कोटा: कभी खेतों में पसीना बहाने वाले अंश ने कोटा में तालीम हासिल करते हुए इतिहास रच दिया. बरेली के अंश प्रताप ने आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी के बीच हासिल JEE के ताजा नतीजों में 658वीं रैंक हासिल की है. इस दौरान उनकी मदद के लिए निजी कोचिंग मोशन एजुकेशन की स्कॉलरशिप का सहारा भी मिला. अंश ने ईटीवी भारत को बताया कि उसके सपने को पूरा करने के लिए सर्द रातों में उसके पिता ने थके शरीर से कभी खेतों में मजदूरी की और कभी इमारतों पर बोझा ढोया. इस दौरान अंश ने आईआईटी का सपना संजोया.
स्कॉलरशिप ने बांधी उम्मीद: JEE क्लियर करने वाले अंश प्रताप उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के एक छोटे से मोहल्ले में रहने वाले हैं. 200 से 500 रुपए की दिहाड़ी मजदूरी करने वाले अंश ने पिता के इस संघर्ष का महत्व समझा और सपने को पूरा करने के लिए पूरी मेहनत की. पिछले साल अंश ने पहली बार JEE Main की परीक्षा दी थी. इस दौरान उसने बिना किसी कोचिंग और पर्याप्त संसाधनों के प्रयास किया, जो कामयाब नहीं हो सका.
पिता की बदौलत पाया मुकाम: इसके बाद अंश को कोटा के विजय सर की मदद मिली और 21,000 रुपए की स्कॉलरशिप के कारण सपने की ओर बढ़ने का एक मुकाम मिल गया. भावुक होते हुए अंश ने बताया, 'मुझे खुद पर भरोसा था, लेकिन सही मार्गदर्शन नहीं था. जब छात्रवृत्ति की घोषणा हुई, तब मेरी मां वर्षों बाद मुस्कराई थीं. ऐसा लगा जैसे कुछ सच्चा शुरू हो गया हो.' उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता मेरे सबसे बड़े सहायक रहे हैं. मेरे पिता की मेहनत की बदौलत ही आज मैं अपने सपने के इतने करीब हूं.

सपना हो गया साकार: अंश के मुताबिक कोटा आना, कोचिंग शुरू करना, नए माहौल में खुद को ढालना, ये सब आसान नहीं था. उन्होंने कहा कि अगर इरादा मजबूत हो, तो परिस्थितियां भी झुक जाती हैं. इस बार, उसने JEE Main में 658वीं रैंक प्राप्त कर ली और साथ ही अपनी मेहनत, संघर्ष और मोशन की मदद को सच्ची श्रद्धांजलि दी. अंश ने कहा कि मैंने हमेशा कल्पना की थी कि IIT का हिस्सा बनना कैसा होगा और अब वह सपना मुझे साकार होता दिख रहा है. मैं अपनी पूरी ताकत झोंक दूंगा इसे हासिल करने के लिए. अंश की कामयाबी पर कोटा की कोचिंग के संस्थापक नितिन विजय कहते हैं हर बच्चा टॉपर बन सकता है, उसे बस एक मौके की जरूरत होती है. हमारी कोशिश है कि टैलेंट को पहचानें, न कि केवल फीस को.