चूरू: सड़क हादसे में घायल हुए भारतीय सेना में हवलदार भवानी सिंह राठौड़ का दिल्ली के अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया. सोमवार को उनकी पार्थिव देह उनके पैतृक गांव भालेरी पहुंची, जहां युवाओं और ग्रामीणों ने कोटवाद ताल गांव तक नौ किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली. इस दौरान "भवानी सिंह अमर रहें" और "भारत माता की जय" के नारों से वातावरण गूंज उठा. हजारों लोगों ने गांव के इस वीर सपूत को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दी.
गमगीम हुए परिजन : विधायक हरलाल सहारण ने बताया कि तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह को फूलों से सजे ट्रक में गांव तक लाया गया, जैसे ही भवानी सिंह का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा, वहां कोहराम मच गया. बुजुर्ग पिता मदन सिंह की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. वहीं, मात्र 9 साल के मासूम बेटा जयवीर भी फूट-फूटकर रोने लगा. मां अपने बेटे को तिरंगे में लिपटा देख बिलख पड़ी. पत्नी मनोज कंवर पति की पार्थिव देह देख बेसुध हो गईं. इस हृदयविदारक दृश्य को देख वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं.
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गांव के लाडले की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए. मुक्तिधाम में हवलदार भवानी सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. अंतिम संस्कार में विधायक हरलाल सहारण, भाजपा नेता पराक्रम सिंह राठौड़, प्रधान दीपचंद राहड़, एसडीएम बिजेंद्र सिंह समेत कई अधिकारी और नेता शामिल हुए. सेना के जवानों के साथ नेताओं और अधिकारियों ने पुष्प चक्र अर्पित कर भवानी सिंह को श्रद्धांजलि दी.
बता दें कि 38 वर्षीय भवानी सिंह राठौड़ भारतीय सेना में हवलदार थे. वे 14 राज राइफल में थे और चीन सीमा पर तैनात थे. भवानी सिंह घर छुट्टी आए हुए थे और 24 फरवरी को ड्यूटी पर लौटते समय बीकानेर में सड़क हादसे में घायल हो गए थे, जिनका दिल्ली के आर्मी बेस अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया.