सरगुजा : आजादी के पहले से बीते 88 वर्षों में जो संभव ना हो सका फिर उसी मांग पर सरकार अडिग दिख रही है.मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरगुजा आए थे, यहां उनसे पूछा गया कि अंबिकापुर से रेनुकूट रेल मार्ग पर क्या हो रहा है. तो उन्होंने इसे नजर अंदाज कर दिया. मुख्यमंत्री एक बार फिर से अंबिकापुर से बरवाडीह रेल लाइन का राग आलापते दिखे, जबकि इस रेल लाइन की स्वीकृति मिलना लगभग असंभव जैसा ही है. सीएम साहब ने बता दिया कि सर्वे की स्वीकृति मिली है.
37 साल से सिर्फ सर्व काम नहीं : जबकि बीते 88 वर्षों में इस लाइन के लिए दर्जन भर सर्वे हो चुके हैं. लेकिन रेलवे के नियमों में ये रेल लाइन कही भी फिट नही बैठती और हर बार स्वीकृति नही मिल पाती है. जबकि अंबिकापुर से रेनुकूट रेल लाइन जो रेलवे में मापदंड में रखा है उसके लिए नेता प्रयासरत नहीं दिख रहे हैं. मुख्यमंत्री अपनी ही विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित उस प्रस्ताव को भूल गए जो अंबिकापुर रेनुकूट रेल लाइन के लिए पास किया गया था. वो फिर से बरवाडीह रेल लाइन का सर्वे बता रहे हैं. आइये बताते हैं कि आखिर क्यों बरवाडीह रेल लाइन को बनने में दिक्कत आ रही है जबकि रेनुकूट रेल लाइन की राह आसान है.


कई बार हो चुका है सर्व : ये पूरा मामला तकनीकी और व्यावसायिक पहलुओं से घिरा है. रेलवे जब कहीं भी रेल लाइन विस्तार करती है. तो उसके अपने कायदे कानून होते हैं जिनके आधार पर रेल लाइन की स्वीकृति दी जाती है. सरगुजा से बरवाडीह रेल लाइन की मांग काफी पुरानी है.लेकिन प्रासंगिक नही है. इस रेल लाइन को बनाने का प्रयास अंग्रेजों ने भी किया था लेकिन बन नहीं पाई. बाद में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और जगजीवन राम सरगुजा आए थे. तो उनसे भी लोगों ने मांग की और उनकी अनुशंसा पर भी सर्वे कराया गया. बाद में भी कई बार इस रेल लाइन का सर्वे हुआ. कोल इंडिया, छत्तीसगढ़ सरकार और झारखंड सरकार के संयुक्त तालमेल से इसे बनाने को कहा गया.
कोल इंडिया ने पीछे खींचे हाथ : कोल इंडिया ने सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में स्पष्ट बताया है कि अंबिकापुर से बरवाडीह रेल लाइन में कहीं भी कोल ब्लॉक नही है. वो इस परियोजना में रुचि नहीं रखते हैं. इसके साथ ही अगर इस लाइन में फॉरेस्ट क्लियरेंस और पर्यावरण स्वीकृति की बात करें तो ये एक बड़ा विवादित मामला है क्योंकि रेल लाइन गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व, बेतला नेशनल पार्क और पलामू टाइगर रिजर्व के क्षेत्रों से गुजरेगी. इस फॉरेस्ट क्लियरेंस और पर्यावरण स्वीकृति भी मिल पाना मुश्किल होगा.
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति सदस्य मुकेश तिवारी ने बताया कि अंबिकापुर को बेहतर रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए अंबिकापुर-रेणुकूट, अंबिकापुर-विंढमगंज, अंबिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन प्रस्तावित है. तीनों प्रस्तावित रेल लाइन में से दो रेणुकूट और बरवाडीह का डीपीआर और फाइनल लोकेशन सर्वे (एफएलएस) रेलवे बोर्ड को भेज दिया गया है. बिढमगंज अंबिकापुर रेल लाइन का सर्वे पूर्ण कर पूर्व मध्य रेलवे को भेज दिया गया. जहां से जल्द ही दिल्ली रेलवे बोर्ड में जाने वाला है. सरगुजा अंचल की जनभावना अंबिकापुर को रेणुकूट से रेल मार्ग के जरिए जोड़ने की है. उम्मीद है कि इस बार सफलता जरुर मिलेगी. 24 जुलाई 2024 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी इस रेल लाइन के लिए सर्व सम्मति से अशासकीय प्रस्ताव पारित किया गया है.
सिर्फ सर्वे पर खर्च हुए करोड़ों : एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि जितने में बरवाडीह तक रेल लाइन बननी थी उससे कही ज्यादा खर्चा सर्वे में कर दिया गया है. एक समय रेलवे ने इस रेल परियोजना की अनुमानित लगत 18 करोड़ बताई थी. तब से 20 से अधिक सर्वे हो चुके हैं, लेकिन सफलता कहीं भी नही मिली है. सिर्फ सर्वे का खेल चल रहा है, तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने तत्कालीन राज्यसभा सांसद राम विचार नेताम से प्रश्न के जवाब में बताया था कि अंबिकापुर बरवाडीह रेल लाइन पर अब तक जितना भी पैसा खर्च किया गया है वो सिर्फ सर्वे पर किया गया है. इसके अतिरिक्त कोई भी काम आगे नही बढ़ा है.
अंबिकापुर-रेनूकूट प्रस्तावित रेल मार्ग के पास जगन्नाथपुर ओसीपी 3.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष की कोल खदान संचालित है, मदन नगर में 15 मिलियन टन प्रतिवर्ष उत्पादन देने वाली माइंस चालू होने वाली है.इसके अतिरिक्त बरतीकलां वाड्रफनगर, भवानी प्रोजेक्ट कल्याणपुर, कोटेया, बगड़ा, जैसे कई कोल प्रोजेक्ट इस रेल मार्ग के नजदीक है. सरगुजा अंचल कोयला उत्पादन के लिए जाना जाता है.साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश का सिंगरौली क्षेत्र भी कोयला उत्पादक क्षेत्र है. आपस में जुड़ जाने पर यह कोयला परिवहन के लिए बेहतर संसाधन उपलब्ध कराएगा जो आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक लाभदायक होगा. बलरामपुर के सामरी में बाक्साइट निकलता है. यहां से रेनुकूट भेजा जाता है बाक्साइट परिवहन के लिए भी ये रेल लाइन सुगम होगी- मुकेश तिवारी, रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति सदस्य
अम्बिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल भी मानते हैं की अम्बिकापुर से रेनुकूट तक रेल लाइन ज्यादा प्रासंगिक है और इसे जल्द बनाने की पहल हो रही है.
बरवाडीह पुरानी मांग थी वो कहीं ना कहीं कागजों में चलती रहती है. अभी हम लोगों के तरफ से कोरबा से अंबिकापुर और अंबिकापुर से रेनुकूट की ही मांग की जा रही है और उम्मीद भी है कि इसी की स्वीकृति होगी और ये यहां के लिए बहुत फायदेमंद होगा, यही जनता की भी मांग है- राजेश अग्रवाल, अम्बिकापुर विधायक
अम्बिकापुर से रेनुकूट रेल लाइन अगर मिल जाती है तो देश की राजधानी दिल्ली की दूरी भी कम हो जाएगी. रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य मुकेश तिवारी बताते हैं कि रेलवे ने EIRR का मानक न्यूनतम 14% अनिवार्य किया है जो कि इन बिंदुओं के आधार पर निकलता है.
- यात्रा के समय की बचत
- गाड़ियों के परिचालन लागत की बचत
- सड़को पर ट्रैफिक कम
- रोड एक्सीडेंट में कमी
- सड़क मार्गों में जनसंख्या कम
अगस्त 2017 में सरकार (कैबिनेट कमिटी) ने Appraisal Guidelines for Rail Project Proposal मंजूर किया था.जिसमे EIRR को 14% या इससे अधिक होना चाहिए.अम्बिकापुर से रेणुकूट की ओर बनने वाली रेल लाइन का EIRR +19.50% है जो कि तय गाइडलाइन से 4.50% अधिक है. सर्वे में यह भी लिखा है कि यदि भविष्य में अम्बिकापुर रेणुकूट रेलमार्ग में कोल परिवहन होता है तो FIRR जो कि 5.51% है वह 15% से अधिक होगा.
अम्बिकापुर रेणुकूट नई रेललाइन
लागत : 8217 करोड़ (दोहरी लाइन)
FIRR : +5.51%
EIRR : +19.50% (बेस रेट 15% से ज्यादा)
अम्बिकापुर बरवाडीह नई रेल लाइन
लागत : 9030 करोड़
FIRR : -0.52% (नकारात्मक)
EIRR : 3.81% (बहुत कम)
अम्बिकापुर से बरवाडीह की ओर रेल लाइन बनने में घाटा
- बहुत ज्यादा सड़क मार्ग ट्रैफिक नहीं है.
- इस क्षेत्र की आबादी तुलनात्मक तौर पर कम है.
- इस मार्ग में यात्रा करने वालों या मालवाहक गाड़ियों का परिचालन कम है.
- इसी कारण EIRR न्यूनतम 14% भी नहीं आ रहा है.
दोनों रेल लाइन में अंतर
15% लाभ (अम्बिकापुर रेणुकूट)
-0.52% हानि (अम्बिकापुर बरवाडीह)
अम्बिकापुर बरवाडीह लाइन से सरकार को हर वर्ष कुल खर्च का -0.52% हानि होगा, जबकि अम्बिकापुर रेणुकूट मार्ग में लगभग 15% का लाभ होगा. अम्बिकापुर रेणुकूट रेलमार्ग का EIRR 19.50% है जो कि तय मानक से 5.50% ज्यादा है यानी यह मार्ग इन सभी शर्तों के अनुकूल है, जबकि बरवाडीह मार्ग का EIRR मात्रा 3.81% है, यानी लगभग कोई भी शर्तें पूरी नहीं हो रही.
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