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मेष की संक्रांति और सौर वर्ष के शुरू होते ही गूंजेगी शहनाइयां, जानिए कब शुरू होंगे मांगलिक कार्य... - SHUBH MUHURUT FOR MARRIAGE

ग्रहों की गणना के अनुसार मुहूर्त तय होता है. गुरु के स्वामित्व की धनु और मीन में सूर्य होते हैं तो शुभ कार्य वर्जित हैं.

The clarinets will ring as soon as the Aries solstice and the solar year begin
मेष की संक्रांति और सौर वर्ष के शुरू होते ही गूंजेगी शहनाइयां (ETV Bharat Bikaner)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 8, 2025 at 10:26 AM IST

2 Min Read

बीकानेर: सनातन धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है. ग्रहों की गणना के अनुसार मुहूर्त तय होता है. खासतौर से सूर्य चंद्र गुरु का परिभ्रमण मुहूर्त पर काफी महत्व रखता है. वर्तमान में विवाह, नामकरण, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य अभी नहीं हो रहे हैं. एक सप्ताह बाद यानी 14 अप्रैल से मांगलिक कार्य शुरू होंगे.

ज्योतिषविद कपिल जोशी कहते हैं कि किसी भी मांगलिक कार्य के लिए सूर्य की गोचर स्थिति दिखा जाता है. वर्तमान में सूर्य मीन राशि में गोचर में है, जो गुरु के स्वामित्व वाली राशि है. माना जाता है कि गुरु के स्वामित्व की धनु और मीन में जब सूर्य होते हैं तो शुभ कार्य वर्जित होते हैं क्योंकि इस समय खरमास चल रहा होता है.

पढ़ें: वैशाख से शुरू होंगे विवाह मुहूर्त, इस बार 36 शुभ तिथियां, 6 जून तक रहेगा योग -

जोशी के अनुसार, 14 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे. यहीं से सौर वर्ष की शुरुआत होती है, जिसे मेष की संक्रांति भी कहा जाता है. सूर्य एक राशि में करीब एक माह तक रहते हैं. 14 मार्च से खरमास की शुरुआत हुई थी और 13 अप्रैल 2025 तक खरमास चलेगा. 13 अप्रैल को खरमास खत्‍म होते ही 14 अप्रैल से शहनाइयां बजेंगी.

दो महीने में 30 मुहूर्त : जोशी कहते हैं कि अप्रैल से जून के बीच करीब 30 शुभ मुहूर्त हैं. मई में सर्वाधिक मुहूर्त हैं. अप्रैल में अक्षय तृतीया का अबूझ मुहूर्त भी है. अप्रैल में 14,16 से 21,25,29,30 तारीख को विवाह के अलावा दूसरी मांगलिक कार्य किए जा सकेंगे. मई में 1, 5, 6, 8,10,14,15,16,17,18, 22, 23, 24,27,28 को शुभ मुहूर्त है. जून में 2,4,5, 7,8 को मुहूर्त है.

जून के बाद चार माह बंद सावे: जोशी कहते हैं कि जून के बाद शहनाई सीधे नवंबर में बजेगी क्योंकि चार्तुमास जुलाई में शुरू होगा, जो नवंबर तक चलेगा. इस साल 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी है. माना जाता है कि भगवान विष्‍णु आराम करने पाताल लोक चले जाते हैं. भगवान 4 माह निंद्रा में रहते हैं, जिसे चातुर्मास कहते हैं. इस चातुर्मास में कोई शुभ-मांगलिक कार्य नहीं होता. जब देवउठनी एकादशी पर श्रीहरि विष्‍णु युग निद्रा से उठेंगे, तब उनका तुलसीजी से विवाह होगा. इसके साथ शुभ-मांगलिक कार्य शुरू होंगे.

बीकानेर: सनातन धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है. ग्रहों की गणना के अनुसार मुहूर्त तय होता है. खासतौर से सूर्य चंद्र गुरु का परिभ्रमण मुहूर्त पर काफी महत्व रखता है. वर्तमान में विवाह, नामकरण, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य अभी नहीं हो रहे हैं. एक सप्ताह बाद यानी 14 अप्रैल से मांगलिक कार्य शुरू होंगे.

ज्योतिषविद कपिल जोशी कहते हैं कि किसी भी मांगलिक कार्य के लिए सूर्य की गोचर स्थिति दिखा जाता है. वर्तमान में सूर्य मीन राशि में गोचर में है, जो गुरु के स्वामित्व वाली राशि है. माना जाता है कि गुरु के स्वामित्व की धनु और मीन में जब सूर्य होते हैं तो शुभ कार्य वर्जित होते हैं क्योंकि इस समय खरमास चल रहा होता है.

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जोशी के अनुसार, 14 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे. यहीं से सौर वर्ष की शुरुआत होती है, जिसे मेष की संक्रांति भी कहा जाता है. सूर्य एक राशि में करीब एक माह तक रहते हैं. 14 मार्च से खरमास की शुरुआत हुई थी और 13 अप्रैल 2025 तक खरमास चलेगा. 13 अप्रैल को खरमास खत्‍म होते ही 14 अप्रैल से शहनाइयां बजेंगी.

दो महीने में 30 मुहूर्त : जोशी कहते हैं कि अप्रैल से जून के बीच करीब 30 शुभ मुहूर्त हैं. मई में सर्वाधिक मुहूर्त हैं. अप्रैल में अक्षय तृतीया का अबूझ मुहूर्त भी है. अप्रैल में 14,16 से 21,25,29,30 तारीख को विवाह के अलावा दूसरी मांगलिक कार्य किए जा सकेंगे. मई में 1, 5, 6, 8,10,14,15,16,17,18, 22, 23, 24,27,28 को शुभ मुहूर्त है. जून में 2,4,5, 7,8 को मुहूर्त है.

जून के बाद चार माह बंद सावे: जोशी कहते हैं कि जून के बाद शहनाई सीधे नवंबर में बजेगी क्योंकि चार्तुमास जुलाई में शुरू होगा, जो नवंबर तक चलेगा. इस साल 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी है. माना जाता है कि भगवान विष्‍णु आराम करने पाताल लोक चले जाते हैं. भगवान 4 माह निंद्रा में रहते हैं, जिसे चातुर्मास कहते हैं. इस चातुर्मास में कोई शुभ-मांगलिक कार्य नहीं होता. जब देवउठनी एकादशी पर श्रीहरि विष्‍णु युग निद्रा से उठेंगे, तब उनका तुलसीजी से विवाह होगा. इसके साथ शुभ-मांगलिक कार्य शुरू होंगे.

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