ETV Bharat / state

प्रयागराज नगर निगम कर्मियों को राहत, जन्मतिथि में बदलाव हाईकोर्ट ने किया रद - ALLAHABAD HIGH COURT

कर्मचारियों का पक्ष जाने बिना सेवा पुस्तिका में उनकी बदल दी गई थी जन्मतिथि.

allahabad high court canceled decision to change the date of birth prayagraj nagar nigam employees.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला. (etv bharat.)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 13, 2025 at 10:02 PM IST

2 Min Read

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नगर निगम प्रयागराज कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका में उनकी जन्मतिथि में किए गए बदलाव को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कर्मचारियोंका पक्ष सुने बिना उनकी जन्म तिथि में बदलाव करना अवैध और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है. जन्मतिथि में बदलाव के खिलाफ राम नरेश और 5 अन्य कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचियों का कहना था कि वे नगर निगम इलाहाबाद के कार्यालय में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे थे. 1 जून, 1992 को उनके सेवाओं को नियमित किया गया और उन्होंने गैंगमैन के रूप में पदभार ग्रहण किया.

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, उनकी नियुक्ति के समय उनकी जन्मतिथि चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्रों के आधार पर दर्ज की गई थी. हालांकि, अक्टूबर 2025 में, जब नगर निगम ने बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली शुरू की तो उनकी उपस्थिति को सेवा पुस्तिका में दर्ज जन्मतिथि से मेल नहीं खाने के कारण अस्वीकार कर दिया गया.

जब कर्मचारियों ने अपनी सेवा पुस्तिकाएं प्राप्त कीं तो उन्होंने पाया कि उनकी जन्मतिथि में एकतरफा बदलाव किया गया था. इस बदलाव के कारण, उनकी सेवा अवधि एक से आठ साल तक कम हो गई थी. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए नगर निगम के इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई. न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश ने कहा कि कर्मचारियों की जन्मतिथि में बदलाव करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए था, जो कि इस मामले में नहीं किया गया.

अदालत ने नगर निगम की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि बदलाव नियमों के अनुसार किया गया था. कोर्ट ने कहा कि नगर निगम का यह फैसला प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है और यह पूरी तरह से अवैध है. कोर्ट ने नगर निगम को निर्देश दिया कि वह कर्मचारियों की सेवा अवधि को मूल रिकॉर्ड के अनुसार बहाल करे. इसके साथ ही, कर्मचारियों को सभी बकाया लाभों का भुगतान किया जाए.

ये भी पढ़ेंः इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, ट्रायल शुरू होने और गवाही होने के बाद केस की दोबारा जांच से बचना चाहिए

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नगर निगम प्रयागराज कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका में उनकी जन्मतिथि में किए गए बदलाव को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कर्मचारियोंका पक्ष सुने बिना उनकी जन्म तिथि में बदलाव करना अवैध और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है. जन्मतिथि में बदलाव के खिलाफ राम नरेश और 5 अन्य कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचियों का कहना था कि वे नगर निगम इलाहाबाद के कार्यालय में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे थे. 1 जून, 1992 को उनके सेवाओं को नियमित किया गया और उन्होंने गैंगमैन के रूप में पदभार ग्रहण किया.

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, उनकी नियुक्ति के समय उनकी जन्मतिथि चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्रों के आधार पर दर्ज की गई थी. हालांकि, अक्टूबर 2025 में, जब नगर निगम ने बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली शुरू की तो उनकी उपस्थिति को सेवा पुस्तिका में दर्ज जन्मतिथि से मेल नहीं खाने के कारण अस्वीकार कर दिया गया.

जब कर्मचारियों ने अपनी सेवा पुस्तिकाएं प्राप्त कीं तो उन्होंने पाया कि उनकी जन्मतिथि में एकतरफा बदलाव किया गया था. इस बदलाव के कारण, उनकी सेवा अवधि एक से आठ साल तक कम हो गई थी. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए नगर निगम के इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई. न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश ने कहा कि कर्मचारियों की जन्मतिथि में बदलाव करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए था, जो कि इस मामले में नहीं किया गया.

अदालत ने नगर निगम की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि बदलाव नियमों के अनुसार किया गया था. कोर्ट ने कहा कि नगर निगम का यह फैसला प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है और यह पूरी तरह से अवैध है. कोर्ट ने नगर निगम को निर्देश दिया कि वह कर्मचारियों की सेवा अवधि को मूल रिकॉर्ड के अनुसार बहाल करे. इसके साथ ही, कर्मचारियों को सभी बकाया लाभों का भुगतान किया जाए.

ये भी पढ़ेंः इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, ट्रायल शुरू होने और गवाही होने के बाद केस की दोबारा जांच से बचना चाहिए

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.