वाराणसी: कहते हैं, बनारस के कण-कण में भगवान शंकर हैं. यहां आदि भी शिव है और अंत भी शिव. यहां की गलियों और घाट ने अनगिनत कहानियां लिखी हैं. ऐसी ही एक कहानी है सोनू और सपना की. ये महादेव की काशी नगरी के मॉडर्न जमाने वाले महाकाल और सती हैं. इन पर भोलेनाथ की ऐसी कृपा है कि इन्होंने उनके स्वरूप को ही अपना जीवन बना लिया और अपने साथ यह एक दर्जन से ज्यादा लोगों का जीवन भी सवार रहे हैं.
इनका ये सफर बनारस की सड़कों पर शोभायात्रा से शुरू हुआ, जो अब एक नए मुकाम पर पहुंच गया है. जैसे कभी रामायण के किरदारों को जो आदर सम्मान मिला करता था, आज वही इन दोनों युवा कलाकारों को मिल रहा है. तो चलिए मिलते हैं बनारस के शिव-पार्वती से और जानते हैं उनके संघर्ष की कहानी.
सोनू स्नातक, सपना 12वीं पास: बनारस के महादेव यानी सोनू खोजवा इलाके में और मां पार्वती यानी सपना सलारपुर में रहती है. ये दोनों बेहद मध्यम परिवार से आते हैं. सोनू के पांच भाई-बहन हैं. सोनू ने स्नातक तक पढ़ाई की है. उनके पिता सब्जी की ठेली लगाते हैं.
वहीं सपना ने 12वीं तक पढ़ाई की है. उनके पिता प्राइवेट नौकरी करते हैं. लेकिन, जब सोनू और सपना ने महादेव-सती के किरदार को अपना भविष्य बनाया तो अब इससे न सिर्फ उनके घर की समस्याएं दूर हुईं, बल्कि वह दूसरों के भी जीवन में खुशियां बिखेरने लगे हैं.
मोमोज की ठेली से महादेव तक का सफर: शुरुआत महादेव से करें तो, तो सोनू ने अपने स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद मोमोज का बिजनेस शुरू किया. ठेली लगाकर सोनू मोमोज बेचा करते थे. लेकिन, उसमें उनका मन नहीं लगा. उन्होंने 10 साल पहले महादेव के स्वरूप को अपने जीवन में लाया, जिसकी प्रेरणा उन्हें उनके चाचा से मिली.

सोनू ने महादेव का स्वरूप ही क्यों चुना: दरअसल उनके चाचा शोभायात्रा में झांकियां निकालने का काम करते थे, जिसमें अलग-अलग देवी देवताओं के स्वरूप शामिल होते थे. इसमें सोनू अलग-अलग भगवान के किरदार के साथ महादेव की भी भूमिका निभाते थे. महादेव का रूप उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है. लोग भी उनके इस स्वरूप को खूब पसंद करते थे. जिसके बाद उन्होंने महादेव के इस रूप को अपने करियर के रूप में चुना और मॉडर्न महादेव को जन-जन तक पहुंचाया.
एक शो ने बदल दी सोनू की किस्मत: सोनू बताते हैं कि उनकी इस कला को नई पहचान तब मिली, जब पहली बार उन्होंने बाबा केदारनाथ के धाम में अपना शो किया. इस दौरान उन्होंने अपनी वेशभूषा में सांपों की माला गले में पहने महादेव के स्वरूप को दर्शाया, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. इसके बाद मसान की होली में उन्हें आमंत्रित किया गया. जहां हरिश्चंद्र घाट की शोभायात्रा और मसान की होली में उन्होंने महाकाल का स्वरूप दिखाया.

मसान की होली की परफॉर्मेंस ने उन्हें नया मुकाम दे दिया. आज पूरे देश में लोग उन्हें महाकाल के नाम से जानते हैं. अब वह देश के अलग-अलग हिस्से में जाकर शो, शोभायात्रा करते हैं. गौरतलब हो कि,सोनू बनारस के पहले ऐसे किरदार हैं जिन्होंने महाकाल को एक जीवंत अमर किरदार के रूप में लोगों के सामने रखा है.
पिता बेचते सब्जी, बेटा बना महाकाल: सोनू कहते हैं कि, उनका जीवन अभाव में बीता है. उनके पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं. बहुत मुश्किल से उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और जरूरतों को पूरा किया. हर दिन धूप हो या बरसात या कोई अन्य दिक्कत, उनके पिता सब्जी का ठेला लेकर निकल जाते थे.

लेकिन, सोनू की नई शुरुआत के बाद अब उनके पिता मुन्नालाल सोनकर की जिम्मेदारी और दिक्कतें आधी हो गई हैं. क्योंकि, अब सोनू अपने पिता का सहारा बने हैं. सोनू बताते है कि अब सभी लोग उनके पिता को महादेव के पिता के रूप में जानते हैं, जो उनके लिए बेहद गर्व की बात है.
500 प्रति शो से 2 लाख तक का सफर: सोनू कहते हैं कि जब उन्होंने पहली बार शोभायात्रा की तो उन्हें 500 रुपए मिले थे. इसके बाद कभी 500 या 1000 रुपए मिलते थे. शुरू में उन्हें इससे निराशा तो हुई लेकिन, उन्होंने अपने किरदार को छोड़ा नहीं, बल्कि उसे और बेहतर किया. आलम यह है कि अब सोनू अलग-अलग शो के 50 हजार से 2 लाख रुपए तक चार्ज करते हैं.

मां को दिया नया घर: सोनू बताते हैं कि, उनके काम में उन्हें बाबा का आशीर्वाद भी मिलता है, जिसका परिणाम है कि उन्होंने अपने घर में नई-नई सुविधाएं बढ़ाई है. उन्होंने मां के लिए नया घर बनाया. घर वालों के सपने को पूरा किया है. अपने लिए उन्होंने बाइक खरीदी. सोनू कहते हैं कि मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि 5 साल में ही जीवन इतना बदल गया. पहले जहां कुछ करने के लिए सोचना पड़ता था तो वहीं अब हर काम सरलता-सहजता से हो जा रहा है.
सोनू-सपना 18 लोगों को दे रहे रोजगार: सिर्फ सपना और सोनू ही नहीं, उनके महादेव-सती के इस एक्ट को करने में उनके साथ 18 लोगों की टीम काम करती है. सोनू ने इन सभी लोगों को न सिर्फ रोजगार दिया है, बल्कि उनके घर में भी रोशनी फैला रहे हैं.

सोनू बताते हैं कि, ये सभी लोग ज्यादा टेक्निकली साउंड नहीं हैं. लेकिन, इन्हें हमारे साथ एक्ट करना अच्छा लगता था. इसलिए अपने साथ रखा है. सोनू बताते हैं कि, पहले जहां वह बस बनारस की शोभायात्रा और घाट पर ही अपने शो को करते थे तो वहीं अब इसकी डिमांड पूरे देश में देखने को मिल रही है. छत्तीसगढ़, उड़ीसा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु जैसे कई राज्यों से ऑर्डर आते हैं और वहां जाकर अपनी परफॉर्मेंस देते हैं.
3 घंटे में तैयार होता है महादेव-पार्वती का स्वरूप: सोनू और सपना बताते हैं कि महादेव और मां पार्वती के स्वरूप को तैयार करने में उन्हें खास मेहनत करनी पड़ती है. तीन से चार घंटे उन्हें मेकअप करने में लगते हैं. वह हर बार महाकाल व मां पार्वती के अलग-अलग रूप को तैयार करते हैं. अलग-अलग एक्ट को करते हैं. जिसमें उन्हें तैयार होने की प्रेरणा महाकाल की आरती से मिलती है.
वह हर दिन महाकालेश्वर बाबा की आरती देखते हैं. उनका श्रृंगार देखते हैं और उसी के अनुसार श्रृंगार करते हैं. वह बताते हैं कि अपने एक्ट में वह महाकाल के जीवन से जुड़ी हुई कहानी सती वियोग, मां गौरा के साथ उनका विवाह, शोभायात्रा, झांकी व अन्य तमाम तरीके के एक्ट को तैयार करते हैं.

वास्तविक जीवन भी महादेव जैसा है सात्विक: सोनू बताते हैं कि मेरे रोम-रोम में महादेव हैं. मैं महादेव के स्वरूप को एक किरदार के रूप में सिर्फ एक्ट नहीं कर रहा, बल्कि महादेव मेरे पूरे जीवन में समाहित हो चुके हैं. हमारा व्यक्तिगत जीवन भी बेहद सामान्य और अलग है. मैने पहले रियल लाइफ में अपना गेटअप चेज किया. मैंने जटा व दाढ़ी के साथ खुद को तैयार किया. महाकाल की तरह उनका स्वरूप बिल्कुल सात्विक है.
वेशभूषा भोजन सभी सात्विक है और वो हर दिन ऐसे ही सामान्य जीवन का वह निर्वहन कर रहे हैं. वह कहते हैं कि मुझे लगता है कि यदि मैं महादेव के किरदार को लोगों तक पहुंचा रहा हूं तो मुझे भी बिल्कुल शांत सरल सात्विक होना चाहिए, ताकि मैं कोई ऐसा अनैतिक काम ना करूं जो भगवान की इच्छा के विपरीत हो.
महादेव का स्वरूप लेने में चुनौतियां भी रहीं: सोनू बताते हैं कि इस फील्ड को चुनना उनके लिए चुनौतियों से कम नहीं था. परिवार ने तो उनका बखूबी साथ दिया, मगर समाज ने हर कदम पर उनके लिए मुश्किलें खड़ी की. कोइ नचनिया तो कोई बेकार काम कहता था. लेकिन, इन बाधाओं ने सोनू को हौसला दिया और वो अपनी मंजिल की ओर हर बाधा को पारकर आगे बढ़ते रहे है.
वह बताते हैं कि, लोग कहते थे कि महादेव के स्वरूप में क्या रखा है, नाचना-गाना शो क्यों करना, पढ़ो-लिखो बिजनेस करो, आगे बढ़ो. इसमें कोई भविष्य नहीं है. लेकिन मैंने इसे ही अपना भविष्य बनाया और महादेव के साथ महाकाल के स्वरूप को जन-जन तक पहुंचाने की कोशिश की, जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं और उन्हीं के साथ ही हम लोग इस काम को और भी ज्यादा आगे बढ़ा रहे हैं.
बड़े पर्दे पर दिखने की चाहत: सोनू बताते हैं कि, मैं थिएटर किया हुआ हूं, नाटक सीखा हूं. मुझे स्टेज शो को करके बेहद खुशी होती है. मेरी बस दो ख्वाहिश हैं. एक कि मैं महाकाल के स्वरूप को बड़े पर्दे पर लेकर के जाऊं और जन-जन को इससे जोड़ सकूं. मैने दो तीन भोजपुरी से लेकर हिंदी फिल्मों में छोटे-छोटे एक्ट किए हैं. मेरी इच्छा है कि जल्द ही महाकाल बड़े पर्दे पर नजर आए.
मां को सोने का कंगन तोहफे में देने की इच्छा: सोनू कहते हैं कि, मेरी दूसरी चाहत है कि मैं अपनी मां के लिए सोने का कंगन बनवा सकूं. मेरी मां को सोने के कंगन बहुत पसंद हैं. मैं सेविंग करके अपनी मां के लिए यह उपहार खरीदना चाहता हूं. जल्द ही मैं अपनी मां को यह दूंगा.
सोनू को कैसे मिली सपना: चार साल पहले सोनू की मुलाकात सपना से हुई. जहां सपना मां पार्वती के रूप में उनसे जुड़ गई. सपना बताती हैं कि उन्हें इस तरीके की झांकियां को करना शुरू से पसंद है. जब उनके गांव में पूरी टीम जाकर झांकी दिखा रही थी, तब उन्होंने उनसे संपर्क किया और वह मां पार्वती के रूप से जुड़ गईं. इस काम को शुरू करना मेरे लिए किसी बड़ी चुनौती से काम नहीं था.
सपना कहती हैं कि मैं एक बेहद मध्यम फैमिली से आती हूं. हमारा मकान मिट्टी का बना हुआ है. परिवार ने तो मेरा साथ दिया लेकिन, गांव और समाज के लोगों ने बहुत परेशान किया. महीनों लोगो ने पीछा किया कि आखिर मैं कहां जाती हूं लेकिन, अब धीरे-धीरे लोगों की सोच बदल रही है. अब लोग सम्मान की नजर से देखते हैं. उन्हें पता चलता है कि मैं मां पार्वती बनती हूं तो मेरी पूजा करते हैं. मेरा आशीर्वाद लेते हैं.
माताजी मानकर लोग सपना का लेते हैं आशीर्वाद: सपना कहती हैं कि, मेरी इच्छा है कि मैं इस काम को और आगे लेकर के जाऊं, ताकि और भी लोग उससे जुड़ सकें. उन्हें तब सुखानुभूति होती है जब लोग मां पार्वती को लेकर आशीर्वाद लेते हैं, पूजा करते हैं और अपने दुख बताते हैं. उन्हें लगता है कि हम वास्तविक के भगवान हैं, जो उनके सारे दुखों को दूर कर देंगे. इस दौरान हम लोग भी महादेव से प्रार्थना करते हैं कि वह जो भी कष्ट बता रहे हैं, उनका समाधान कर दें.
बेटे ने बदल दी दुनिया: परिवार वाले कहते हैं कि, सोनू ने उनकी पूरी दुनिया बदल दी है. अब लोग आकर उनके बेटे महादेव के बारे में पूछते हैं. तारीफ करते हैं. सोनू की दादी छन्नी देवी और मां मीरा देवी कहती हैं कि यह उनके लिए बहुत गर्व की बात है कि हर जगह उनके बेटे की चर्चा होती हैं. लोग महादेव के रूप में जानते हैं.
वह बताती हैं कि, उनके बेटे ने न सिर्फ उनका नाम रोशन किया है बल्कि घर की जिम्मेदारी में भी बहुत साथ दिया है. उन्हें बहुत अच्छा लगता है जब उनका बेटा महाकाल का स्वरूप धारण करता है. ऐसा लगता है जैसे स्वयं महादेव आ गए हों.
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