कोरबा: ऊर्जाधानी कोरबा में बड़ी संख्या में कल और कारखाने हैं. प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन करने वाला जिला भी कोरबा ही है. कोरबा में एनटीपीसी का पावर प्लांट भी है. पावर प्लांट से जहां बिजली का भरपूर उत्पादन होता है वहीं प्लांट से निकलने वाले राख से प्रदूषण भी फैलता है. प्रदूषण एक बड़ी समस्या प्लांट और उसके आस पास गांवों के लिए रही है. समय समय पर लोग इस प्रदूषण के खिलाफ आवाज भी उठाते रहे हैं. शुक्रवार को इसी कड़ी में धनरास गांव के लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया. गांव वालों ने एनटीपीसी अफसरों पर राख फेंककर बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ विरोध जताया. बाद में प्लांट प्रबंधन की ओर से आए अफसरों ने गांव वालों को आश्वासन दिया कि जल्द ही प्रदूषण और राख की समस्या का समाधान किया जाएगा.
अफसरों पर फेंकी राख: दरअसल धनरास गांव के पास ही एनटीपीसी का पावर प्लांट लगा है. प्लांट से बड़ी मात्रा में राखड़ उड़कर लोगों के घरों और खेतों में पहुंचता है. परेशान गांव वाले अपनी समस्या को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. शुक्रवार को जब कंपनी के अफसर उनको समझाने पहुंचे तो ग्रामीणों ने उनपर राख फेंका और राखड़ से हो रहे प्रदूषण पर विरोध जताया. ग्रामीणों का कहना है कि पावर प्लांट प्रबंधन द्वारा राखड़ डैम का उचित प्रबंधन नहीं किया जाता. गर्मी के मौसम में राख उड़कर उनके गांव में आ रही है. जिससे वह बेहद परेशान हैं. एक दिन पहले हुई इस घटना के बाद ग्रामीणों के साथ अधिकारियों ने बैठक की और समस्या के निराकरण का आश्वासन भी दिया था.

धनरास में ग्रामीण कर रहे प्रदर्शन: जिले के उप नगरीय क्षेत्र छूरी के समीप गांव धनरास स्थित है. यहां एनटीपीसी कोरबा का राखड़ डैम स्थापित है. ग्रामीणों का आरोप है कि पावर प्लांट प्रबंधन ने उनकी उपजाऊ जमीनों का अधिग्रहण किया. यह राख डैम बना दिया, लेकिन अपने वादों को पूरा नहीं किया. जिसके कारण न सिर्फ गांव धनरास बल्कि आसपास के गांव पुरैनाखार, झोरा, छूरी, घोरापाठ, घमोटा और लोतलोता में ग्रामीणों का जीना दुश्वार हो गया है. खास तौर पर गर्मी के मौसम में तेज हवा के साथ राख दूर-दूर तक फैल जाती है. खेतों की फसल प्रभावित हो रही है. ग्रामीणों की सेहत खराब हो रही है. यदि घर के आंगन में बर्तन या खाना रख दिया जाए, तब राख इतनी गिरती है कि वह भी पूरी तरह से खराब हो जाता है. कई कृषि योग्य भूमि भी दलदली क्षेत्र में तब्दील हो गई है.


2024 में एनटीपीसी और ग्रामीणों के बीच हुआ था समझौता: धनरास ग्रामीण इस तरह का आंदोलन कई बार कर चुके हैं. पिछली बार अक्टूबर 2024 में भी वह प्रदूषण और राख के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. तब प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में प्रभावितों से एक समझौता किया गया था. रोजगार, मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना, राख की समस्या का समाधान करना और अन्य मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया था. ग्रामीणों की मानें तो इन मांगों में से एक भी वादा अब तक एनटीपीसी प्रबंधन ने पूरा नहीं किया है. आंदोलन करने पर ही अधिकारी गांव में आते हैं. जिसकी वजह से वह धरने पर बैठे हैं. ग्रामीणों ने विरोध करते हुए राख का परिवहन भी रोक दिया है. राख का परिवहन रोके जाने के बाद ही अधिकारी मौके पर पहुंचे थे. पावर प्लांट संचालित करने के लिए राख परिवहन बेहद जरूरी है.