नई दिल्ली: दिल्ली के रोहिणी इलाके में स्थित आशा किरण शेल्टर होम में हुई मौतों के मामले को लेकर राजनीति गरमाई हुई है. इसको लेकर दिल्ली सरकार और राजनिवास आमने सामने हैं. इस मामले पर बीजेपी और कांग्रेस दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर हमलावर हैं. ऐसे में अब शेल्टर होम में हुई मौतों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिसके आधार पर ही दिल्ली पुलिस एफआईआर दर्ज करेगी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आने के चलते मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
रोहिणी के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट मनीष चंद्र वर्मा का कहना है कि जुलाई में हुई मौतों के मामले को गंभीरता से लिया गया है. सभी शवों का पोस्टमार्टम रोहिणी के बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में करवाया जा रहा है. अस्पताल को जल्द पोस्टमार्टम करने के निर्देश दिए गए हैं. जहां तक जुलाई से पहले की हुई मौतों का सवाल है तो उनकी रिपोर्ट आ चुकी है. उसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं मिली है. अब जुलाई में हुई मौतों की पीएम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. जिसमें अगर कोई गड़बड़ी मिलती है तो पुलिस को एफआईआर दर्ज करने को कहा जाएगा. इसके बाद पुलिस मामले की जांच करेगी.
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बताया जाता है कि जब भी आशा किरण होम में किसी की मौत होने पर नियमानुसार शव का पोस्टमार्टम कराया जाता है. कई बार पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने में काफी वक्त भी लग जाता है. कई मामलों में 6-6 माह के समय में रिपोर्ट मिलती है. अब एसडीएम की तरफ से जुलाई में हुई मौतों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है. पुलिस अधिकारी भी कह रहे हैं कि एसडीएम की तरफ से जांच के बारे में कहे जाने पर मामले की जांच की जाएगी.
होम प्रशासक के घर पर 2016 में सीबीआई ने मारा था छापा
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने शनिवार को एलजी वीके सक्सेना पर शेल्टर होम के प्रशासक के रूप में राहुल कुमार को नियुक्त करने के गंभीर आरोप लगाए थे. भारद्वाज ने आरोप लगाया था कि शेल्टर होम के प्रशासक राहुल अग्रवाल को बतौर एसडीएम 2016 में रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई ने जब राहुल अग्रवाल के घर छापा मारा था तो उनकी पत्नी ने सारा धन और जेवर छत पर टंकी के पास छिपा दिया था. राहुल अग्रवाल 5 साल तक सस्पेंड रहे थे. ऐसे में यदि हमारे पास किसी अधिकारी पर कार्रवाई करने का अधिकार ही नहीं होगा तो कार्रवाई कैसे होगी.
प्रशासक नियुक्ति मामले पर एलजी-सरकार में ठनी
इस सब आरोपों का खंडन करते हुए राजनिवास की ओर से कहा गया था कि आशा किरण होम के प्रशासक को दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग ने आंतरिक रूप से नियुक्त किया था. यह पूरी तरह से मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री के नियंत्रण में स्थानांतरण का सब्जेक्ट है. एलजी शेल्टर होम केप्र शासक नियुक्त नहीं करते हैं. तत्कालीन एलजी की मंजूरी के बाद 15 फरवरी 2021 को दानिक्स अधिकारी के रूप में समाज कल्याण विभाग में तैनात किया गया था. इसके बाद मंत्री ने उनको आशा किरण होम के एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में नियुक्त किया था.
पानी व फूड आइटम के उठाए सैंपल, जांच होगी
इस बीच पूरे प्रकरण के बीच शनिवार को एसडीएम वर्मा ने आशा किरण होम का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया था. वर्तमान में 15-20 लोगों के बीमार होने की सूचना है जिनका मेडिकल कराया जा रहा है. कई लोग ट्रीटमेंट के लिए आंबेडकर अस्पताल में एडमिट हैं. जहां तक पानी के सैंपल की जांच की रिपोर्ट का सवाल है तो उसका आना अभी बाकी है. होम में फूड आइटम्स की भी जांच पड़ताल की जा रही है, जिसके सैंपल कलेक्ट किए गए हैं.
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