जयपुर. राजधानी जयपुर का आमेर किला विश्व प्रसिद्ध है. आमेर महल की कला और संस्कृति पर्यटकों को आकर्षित करती है. महल का इतिहास और इसकी स्थापत्य कला अपने आप में एक अद्भुत है. आमेर महल का दीवान-ए- आम, दीवान-ए- खास, शीश महल, मानसिंह महल पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है. वहीं जयपुर का 19 यंत्रों वाला जंतर मंतर भी अपनी यंत्रों की खास विशेषताओं से प्रसिद्ध है. खास विशेषता की वजह से जयपुर के आमेर महल और जंतर- मंतर यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में हुए.
आमेर महल की भव्यता : आमेर किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है. महल अपनी कलात्मक और हिंदू वास्तु शैली के लिए भी जाना जाता है. आमेर का किला पर्यटकों के लिए पहली पसंद बना हुआ है. आमेर महल में शीश महल बना हुआ है, जो की दिय की रोशनी से भी टिमटिमाते तारों जैसा नजारा दिखाई देता है. आमेर महल में कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है. आमेर महल में फिल्म मुग़ल-इ-आज़म, प्यार किया तो डरना क्या, सलमान खान की फिल्म वीर, फिल्म तलाश, भूल भुलैया, जोधा अकबर, समेत कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है.
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विज्ञान और संस्कृति का अद्वितीय संगम : टूरिस्ट गाईड महेश कुमार शर्मा ने बताया कि राजा मानसिंह ने आमेर महल की नींव रखी थी. आमेर महल को बनने में 137 साल का समय लगा. आमेर महल वर्ष 2013 में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल हुआ.आमेर महल के साथ ही जंतर मंतर समेत अन्य फोर्ट यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल हुए है. आमेर फोर्ट अपनी खूबसूरती को एक जगह समाए हुए हैं. राजाओं की तीन पीढ़ियों ने आमेर महल को तीन अलग-अलग पार्ट में बनवाया था. आमेर महल में पानी को इकट्ठा करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हुआ है. पानी को नीचे सरोवर से ऊपर महल तक पहुंचाने के लिए रहट पद्धति का इस्तेमाल किया गया. विश्व का सबसे प्रसिद्ध शीश महल आमेर महल में बना हुआ है. जिसमें खूबसूरत कारीगरी की गई है. शीश महल में खूबसूरत तरीके से कांच का काम किया गया है. दिए जलाने पर ऐसा दिखाई देता था कि दिन में ही तारे टिमटिमा रहे हैं. एक सुरंग का निर्माण किया गया था, जो जयगढ़ फोर्ट से जुड़ी हुई है. आमेर महल में दीवान-ए- आम का निर्माण किया गया था. जहां पर खूबसूरत चित्रकारी देखने को मिलती है. इसी अद्भुत कला और चित्रकारी से आमेर महल यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल है. आमीन मेल में 99 से ज्यादा उसे समय के टॉयलेट्स बने हुए हैं, जिसमें गर्म- ठंडा पानी की व्यवस्था हुआ करती थी.

प्राचीन मंदिर : आमेर महल के अंदर प्राचीन शिला माता मंदिर विराजमान है. आमेर महल के पास प्राचीन अंबिकेश्वर महादेव मंदिर स्थित है. आमेर महल की तलती में प्राचीन नरसिंह जी का मंदिर है. आमेर के चारों तरफ सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया था. जिसकी लंबाई करीब 7.5 किलोमीटर है, जो कि विश्व की तीसरी सबसे लंबी किले की दीवार कहलाती है. सुरक्षा के लिए वॉच टावर बनाए गए थे.

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अनूठी वेधशाला : टूरिस्ट गाइड महेश कुमार शर्मा ने बताया कि जंतर- मंतर को राजा सवाई जयसिंह ने बनवाया था. जयपुर शहर को बनाने का सबसे बड़ा कारण यह था कि सवाई जयसिंह एक जंतर मंतर बनाना चाहते थे उन्होंने पूरे भारत देश में पांच जंतर मंतर बनाए थे. जयपुर का जंतर मंतर 1728 में शुरू हुआ और 1734 में कंप्लीट हुआ. जयपुर वाले जंतर मंतर और अन्य जंतर मंतर में काफी अंतर है. यहां पर मार्बल का उपयोग किया गया था अन्य जंतर मंतर में चूने का इस्तेमाल किया गया था. जंतर मंतर एक ऐसी जगह है, जहां पर आप पूरे यंत्रों की सहायता से काफी जानकारी ले सकते हैं. सबसे खास यंत्र जयप्रकाश यंत्र है. जयपुर के जंतर मंतर में विश्व की सबसे बड़ी धूप घड़ी बनाई गई. वहां पर 2 सेकंड तक के समय को देखा जा सकता है. कुछ यंत्र ऐसे बनाए गए, जिनमें सिर्फ समय के साथ ही राशि देखी जा सकती है. कालचक्र की गणना के उपयोग में ले सकते हैं.

जंतर मंतर के कुछ यंत्र रात के समय में काम करते हैं. जय सिंह बहुत बड़े एस्ट्रोलॉजर थे. वह चाहते थे कि उनके घर के पास में एक जंतर मंतर हो, जहां जब भी समय मिले, तब वह आकाश में जो भी घटनाएं घट रही है, उन सब के बारे में प्रत्यक्ष में देख सके. जयपुर जंतर मंतर वर्ष 2010 में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल हुआ.