नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार ने दृष्टिकोण में बदलाव दिखाया है. जिसकी वजह से नक्सलवाद पर गहरी चोट पड़ी है. शुक्रवार को संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह बयान दिया है. उन्होंने कहा कि दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार के दृष्टिकोण के कारण पिछले एक साल में 2,619 नक्सलियों को गिरफ्तार किए गए, सरेंडर किए गए या मार दिए गए.
"21 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का खात्मा हो जाएगा": छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर लगातार एक्शन हो रहे हैं. राज्यसभा में बहस का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि 21 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का खात्मा हो जाएगा. क्या होता है जब एक ऐसी सरकार होती है जो नक्सलवाद को एक राजनीतिक मुद्दा मानती है और क्या होता है जब एक ऐसी सरकार सत्ता में आती है जो सुरक्षा के साथ-साथ विकास के लिए काम करती है. जब दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ में भाजपा सत्ता में आई, उसके बाद एक साल में 380 नक्सली मारे गए जबकि कल मारे गए 30 नक्सलियों को इसमें नहीं जोड़ा गया है. इन अभियानों में 26 सुरक्षाकर्मी मारे गए.
मैं आपको बता दूं कि 21 मार्च 2026 तक हमारे देश से नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. यह मोदी सरकार की पिछले 10 वर्षों की कड़ी मेहनत का नतीजा है. छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार कांग्रेस की तुलना में नक्सलवाद की समस्या से अलग तरीके से निपट रही है और सक्रिय नक्सलियों की संख्या में 2619 की कमी आई है- अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री
यह वही छत्तीसगढ़ था, वही पुलिस, बीएसएफ और भारत सरकार थी, जिसमें केवल कांग्रेस सत्ता में थी. लेकिन दिसंबर 2023 में जब भाजपा सत्ता में आई, तो एक साल के भीतर 2,619 नक्सली या तो गिरफ्तार किए गए, आत्मसमर्पण कर दिए गए या मारे गए. यह आपको दिखाता है कि दृष्टिकोण में बदलाव क्या होता है-अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री
अमित शाह ने सुरक्षाबलों को दी बधाई: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद पर प्रहार के लिए जवानों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि वे पानी, भोजन और नींद की चिंता किए बिना घने जंगलों में जाकर इस समस्या का समाधान कर रहे हैं. अमित शाह ने नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को सटीक खुफिया जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी भी सदन में दी.जब 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तो हमें 2014 से पहले की कई विरासतें मिलीं. इस देश की सुरक्षा और विकास को हमेशा तीन मुख्य मुद्दों के कारण चुनौती दी गई. इन तीन मुद्दों ने देश की शांति में बाधा डाली, देश की सुरक्षा पर सवाल उठाए और लगभग चार दशकों तक देश के विकास की गति को बाधित किया; उन्होंने देश की पूरी व्यवस्था को कई बार हास्यास्पद भी बनाया.
"ये तीन मुद्दे थे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, तिरुपति से पशुपतिनाथ तक का सपना देखने वाला वामपंथी उग्रवाद और पूर्वोत्तर में उग्रवाद. अगर आप इन तीनों मुद्दों को एक साथ जोड़ दें, तो चार दशकों में इस देश के करीब 92,000 नागरिक मारे गए. इन तीनों मुद्दों के खात्मे के लिए कभी भी कोई सुनियोजित प्रयास नहीं किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद ये प्रयास किए गए- अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री
हम पूर्वोत्तर में भी समस्याओं को खत्म करने के कगार पर हैं. वहां भी हिंसक घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है, सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या में 72 प्रतिशत की कमी आई है और नागरिकों की हताहतों की संख्या में 85 प्रतिशत की कमी आई है- अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री
अमित शाह ने जवानों की शहादत को किया नमन: अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि मैं हजारों राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवानों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं. जिन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ सीमाओं को मजबूत करने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.
सोर्स: एएनआई