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बीएसए के आदेश पर हाईकोर्ट नाराज; पूछा- समान गलती पर एक टीचर को माफी, एक को सजा क्यों

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ने अगली सुनवाई पर बीएसए इटावा को अदालत में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का निर्देश दिया.

Photo Credit: Allahabad High Court
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit: Allahabad High Court)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : September 12, 2025 at 9:22 PM IST

3 Min Read
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प्रयागराज: दो शिक्षकों के खिलाफ एक ही गलती की शिकायत पर एक को निलंबित कर देने और दूसरे को माफ कर देने के बीएसए इटावा के निर्णय पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि बीएसए का रवैया उनकी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है.

प्रबल प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई: यह प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग है. कोर्ट ने अगली सुनवाई पर बीएसए इटावा को अदालत में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का निर्देश दिया. इटावा के प्रबल प्रताप सिंह की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी को सुनकर दिया.

इटावा बीएसए पर भेदभाव का आरोप: अधिवक्ता का कहना था कि दो शिक्षकों याची और ज्योति राव के खिलाफ सहयोगियों से दुर्व्यवहार करने की शिकायत की गई थी. इस पर बीएसए ने याची को निलंबित कर दिया. उसके खिलाफ जांच शुरू करते हुए आरोप पत्र दे दिया गया. जबकि ज्योति राव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.

बीएसए का यह आदेश भेदभावपूर्ण है, क्योंकि याची ने जो स्पष्टीकरण दिया उसे बीएसए ने स्वीकार नहीं किया जबकि उसी मामले में ज्योति राव का स्पष्टीकरण स्वीकार कर लिया गया और उसके खिलाफ समस्त कार्यवाही समाप्त कर दी गई.

दोनों अध्यापकों ने स्पष्टीकरण दिया था: कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड देखने से पता चलता है कि दोनों अध्यापकों ने स्पष्टीकरण दिया था. मगर बिना कोई कारण बताए मनमाने तरीके से याची के स्पष्टीकरण को असंतोषजनक करार दे दिया गया जबकि दूसरे अध्यापक का स्पष्टीकरण स्वीकार कर लिया गया और उसके खिलाफ कार्रवाई समाप्त कर दी गई. यह गंभीर चिंता और स्पष्ट भेदभाव का मामला है.

अधिकारियों की निष्पक्षता पर सवाल: कोर्ट ने कहा दोनों के खिलाफ शिकायत होने के बावजूद सिर्फ एक के खिलाफ कार्रवाई की गई, जबकि दूसरे के खिलाफ न तो कोई जांच हुई न कोई कार्रवाई की गई. यह रवैया अधिकारियों की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है. कोर्ट ने कहा इस अदालत के सामने पहले भी ऐसे मामले आए हैं.

प्रशासनिक शक्ति के दुरुपयोग का मामला: वहां बीएसए ने किसी एक पर तो कार्रवाई की मगर उसी मामले में दूसरे पर कार्रवाई नहीं की. अदालत का कहना था कि इस प्रकार के भेदभावपूर्ण कार्रवाई जांच प्रक्रिया की शुचिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है. इससे प्रशासनिक शक्ति के दुरुपयोग का पता चलता है. कोर्ट ने बीएसए इटावा को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का निर्देश दिया है.

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