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मियांवाला नहीं इस्लामी नाम, पहाड़ी राजपूतों से है कनेक्शन, आक्रोशित जनता ने उठाये सवाल - MIYANWALA RENAMED

मियांवाला क्षेत्र के लोगों ने की नाम न बदलने की अपील, अस्तित्व मिटाने का लगाया आरोप, सर्वे का उठाया मुद्दा

MIYANWALA RENAMED
मियांवाला का नाम बदला (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 3, 2025 at 6:33 PM IST

3 Min Read

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने 2 दिन पहले उत्तराखंड के 17 स्थानों का नाम बदलकर नया नामकरण किया. इस कदम के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गुरुवार को कई लोगों ने धन्यवाद भी किया. बाकायदा इसके लिए एक कार्यक्रम रखा गया. जिसमें हरिद्वार, उधम सिंह नगर और देहरादून के कई लोग शामिल हुए. लेकिन राजधानी देहरादून के मियांवाला का नाम बदले जाने पर मियांवाला के लोग नाखुश हैं. उन्होंने सरकार से मियांवाला जगह का नाम न बदलने की गुजारिश की है. इसके पीछे उन्होंने तर्क भी दिया है कि मियां किसी धर्म विशेष या विशेष समुदाय का नहीं, उत्तराखंड के ही पहाड़ी मूल के राजपूत से जुड़ा उपनाम है.

मियांवाला के रहने वाले दीपेंद्र चौधरी कहते हैं कि कुछ लोग जानबूझकर इस तरह की हरकत कर रहे हैं. वह हमारे पूर्वजों और हमारी इस धरोहर को बदनाम कर रहे हैं. कुछ लोगों को लगता है कि मियांवाला इस्लामी नाम है. जबकि ऐसा नहीं है. यह हमारे पूर्वजों का उपनाम है. यह नाम गुरु राम राय से भी पहले का है. यहां पर हमारे पूर्वज ही रहा करते थे. आज भी हम लोग यहीं पर रहते हैं. लेकिन कुछ लोग अपनी राजनीति के चक्कर में हमारा नाम और हमारा अस्तित्व मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे. हमारे घर, परिवार, खेत-खलियान,चौक-चौराहे सभी मियांवाला के नाम से प्रसिद्ध हैं और इसका नाम बदलना बेहद गलत है.

Miyanwala renamed
मियांवाला क्षेत्र के लोगों ने डीएम के जरिए सरकार को भेजा ज्ञापन. (PHOTO-ETV Bharat)

लोगों का कहना है कि इस नाम को बदलने से पहले कोई जनमत या किसी स्थानीय व्यक्ति से नहीं पूछा गया. यहां पर अगर किसी से पूछा जाता तो उन्हें यह मालूम होता.

मियांवाला का नाम बदलने पर आक्रोश (ETV BHARAT)

मियांवाला में रहने वाले सोम प्रकाश बताते हैं कि सरकार को पहले इसका इतिहास पढ़ना चाहिए था. साल 1676 में यह गांव अस्तित्व में आया था. 1717 से लेकर 1772 तक प्रदीप शाह के शासन के दौरान भी यहां पर मियां लोग रहते थे. पुरानी किताबों में भी इसका जिक्र मिल जाएगा. लेकिन अब इसका नाम बदलकर इस स्थान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. लगभग 60 साल के सोम प्रकाश कहते हैं कि इस नाम को बदलने से पहले किसी से भी ना तो पूछा गया और ना ही कोई राय ली गई.

मियांवाला का नाम बदलने पर आक्रोश (ETV BHARAT)

वहीं स्थानीय युवा लोग भी चाहते हैं कि अगर मियांवाला का नाम बदलना है तो पहले इसका पूरा सर्वे किया जाए. लोगों से बातचीत की जाए और उसके बाद इस नाम का परिवर्तन किया जाए. आज सभी स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी देहरादून को भी इस बाबत एक ज्ञापन दिया है. यह मांग की है कि पुराने स्वरूप और पुराने नाम को ना छेड़ा जाए.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में धामी सरकार का बड़ा फैसला, 4 जिलों में बदले 17 जगहों के नाम, यहां देखिए पूरी लिस्ट

ये भी पढ़ें:उत्तराखंड में नेम पॉलिटिक्स की एंट्री, समझें धामी सरकार के नाम बदलने की राजनीति, विपक्ष भी उठा रहा सवाल

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने 2 दिन पहले उत्तराखंड के 17 स्थानों का नाम बदलकर नया नामकरण किया. इस कदम के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गुरुवार को कई लोगों ने धन्यवाद भी किया. बाकायदा इसके लिए एक कार्यक्रम रखा गया. जिसमें हरिद्वार, उधम सिंह नगर और देहरादून के कई लोग शामिल हुए. लेकिन राजधानी देहरादून के मियांवाला का नाम बदले जाने पर मियांवाला के लोग नाखुश हैं. उन्होंने सरकार से मियांवाला जगह का नाम न बदलने की गुजारिश की है. इसके पीछे उन्होंने तर्क भी दिया है कि मियां किसी धर्म विशेष या विशेष समुदाय का नहीं, उत्तराखंड के ही पहाड़ी मूल के राजपूत से जुड़ा उपनाम है.

मियांवाला के रहने वाले दीपेंद्र चौधरी कहते हैं कि कुछ लोग जानबूझकर इस तरह की हरकत कर रहे हैं. वह हमारे पूर्वजों और हमारी इस धरोहर को बदनाम कर रहे हैं. कुछ लोगों को लगता है कि मियांवाला इस्लामी नाम है. जबकि ऐसा नहीं है. यह हमारे पूर्वजों का उपनाम है. यह नाम गुरु राम राय से भी पहले का है. यहां पर हमारे पूर्वज ही रहा करते थे. आज भी हम लोग यहीं पर रहते हैं. लेकिन कुछ लोग अपनी राजनीति के चक्कर में हमारा नाम और हमारा अस्तित्व मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे. हमारे घर, परिवार, खेत-खलियान,चौक-चौराहे सभी मियांवाला के नाम से प्रसिद्ध हैं और इसका नाम बदलना बेहद गलत है.

Miyanwala renamed
मियांवाला क्षेत्र के लोगों ने डीएम के जरिए सरकार को भेजा ज्ञापन. (PHOTO-ETV Bharat)

लोगों का कहना है कि इस नाम को बदलने से पहले कोई जनमत या किसी स्थानीय व्यक्ति से नहीं पूछा गया. यहां पर अगर किसी से पूछा जाता तो उन्हें यह मालूम होता.

मियांवाला का नाम बदलने पर आक्रोश (ETV BHARAT)

मियांवाला में रहने वाले सोम प्रकाश बताते हैं कि सरकार को पहले इसका इतिहास पढ़ना चाहिए था. साल 1676 में यह गांव अस्तित्व में आया था. 1717 से लेकर 1772 तक प्रदीप शाह के शासन के दौरान भी यहां पर मियां लोग रहते थे. पुरानी किताबों में भी इसका जिक्र मिल जाएगा. लेकिन अब इसका नाम बदलकर इस स्थान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. लगभग 60 साल के सोम प्रकाश कहते हैं कि इस नाम को बदलने से पहले किसी से भी ना तो पूछा गया और ना ही कोई राय ली गई.

मियांवाला का नाम बदलने पर आक्रोश (ETV BHARAT)

वहीं स्थानीय युवा लोग भी चाहते हैं कि अगर मियांवाला का नाम बदलना है तो पहले इसका पूरा सर्वे किया जाए. लोगों से बातचीत की जाए और उसके बाद इस नाम का परिवर्तन किया जाए. आज सभी स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी देहरादून को भी इस बाबत एक ज्ञापन दिया है. यह मांग की है कि पुराने स्वरूप और पुराने नाम को ना छेड़ा जाए.

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