प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा जिला न्यायालय में हाई कोर्ट के प्रशासनिक जज के भ्रमण के दौरान एक अधिवक्ता को न्यायालय परिसर में जाने से रोकने और उसे उसके घर पर निगरानी में रखने की कार्रवाई मामले में डीसीपी आगरा को फिर से तलब किया है. कोर्ट ने आगरा के पुलिस कमिश्नर की ओर से दाख़िल हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कहा कि हम इस हलफनामे से निराश हैं. इसमें स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है. कोर्ट ने कहा कि हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि किसी तथ्य को दबाने या छिपाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
कमिश्नर की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया कि अधिवक्ता को नोटिस देने में कुछ खामी थी. भविष्य में ऐसा करते समय सावधानी बरती जाएगी. जबकि याची का कहना था कि हलफनामे में इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि किसके आदेश पर पुलिस ने अधिवक्ता को नजरबंद किया था. कोर्ट ने डीसीपी को 24 अप्रैल को उपस्थित होने के लिए कहा है. आगरा के महताब सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने दिया.
इससे पूर्व हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि यह काफी दुखद है कि एक अधिवक्ता को अदालत जाने पर पुलिस अधिकारियों ने सिर्फ इसलिए प्रतिबंध लगाया है कि प्रशासनिक जज को जिला न्यायालय परिसर का भ्रमण करना है.
याची अधिवक्ता का कहना था कि 15 नवंबर 2024 को आगरा जिला न्यायालय में हाई कोर्ट के प्रशासनिक जज के भ्रमण का कार्यक्रम था. इस दिन उसे 10 घंटे तक घर में ही बंद रखा गया और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 168 का नोटिस उसे दिया गया कोर्ट ने इस मामले में जिला जज आगरा से रिपोर्ट मांगी थी कि किसके निर्देश पर ऐसा किया गया. जिला जज आगरा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उनको इस मामले की जानकारी नहीं है और ना ही पुलिस ने उनसे कोई अनुमति ली थी.
कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को हलफनामा दाखिल कर बताने के लिए कहा है कि क्या प्रशासनिक जज के भ्रमण के दौरान किसी अधिवक्ता की गतिविधियों की निगरानी और निरीक्षण करने की कोई नीति है और क्या इससे पूर्व भी प्रशासनिक जज के भ्रमण के दौरान अधिवक्ताओं के साथ ऐसा किया जाता रहा है. अधिवक्ता महताब सिंह के खिलाफ 37 वर्ष पूर्व एक आपराधिक मुकदमा कायम हुआ था उसके बाद से अब तक कई प्रशासनिक जजों ने आगरा जिला न्यायालय का भ्रमण किया होगा, तो क्या उस दौरान भी अधिवक्ता के साथ ऐसी कार्रवाई की गई थी और ऐसा कुछ किया गया था, तो उसका विवरण प्रस्तुत किया जाए.
अदालत का कहना था कि हमने ऐसा कभी नहीं सुना कि प्रशासनिक जज के भ्रमण के दौरान किसी अधिवक्ता को इस आशंका में निगरानी में रखा गया हो कि उसके तहत कोई अपराध किया जा सकता है. इसके जवाब में दाख़िल हलफनामे पर असंतोष जताते हुए कोर्ट ने डिप्टी पुलिस कमिश्नर को अगली सुनवाई पर अदालत में हाजिर रहने का निर्देश दिया है.
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