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संभल जामा मस्जिद मामले में सुनवाई टली, प्रबंध कमेटी ने सर्वे आदेश के खिलाफ दाखिल की है पुनरीक्षण अर्जी - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER

गैर इरादातन हत्या के मामले में सजा पाए दो पूर्व पुलिस अधिकारियों की अपील पर जमानत मंजूर कर

इलाहाबाद हाईकोर्ट आदेश.
इलाहाबाद हाईकोर्ट आदेश. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 8, 2025 at 9:10 PM IST

3 Min Read

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में संभल जामा मस्जिद की प्रबंध कमेटी की ओर से दाखिल सिविल पुनरीक्षण याचिका पर मंगलवार को सुनवाई टल गई है. न्यायालय ने अब 28 अप्रैल की तिथि सुनवाई के लिए नियत की है. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने दिया है. संभल स्थित शाही जामा मस्जिद की प्रबंध कमेटी ने सिविल कोर्ट के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ यह याचिका दाखिल की है. कमेटी ने दलील है कि सर्वेक्षण का आदेश उनके धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप है. हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए सर्वेक्षण कार्यवाही पर रोक लगा रखी है.

आपराधिक के साथ विभागीय कार्यवाही जारी रखने पर छूट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशाम्बी के ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर कमलेश पांडेय के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही के साथ विभागीय कार्यवाही जारी रखने की छूट दी है लेकिन अनुमति बगैर अंतिम आदेश जारी करने पर रोक लगा दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कमलेश पांडेय की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याची के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कौशाम्बी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. इस मामले में याची पर चेकिंग के दौरान गाड़ियों से वसूली करने का आरोप लगाया गया है. ट्रैप टीम ने याची को पांच हजार रुपये के साथ रंगे हाथ पकड़ा था. आपराधिक केस वाराणसी की विशेष अदालत में विचाराधीन है. याची को जमानत मिली है. साथ ही विभागीय जांच कार्यवाही में उसे चार्जशीट दी गई है.

याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने कहा कि पुलिस रेगुलेशन व सुप्रीम कोर्ट के निर्णय है कि विभागीय कार्यवाही तब तक नहीं की जा सकती, जब तक याची के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही में कोई निर्णय नहीं आ जाता. इस पर कोर्ट ने याची के विरुद्ध चल रही विभागीय कार्यवाही में अंतिम आदेश जारी करने पर रोक लगा दी और राज्य सरकार से याचिका पर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.

गैर इरादतन हत्या में पुलिस कर्मियों की ज़मानत मंजूर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैर इरादातन हत्या के मामले में सजा पाए दो पूर्व पुलिस अधिकारियों की अपील पर उनकी ज़मानत मंजूर कर ली है. राजेंद्र प्रसाद तिवारी और शेष मणि पांडे की अपील पर यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने दिया.

याचियों को जौनपुर के जफराबाद थाने में दर्ज गैर इरादतन हत्या राज्य बनाम वशिष्ठ मुनि तिवारी में जिला अदालत ने पांच वर्ष के कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है. इसके खिलाफ़ दाखिल अपील में कहा गया कि याचियों को मुकदमे में झूठा फंसाया गया है. उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है. पुलिस और सीबीसीआईडी की जांच तथा न्यायिक जांच में भी उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं मिला. वादी मुकदमा द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर अदालत ने उनको सजा सुना दी. अपील में सजा रद्द करने और ज़मानत पर रिहा करने की मांग की गई. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि अपील का शीघ्र निस्तारण होने की संभावना नहीं है. याचियों को जेल में रखने से कोई उद्देश्य हल नहीं होगा. कोर्ट ने अपील लंबित रहने के दौरान ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

यह भी पढ़ें : यूपी सरकार ने अवमानना कार्रवाई से बचने को वर्षों बाद दाखिल की अपील; हाईकोर्ट ने विशेष अपील खारिज की - ALLAHABAD HIGH COURT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में संभल जामा मस्जिद की प्रबंध कमेटी की ओर से दाखिल सिविल पुनरीक्षण याचिका पर मंगलवार को सुनवाई टल गई है. न्यायालय ने अब 28 अप्रैल की तिथि सुनवाई के लिए नियत की है. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने दिया है. संभल स्थित शाही जामा मस्जिद की प्रबंध कमेटी ने सिविल कोर्ट के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ यह याचिका दाखिल की है. कमेटी ने दलील है कि सर्वेक्षण का आदेश उनके धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप है. हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए सर्वेक्षण कार्यवाही पर रोक लगा रखी है.

आपराधिक के साथ विभागीय कार्यवाही जारी रखने पर छूट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशाम्बी के ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर कमलेश पांडेय के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही के साथ विभागीय कार्यवाही जारी रखने की छूट दी है लेकिन अनुमति बगैर अंतिम आदेश जारी करने पर रोक लगा दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कमलेश पांडेय की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याची के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत कौशाम्बी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. इस मामले में याची पर चेकिंग के दौरान गाड़ियों से वसूली करने का आरोप लगाया गया है. ट्रैप टीम ने याची को पांच हजार रुपये के साथ रंगे हाथ पकड़ा था. आपराधिक केस वाराणसी की विशेष अदालत में विचाराधीन है. याची को जमानत मिली है. साथ ही विभागीय जांच कार्यवाही में उसे चार्जशीट दी गई है.

याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने कहा कि पुलिस रेगुलेशन व सुप्रीम कोर्ट के निर्णय है कि विभागीय कार्यवाही तब तक नहीं की जा सकती, जब तक याची के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही में कोई निर्णय नहीं आ जाता. इस पर कोर्ट ने याची के विरुद्ध चल रही विभागीय कार्यवाही में अंतिम आदेश जारी करने पर रोक लगा दी और राज्य सरकार से याचिका पर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.

गैर इरादतन हत्या में पुलिस कर्मियों की ज़मानत मंजूर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैर इरादातन हत्या के मामले में सजा पाए दो पूर्व पुलिस अधिकारियों की अपील पर उनकी ज़मानत मंजूर कर ली है. राजेंद्र प्रसाद तिवारी और शेष मणि पांडे की अपील पर यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने दिया.

याचियों को जौनपुर के जफराबाद थाने में दर्ज गैर इरादतन हत्या राज्य बनाम वशिष्ठ मुनि तिवारी में जिला अदालत ने पांच वर्ष के कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है. इसके खिलाफ़ दाखिल अपील में कहा गया कि याचियों को मुकदमे में झूठा फंसाया गया है. उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है. पुलिस और सीबीसीआईडी की जांच तथा न्यायिक जांच में भी उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं मिला. वादी मुकदमा द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर अदालत ने उनको सजा सुना दी. अपील में सजा रद्द करने और ज़मानत पर रिहा करने की मांग की गई. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि अपील का शीघ्र निस्तारण होने की संभावना नहीं है. याचियों को जेल में रखने से कोई उद्देश्य हल नहीं होगा. कोर्ट ने अपील लंबित रहने के दौरान ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

यह भी पढ़ें : यूपी सरकार ने अवमानना कार्रवाई से बचने को वर्षों बाद दाखिल की अपील; हाईकोर्ट ने विशेष अपील खारिज की - ALLAHABAD HIGH COURT

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