प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग में आगरा के एडिशनल डायरेक्टर ट्रेजरी एवं पेंशन की उपस्थिति के लिए जमानती वारंट जारी किया है. यह आदेश जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने भगवान देवी की याचिका पर दिया है. एडिशनल डायरेक्टर ने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद याची के पेंशन आदि का न तो भुगतान किया और न ही इस संबंध में निर्णय लेकर न्यायालय को सूचित किया. साथ ही पिछले आदेश के अनुपालन में वह उपस्थित भी नहीं थे.
न्यायालय के पिछले आदेश के क्रम में बेसिक शिक्षा अधिकारी एटा ने कोर्ट को बताया था कि याची के पेंशन भुगतान के संदर्भ में सभी पेपर एडिशनल डायरेक्टर ट्रेज़री एवं पेंशन आगरा को भेजे जा चुके हैं, लेकिन वहां से इस संबंध में निर्णय नहीं लिया गया है.
कोर्ट ने सरकारी वकील से कहा था कि एडिशनल डायरेक्टर ट्रेज़री एवं पेंशन से जानकारी लेकर बताएं कि उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी के चार दिसंबर 2024 के पत्र के संबंध में क्या निर्णय लिया या जल्द से जल्द निर्णय लेकर कोर्ट को बताएं. कोर्ट के इस आदेश के बावजूद याची के पेंशन आदि के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई. इस पर कोर्ट ने एडिशनल डायरेक्टर ट्रेज़री एवं पेंशन को 11 मार्च को तलब किया था.
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि एडिशनल डायरेक्टर ट्रेज़री एवं पेंशन को पिछले आदेश की जानकारी पत्र भेजकर दी गई है. इस पर कोर्ट ने एडिशनल डायरेक्टर ट्रेज़री एवं पेंशन को जमानती वारंट जारी कर 11 अप्रैल 2025 को तलब किया है.
अनधिकृत कॉम्प्लेक्स बनाने वाले बिल्डरों के खिलाफ कार्यवाही पर रोक, सरकार से जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसीजेएम गौतमबुद्धनगर की अदालत में याची के खिलाफ लंबित धोखाधड़ी के केस की कार्यवाही पर रोक लगा दी है और मैनेजर वर्क सर्किल ग्रेटर नोएडा अख्तर अब्बास जैदी नोटिस जारी कर उनसे व राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति एसके पचौरी ने जयदेव व दो अन्य की याचिका पर अधिवक्ता दिलीप कुमार पांडेय को सुनकर दिया है।
अधिवक्ता दिलीप पांडेय का कहना है कि ग्रेटर नोएडा ने झूठे व मनगढ़ंत आरोप में परेशान करने के लिए थाना बीटा-दो में 16 मई 2019 को एफआईआर दर्ज कराई. इसमें याची पर अनधिकृत कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराने का आरोप है. जबकि आबादी भूमि को कॉमर्शियल में बदलने के लिए वर्ष 2000 में 25 फीसदी राशि जमा की गई है. निर्माण के छह साल बाद बिना स्पष्टीकरण के एफआईआर दर्ज की गई है. खंडपीठ ने चार्जशीट दाखिल होने तक याची को संरक्षण दिया है. इसके बावजूद अदालत ने सम्मन जारी किया है. याचिका में संज्ञान व सम्मन आदेश सहित पूरी केस कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई है.