पटना : कहते हैं राजनीति हो या फिर अपराध की दुनिया, दोनों में गुरु से आगे शागिर्द निकलना चाहता है. ईटीवी भारत जो कहानी बताने जा रहा है वह इसी ओर इशारा करता है. इस कहानी में अपराध भी है और राजनीति भी. इस कहानी में गुरु भी हैं और शागिर्द भी.
60 से 70 राउंड फायरिंग : कई अरसे बाद बिहार के सर जमीन पर लगातार 60 से 70 राउंड फायरिंग हुई, पूरा इलाका थर्रा उठा. गोलियों की तड़तड़ाहट से इलाके के लोग खौफजदा हो गए. लोगों को वह दौर याद आने लगा जब मोकामा के टाल इलाके में दो बाहुबली टकराते थे तो, घंटों गोलियां चलती थी. वह दोनों बाहुबली थे अनंत सिंह और विवेका पहलवान.
अनंत सिंह और विवेका पहलवान की अदावत : दोनों की अदावत ऐसी थी कि दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे थे. यहां तक कि विवेका पहलवान ने तो पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह के सीने में कई गोलियां भी दाग दी थी लेकिन, किस्मत ने साथ दिया और अनंत सिंह बच गए थे. यह सारी कहानी हम बताएंगे. इस कहानी को जानने से पहले यह जान लीजिए कि बुधवार को क्या हुआ था?
आपसी विवाद में चली गोली : एक जमीन विवाद को सुलझाने के लिए पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह अपने लावलश्कर के साथ आए थे और बातचीत के दौरान ही गोलियों की तड़तड़ाहट पूरे इलाके में गूंजने लगी थी. आरोप उनके दुश्मन विवेका पहलवान के दो शिष्य सोनू और मोनू पर लगा. बताया गया कि गोलियों से अनंत सिंह पर हमला किया गया है.
बदला लेना चाहते हैं अनंत सिंह- सोनू : बाद में सोनू सिंह ने मीडिया में कहा कि वह दोनों भाई वहां नहीं थे. यह हमला और फायरिंग अनंत सिंह के लोगों ने ही की थी. सोनू ने बताया की लड़ाई तो एक बहाना है उनकी पत्नी (नीलम देवी) के चुनाव में हमलोगों ने विरोध किया था इसलिए उसका बदला पूर्व विधायक लेना चाहते हैं. इसीलिए वह बहाना ढूंढ कर अब इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.

''कल का जो लठैत होगा वह बड़ा बाहुबली बनने की कोशिश करेगा. जो सेनापति है वह राजा बनने की कोशिश करता है और यही हो रहा है. देखिए, अंडरवर्ल्ड में और बाहुबल में यह होता रहा है कि कल तक जो शूटर होता था वह बाद में डॉन बन ही जाता था और यही चाहत सोनू मोनू के अंदर भी है.''- अमिताभ ओझा, वरिष्ठ पत्रकार
भतीजा बाहुबली-चाचा पहलवान : अब आपको बताते हैं कि यह विवेका पहलवान कौन हैं? विवेका पहलवान अनंत सिंह के ही रिश्तेदार हैं. बगल में घर है, मोकामा के लदमा में दोनों का आवास है. गांव की भाषा में कहें तो दोनों एक-दूसरे के गोतिया हैं. दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजा लगते हैं. लेकिन, दोनों की दुश्मनी पहले से थी.

अनंत सिंह के भाई की हत्या के बाद बढ़ी दुश्मनी : यह दुश्मनी उस समय परवान चढ़ी जब अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह जो पेसे से वकील थे उनकी हत्या कर दी गई थी. हत्या का आरोप विवेका पहलवान पर लगा था. उसके बाद एक ही गांव के दो दुश्मन आपस में इस तरह से टकराते रहे थे कि कभी-कभी कई-कई घंटे तक उनके लोगों में फायरिंग होती रहती थी.
''पटना में बोरिंग रोड चौराहा के पास अनंत सिंह के भाई की हत्या हुई थी. कई राउंड गोलियां भी चली थी. इलाके में ठेका को लेकर इन लोगों में कई बार गोलियां चली है. उस दरमियान विवेका पहलवान कई वर्षों तक भूमिगत रहे थे.''- अमिताभ ओझा, वरिष्ठ पत्रकार
अनंत सिंह को 8-10 गोली लगी थी : अनंत सिंह पर एक-47 से हमला हो चुका है. वह बाल बाल बच गए थे. जब वह घर से निकल रहे थे, बगल में विवेका पहलवान का घर था. वहां उन पर फायरिंग हुई, उस समय अनंत सिंह को 8 से 10 गोली लगी थी. लदमा से ट्रेन से लोग अनंत सिंह को लेकर राजेंद्र नगर टर्मिनल पर आए थे, वहां कोई गाड़ी नहीं मिली थी तो, अनंत सिंह को ठेला पर लाद कर उनके समर्थक अशोक राजपथ के एक अस्पताल पर ले गए थे. वहां उनका ऑपरेशन हुआ था और वह बाल-बाल बचे थे.
दोनों में ललन सिंह ने समझौता कराया : विवेका पहलवान और अनंत सिंह की दुश्मनी लगातार चलती आ रही थी. वक्त और हालात बदले, जब अनंद सिंह के दो भाई मारे गए और इधर से भी कुछ सॉफ्टनेस हुआ, तो कुछ लोगों ने मध्यस्थता की. जिसमें मुख्य भूमिका मुंगेर के सांसद ललन सिंह की भी थी.

''ऊपर के लोगों ने तो पैचअप कर लिया लेकिन, नीचे के लोग वह पैचअप नहीं कर पाए. जो उनके शूटर थे, जो उनके लठैत थे, वह एक-दूसरे के दुश्मन बने रहे. भोला सिंह खुलेआम अनंत सिंह को चैलेंज देता है. सोनू-मोनू विवेका पहलवान के शूटर हुआ करते थे, यह लोग पैच अप नहीं कर पाए. सोनू-मोनू, मानिक, भोला यह सब विवेका पहलवान के लिए काम करते थे. हालांकि अभी देखा जाए तो विवेका पहलवान चुनावी दृष्टिकोण से अनंत सिंह के साथ है. अनंत सिंह के समर्थन में है.''- अमिताभ ओझा, वरिष्ठ पत्रकार
सोनू-मोनू अपना रसूख बढ़ाना चाहते हैं : वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ ओझा बताते हैं, सोनू मोनू की मां निर्विरोध हेमजा पंचायत की मुखिया हैं. अभी इन लोगों को लगता है कि अनंत सिंह इतने दिनों तक विधायक रह लिए. अब हमलोग भी अपनी राजनीति को आगे बढ़ाएं.
''अनंत सिंह के रसूख में कमी आई है. पहले वह जो बोल देते थे वह लकीर होता था. अब अनंत सिंह को छोटे मामले में जाना पड़ा और उसके लिए गोली चली है तो यह अनंत सिंह के लिए बड़ी बात है. यह स्थिति में बदलाव है. किसी भी अंडरवर्ल्ड की बात है.''- अमिताभ ओझा, वरिष्ठ पत्रकार
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