरणा लेकर इस भरी गर्मी में अपनी फसलों की देखभाल कर रहे हैं.

एक साथ 2 फसलों की खेती: ईटीवी भारत की टीम जब उनके पास पहुंची, तब किसान ने सूरजमुखी के फूल उगाने की पूरी कहानी बताई. दिलीप ने बताया कि वर्तमान में खेत में सिर्फ सूरजमुखी ही नहीं, मूंगफली की फसल भी लगाई है. एक समय में दोहरी खेती कर रहा हूं. तीन एकड़ खेत में यह पूरी फसल लगाई है. कुछ अन्य जगहों पर भी मेड़ में सूरजमुखी के फूल लगाए हैं. जिस मेड़ को किसान खाली छोड़ देते हैं, वहां कुछ नहीं उगाते, वहां भी मैंने सूरजमुखी उगा लिया है. इसके नीचे मूंगफली की फसल भी लगा रखी है.
फरवरी में लगाई फसल मई में काटने की तैयारी: दिलीप बताते हैं कि फरवरी में इसकी खेती शुरू की थी. अब मई में फसल काटने की तैयारी है. उम्मीद है कि इस मूंगफली और सूरजमुखी दोनों से ही तेल निकालकर दो से ढाई लाख का मुनाफा हो सकता है. दिलीप कहते हैं कि पहले ऐसा नहीं था. मेरे खेत पूरी तरह से बंजर थे. इसमें कुछ नहीं उगाया जा सकता था. खेतों की महीना तक जुताई की, जैविक खाद डाला और फिर इसे उपजाऊ बनाया. अब यहां सूरजमुखी के साथ ही मूंगफली की खेती कर रहा हूं. काफी मेहनत की है, लेकिन अब जब अपने खेतों को लहलहाते देखता हूं तब काफी सुकून मिलता है.
कम मेहनत में दोहरा फायदा: दिलीप कहते हैं कि सूरजमुखी के फूल और नीचे मूंगफली के खेत देखने में जितने खूबसूरत लगते हैं, उनकी खेती उतनी ही आसान है. धान की फसल की तुलना में इस खेती में काफी कम मेहनत लगती है. पानी भी कम लगता है और मेहनत भी काफी कम है. इसलिए किसानों को पारंपरिक खेती को छोड़कर सूरजमुखी के फूल लगाने चाहिए, इससे कम मेहनत में किसान अधिक लाभ ले सकते हैं.
मैंने पहली बार रतनपुर में इस तरह सूरजमुखी के खेत देखे थे. फिर इस खेती की पूरी जानकारी ली. बाद में मैंने खुद बीज खरीदकर अपने खेतों में सूरजमुखी के फूल उगाए. खेत को उपजाऊ बनाने के लिए जैविक खाद की मदद ली. उम्मीद है सूरजमुखी और मूंगफली की खेती से मुझे अच्छा मुनाफा हो जाएगा: दिलीप कुमार कंवर, किसान, भटगांव
नहीं मिली सरकारी मदद: दिलीप बताते हैं कि सूरजमुखी के फूल उगाने के लिए किसी तरह के सरकारी मदद नहीं मिली. गांव में जो ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी होते हैं, उनसे कई बार पूछा. लेकिन जवाब मिला कि सूरजमुखी के फूलों की खेती के लिए कोई मदद की योजना नहीं है. हालांकि एक बार मुझे कृषि विभाग से मूंगफली के बीज जरूर मिले थे और मेहनत करके इसे मैंने काफी बढ़ाया. आगे इसे और भी व्यवस्थित तरीके से करने का प्लान बना रहा हूं. कृषि से जुड़े संबंधित विभाग में जाकर और भी जानकारी लूंगा ताकि कुछ सरकारी मदद भी मिल सके.
दूसरे किसानों को मिली प्रेरणा: दिलीप ने गांव में जब सूरजमुखी के फूल की खेती शुरू की, तब दूसरे किसानों में भी इसको लेकर जिज्ञासा उठी. वर्तमान में भटगांव के लगभग 10 किसान 30 एकड़ में सूरजमुखी के फूल लगा रहे हैं. कुछ किसानों की फसल अच्छी हुई है, जबकि कुछ किसानों के फूल के साइज काफी छोटे हैं. सूरजमुखी के फूल का आकार जितना बड़ा होगा, इससे उतना ही अधिक तेल निकलेगा. इसलिए कई बार किसानों को इसका इंतजार भी करना होता है. हालांकि अब इस गांव के किसानों ने दिलीप से प्रेरणा लेकर सूरजमुखी के फूल की खेती शुरू कर दी है.