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हरियाणा में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी होगी बंद, अनावश्यक नहीं बढ़ा सकेंगे बस्ते का बोझ, राज्य सरकार ने जारी की चेतावनी - ACTION AGAINST PRIVATE SCHOOLS

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से हर अभिभावक परेशान है. इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने पहल की है.

Action Against private schools
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : April 8, 2025 at 9:04 PM IST

4 Min Read

पंचकूला: हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों/परिजनों की फरियाद अब राज्य सरकार के कानों तक भी पहुंच गई है. नतीजतन प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर डाला जा रहा अनावश्यक आर्थिक बोझ कम करने के लिए राज्य सरकार सख्त हो गई है. अब प्राइवेट स्कूल मनमाने ढंग से छात्रों के परिजनों को पुस्तकें, स्कूल यूनिफार्म, पानी की बोतलें और स्टेशनरी का सामान खरीदने को मजबूर नहीं कर सकेंगे. राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्धारित नियमों की पालना नहीं करने वाले स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. निजी स्कूलों को एडवाइजरी जारी कर अहम निर्देश दिए हैं.

स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश: स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कुछ निजी स्कूल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम 2009 और हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम एवं विनियमन 2013 के साथ-साथ किताबें, स्कूल ड्रेस सहित अन्य वस्तुओं की खरीद के संबंध में विभागीय दिशा-निर्देशों की पालना नहीं कर रहे हैं. नतीजतन निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश के सभी डीईओ और डीईईओ अपने अधिकार क्षेत्र के विद्यालयों में नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराएं. कहा गया है कि कोई भी निजी स्कूल अभिभावकों को एनसीईआरटी या सीबीएसई द्वारा अनुमोदित पुस्तकों के बजाय निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. यह भी कहा गया है कि पुस्तकें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप होनी चाहिए.

प्रदेशभर से निजी स्कूलों के खिलाफ शिकायतें:
हरियाणा के अलग-अलग जिलों से निजी स्कूलों द्वारा छात्रों और अभिभावकों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ डाले जाने की शिकायतें मिल रही थी. यहां तक की कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर भी निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ पोस्ट डाली गई. प्रदेश भर से मिल रही ऐसी शिकायतों के मद्देनजर राज्य सरकार के आदेश पर स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा निजी स्कूलों को सख्त हिदायतें जारी की गई हैं.

इन बिंदुओं पर ध्यान देने के निर्देश:

  1. लागत को नियंत्रित करने के लिए अभिभावकों को एनसीईआरटी या सीबीएसई द्वारा अनुमोदित पुस्तकों के बजाय निजी प्रकाशकों से पुस्तक खरीद के लिए मजबूर न किया जाए.
  2. पुरानी या अप्रासंगिक संदर्भ पुस्तकों की संस्तुति करना, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और स्कूली शिक्षा और आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) के साथ नहीं है. स्कूल उपलब्ध ऑनलाइन ओपन सोर्स संदर्भ सामग्री पर भी विचार करने में विफल रहे हैं. इसके अलावा कुछ स्कूलों द्वारा पर्यावरण संबंधी लाभों के बावजूद छात्रों द्वारा प्रयुक्त पुस्तकों के उपयोग को हतोत्साहित किया जा रहा है.
  3. बार-बार स्कूल यूनिफॉर्म बदलने से अभिभावकों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ता है. कुछ स्कूल विशिष्ट लोगो वाली यूनिफॉर्म को अनिवार्य करते हैं, जिससे अभिभावकों को उन्हें निर्धारित विक्रेताओं से ऊंची कीमतों पर खरीदने को मजबूर होना पड़ता है.
  4. स्कूलों में पेयजल के प्रावधान को अनिवार्य करने वाले नियमों के बावजूद छात्रों को स्कूल के जल स्रोतों से पीने की अनुमति देने के बजाय पानी की बोतल ले जाने के लिए मजबूर करना.

बस्ते के वजन पर देना होगा ध्यान:
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि स्कूल से संबंधित अतिरिक्त पुस्तकें और अन्य सामान जैसे- पानी की बोतल ले जाने से स्कूल बैग का वजन बढ़ता है, जबकि इस बात की अनदेखी की जाती है कि स्कूल में बच्चों के लिए क्या-क्या जरूरी है.


कक्षा के अनुसार बस्ते के बोझ की सीमा:

कक्षा वजन
1-2 1.5 किग्रा.
3-5 2-3 किग्रा.
6-7 4 किग्रा.
8-9 4:30 किग्रा.

10वीं 5 किग्रा.

निदेशालय को भेजनी होगी रिपोर्ट:
स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश में सभी डीईओ और डीईईओ को उनके अधिकार क्षेत्र में नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें किसी भी स्कूल को छात्रों और अभिभावकों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ नहीं डालना चाहिए, ताकि उन्हें मजबूर नहीं होना पड़े.

मानदंडों के उल्लंघन पर कार्रवाई:
आदेश में कहा गया है कि उक्त मानदंडों का उल्लंघन करने वाले किसी भी निजी स्कूल के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए. उल्लंघन करने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई के साथ अनुपालना रिपोर्ट विभाग को प्रस्तुत किए जाने बारे भी कहा गया है.

Action Against private schools
स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश (Etv Bharat)
Action Against private schools
स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेश (Etv Bharat)

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पंचकूला: हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों/परिजनों की फरियाद अब राज्य सरकार के कानों तक भी पहुंच गई है. नतीजतन प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर डाला जा रहा अनावश्यक आर्थिक बोझ कम करने के लिए राज्य सरकार सख्त हो गई है. अब प्राइवेट स्कूल मनमाने ढंग से छात्रों के परिजनों को पुस्तकें, स्कूल यूनिफार्म, पानी की बोतलें और स्टेशनरी का सामान खरीदने को मजबूर नहीं कर सकेंगे. राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्धारित नियमों की पालना नहीं करने वाले स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. निजी स्कूलों को एडवाइजरी जारी कर अहम निर्देश दिए हैं.

स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश: स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कुछ निजी स्कूल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम 2009 और हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम एवं विनियमन 2013 के साथ-साथ किताबें, स्कूल ड्रेस सहित अन्य वस्तुओं की खरीद के संबंध में विभागीय दिशा-निर्देशों की पालना नहीं कर रहे हैं. नतीजतन निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश के सभी डीईओ और डीईईओ अपने अधिकार क्षेत्र के विद्यालयों में नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराएं. कहा गया है कि कोई भी निजी स्कूल अभिभावकों को एनसीईआरटी या सीबीएसई द्वारा अनुमोदित पुस्तकों के बजाय निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. यह भी कहा गया है कि पुस्तकें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप होनी चाहिए.

प्रदेशभर से निजी स्कूलों के खिलाफ शिकायतें:
हरियाणा के अलग-अलग जिलों से निजी स्कूलों द्वारा छात्रों और अभिभावकों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ डाले जाने की शिकायतें मिल रही थी. यहां तक की कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर भी निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ पोस्ट डाली गई. प्रदेश भर से मिल रही ऐसी शिकायतों के मद्देनजर राज्य सरकार के आदेश पर स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा निजी स्कूलों को सख्त हिदायतें जारी की गई हैं.

इन बिंदुओं पर ध्यान देने के निर्देश:

  1. लागत को नियंत्रित करने के लिए अभिभावकों को एनसीईआरटी या सीबीएसई द्वारा अनुमोदित पुस्तकों के बजाय निजी प्रकाशकों से पुस्तक खरीद के लिए मजबूर न किया जाए.
  2. पुरानी या अप्रासंगिक संदर्भ पुस्तकों की संस्तुति करना, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और स्कूली शिक्षा और आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) के साथ नहीं है. स्कूल उपलब्ध ऑनलाइन ओपन सोर्स संदर्भ सामग्री पर भी विचार करने में विफल रहे हैं. इसके अलावा कुछ स्कूलों द्वारा पर्यावरण संबंधी लाभों के बावजूद छात्रों द्वारा प्रयुक्त पुस्तकों के उपयोग को हतोत्साहित किया जा रहा है.
  3. बार-बार स्कूल यूनिफॉर्म बदलने से अभिभावकों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ता है. कुछ स्कूल विशिष्ट लोगो वाली यूनिफॉर्म को अनिवार्य करते हैं, जिससे अभिभावकों को उन्हें निर्धारित विक्रेताओं से ऊंची कीमतों पर खरीदने को मजबूर होना पड़ता है.
  4. स्कूलों में पेयजल के प्रावधान को अनिवार्य करने वाले नियमों के बावजूद छात्रों को स्कूल के जल स्रोतों से पीने की अनुमति देने के बजाय पानी की बोतल ले जाने के लिए मजबूर करना.

बस्ते के वजन पर देना होगा ध्यान:
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि स्कूल से संबंधित अतिरिक्त पुस्तकें और अन्य सामान जैसे- पानी की बोतल ले जाने से स्कूल बैग का वजन बढ़ता है, जबकि इस बात की अनदेखी की जाती है कि स्कूल में बच्चों के लिए क्या-क्या जरूरी है.


कक्षा के अनुसार बस्ते के बोझ की सीमा:

कक्षा वजन
1-2 1.5 किग्रा.
3-5 2-3 किग्रा.
6-7 4 किग्रा.
8-9 4:30 किग्रा.

10वीं 5 किग्रा.

निदेशालय को भेजनी होगी रिपोर्ट:
स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश में सभी डीईओ और डीईईओ को उनके अधिकार क्षेत्र में नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें किसी भी स्कूल को छात्रों और अभिभावकों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ नहीं डालना चाहिए, ताकि उन्हें मजबूर नहीं होना पड़े.

मानदंडों के उल्लंघन पर कार्रवाई:
आदेश में कहा गया है कि उक्त मानदंडों का उल्लंघन करने वाले किसी भी निजी स्कूल के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए. उल्लंघन करने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई के साथ अनुपालना रिपोर्ट विभाग को प्रस्तुत किए जाने बारे भी कहा गया है.

Action Against private schools
स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश (Etv Bharat)
Action Against private schools
स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेश (Etv Bharat)

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