प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेटी और उसके प्रेमी की हत्या के दोषियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है. कोर्ट ने कहा कि हत्या का मकसद साफ है. भले ही चश्मदीद गवाहों ने बयान बदल दिए थे. अपीलकर्ता इब्राहिम कयूम और फारुख जमानत पर हैं, उन्हें सजा काटने के लिए तुरंत हिरासत में लिया जाए. बाकी अपीलकर्ता सन्नूर, शौकीन, मुसरत और अयूब पहले से ही जेल में हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने इब्राहिम व अन्य की याचिका पर दिया है.
मेरठ के थाना बहसूमा में 2006 में अपीलकर्ताओं पर हत्या का मुकदमा रईस अहमद ने दर्ज कराया था. आरोप था कि अपीलकर्ता की पुत्री और वादी मुकदमा के भाई शराफत के बीच संबंध था. ऐसे में अपीलकर्ताओं के समक्ष दोनों की शादी का प्रस्ताव रखा गया, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया. बाद में इसी रंजिश में 5 फरवरी 2006 को अपीलकर्ता इब्राहिम अपने छह पुत्रों व दो अन्य के साथ उसके भाई शराफत को अगवा कर लिया और हत्या कर दी. बेटी की भी हत्या कर दी. ट्रायल कोर्ट ने सात जनवरी 2013 को आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके खिलाफ अपीलकर्ताओं ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई.
न्यायालय ने पक्षों को सुनने के बाद कहा कि एक व्यक्ति झूठ बोल सकता है, परिस्थितियां नहीं. बाद में मुकरने वाले गवाहों ने यह स्वीकार किया है कि दोनों मृतकों की हत्या की गई है, हालांकि उन्होंने अज्ञात के द्वारा हत्या की बात की है, लेकिन अज्ञात हत्या क्यों करेंगे, इसका कारण नहीं बता पाए, जबकि अपीलकर्ताओं के पास उनके बेटी का मृतक के साथ संबंध होने से अपमानित होने का मकसद था. इसी के साथ कोर्ट ने अपील खारिज कर दी.