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उत्तर प्रदेश के 10 जिलों में सभी भूलेख होंगे ऑनलाइन; नक्शा कार्यक्रम से मिलेगी सटीक जानकारी, जमीन के लिए नहीं होंगे झगड़े - CM YOGI MAP PROGRAM

राजस्व निदेशालय में ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी ने योजना के बारे में दी जानकारी.

उत्तर प्रदेश में सभी भूलेख होंगे ऑनलाइन.
उत्तर प्रदेश में सभी भूलेख होंगे ऑनलाइन. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : June 9, 2025 at 4:03 PM IST

3 Min Read

लखनऊ : सूब के 10 जिलों में नक्शा कार्यक्रम के तहत शहरी भूमि रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं. इनमें टांडा, नवाबगंज, गोरखपुर, झांसी आदि शहर शामिल हैं. इससे शहरी नियोजन के साथ संपत्ति कर निर्धारण और विवादों को कम करने में मदद मिलेगी. अनुमान है कि साल 2031 तक प्रदेश की 40% आबादी शहरी क्षेत्रों में निवास करने लगेगी. ऐसे में सटीक भूमि रिकॉर्ड का होना बेहद जरूरी है.

यूपी राजस्व निदेशालय में सोमवार को भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी ने मीडिया को जानकारी दी. वह बैठक कर रहे थे. उन्होंने यूपी में डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) और शहरी क्षेत्रों के लिए ‘नक्शा’ कार्यक्रम' के बारे में बताया. परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार ने भी डिजिटल भूमि प्रबंधन, नवाचारों और भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया.

संपत्ति का लेन-देन और कर निर्धारण हुआ आसान : सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करना है. इसके लिए सटीक भूमि प्रबंधन जरूरी है. राजस्व विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया है. अब रियल-टाइम खतौनी, नक्शा और खसरा ऑनलाइन उपलब्ध हैं. गांवों के नक्शों को डिजिटल और जियो-रेफरेंस्ड किया गया है. प्रत्येक भूखंड को यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (यूएलपीआईएन) दिया गया है. इसमें भूखंड का आकार, स्वामित्व और भौगोलिक निर्देशांक शामिल हैं. इससे संपत्ति लेन-देन, कर निर्धारण और आपदा प्रबंधन में आसानी होगी.

आधार सीडिंग का चल रहा काम : सचिव के अनुसार ऑनलाइन सुविधाओं में खतौनी में हिस्सेदारों का विवरण, वादग्रस्त भूमि, बिक्री, बैंक बंधक आदि की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध है. उत्तराधिकार, वरासत, आय-जाति प्रमाणपत्र, भूमि हस्तांतरण, अवैध कब्जे की शिकायत और पट्टा आवंटन जैसी सेवाएं भी ऑनलाइन हैं. राजस्व न्यायालयों को कम्प्यूटरीकृत किया गया है. इससे वाद की स्थिति ऑनलाइन देखी जा सकती है. आधार सीडिंग का कार्य भी शुरू है. इससे धोखाधड़ी रुकेगी और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचेगा.

नक्शा कार्यक्रम ये शहर और जिले शामिल : स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन सर्वेक्षण से ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय अधिकार रिकॉर्ड तैयार किए गए हैं. इससे ग्रामीणों को संपत्ति के आधार पर ऋण और वित्तीय लाभ मिलेगा. वहीं, नक्शा कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 10 शहरी निकायों में शहरी भूमि रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं. इनमें अंबेडकर नगर का टांडा, बाराबंकी का नवाबगंज, बुलंदशहर का अनूपशहर, चित्रकूट, गोरखपुर, हरदोई, झांसी, मिर्जापुर का चुनार, पीलीभीत का पूरनपुर, शाहजहांपुर का तिलहर शामिल हैं.

यह कार्यक्रम शहरी नियोजन, संपत्ति कर निर्धारण और विवादों को कम करने में मदद करेगा. बैठक में भारत सरकार के संयुक्त सचिव कुणाल सत्यार्थी, प्रमुख सचिव राजस्व और अन्य अधिकारी मौजूद रहे. नोडल अधिकारियों के साथ चुनौतियों पर चर्चा भी हुई.

यह भी पढ़ें : अमेठी का ये तहसीलदार लापता!, किसान ने लगाए पोस्टर, लिखा- अधिकारी 8 महीने से हैं गायब

लखनऊ : सूब के 10 जिलों में नक्शा कार्यक्रम के तहत शहरी भूमि रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं. इनमें टांडा, नवाबगंज, गोरखपुर, झांसी आदि शहर शामिल हैं. इससे शहरी नियोजन के साथ संपत्ति कर निर्धारण और विवादों को कम करने में मदद मिलेगी. अनुमान है कि साल 2031 तक प्रदेश की 40% आबादी शहरी क्षेत्रों में निवास करने लगेगी. ऐसे में सटीक भूमि रिकॉर्ड का होना बेहद जरूरी है.

यूपी राजस्व निदेशालय में सोमवार को भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी ने मीडिया को जानकारी दी. वह बैठक कर रहे थे. उन्होंने यूपी में डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) और शहरी क्षेत्रों के लिए ‘नक्शा’ कार्यक्रम' के बारे में बताया. परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार ने भी डिजिटल भूमि प्रबंधन, नवाचारों और भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया.

संपत्ति का लेन-देन और कर निर्धारण हुआ आसान : सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करना है. इसके लिए सटीक भूमि प्रबंधन जरूरी है. राजस्व विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया है. अब रियल-टाइम खतौनी, नक्शा और खसरा ऑनलाइन उपलब्ध हैं. गांवों के नक्शों को डिजिटल और जियो-रेफरेंस्ड किया गया है. प्रत्येक भूखंड को यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (यूएलपीआईएन) दिया गया है. इसमें भूखंड का आकार, स्वामित्व और भौगोलिक निर्देशांक शामिल हैं. इससे संपत्ति लेन-देन, कर निर्धारण और आपदा प्रबंधन में आसानी होगी.

आधार सीडिंग का चल रहा काम : सचिव के अनुसार ऑनलाइन सुविधाओं में खतौनी में हिस्सेदारों का विवरण, वादग्रस्त भूमि, बिक्री, बैंक बंधक आदि की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध है. उत्तराधिकार, वरासत, आय-जाति प्रमाणपत्र, भूमि हस्तांतरण, अवैध कब्जे की शिकायत और पट्टा आवंटन जैसी सेवाएं भी ऑनलाइन हैं. राजस्व न्यायालयों को कम्प्यूटरीकृत किया गया है. इससे वाद की स्थिति ऑनलाइन देखी जा सकती है. आधार सीडिंग का कार्य भी शुरू है. इससे धोखाधड़ी रुकेगी और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचेगा.

नक्शा कार्यक्रम ये शहर और जिले शामिल : स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन सर्वेक्षण से ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय अधिकार रिकॉर्ड तैयार किए गए हैं. इससे ग्रामीणों को संपत्ति के आधार पर ऋण और वित्तीय लाभ मिलेगा. वहीं, नक्शा कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 10 शहरी निकायों में शहरी भूमि रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं. इनमें अंबेडकर नगर का टांडा, बाराबंकी का नवाबगंज, बुलंदशहर का अनूपशहर, चित्रकूट, गोरखपुर, हरदोई, झांसी, मिर्जापुर का चुनार, पीलीभीत का पूरनपुर, शाहजहांपुर का तिलहर शामिल हैं.

यह कार्यक्रम शहरी नियोजन, संपत्ति कर निर्धारण और विवादों को कम करने में मदद करेगा. बैठक में भारत सरकार के संयुक्त सचिव कुणाल सत्यार्थी, प्रमुख सचिव राजस्व और अन्य अधिकारी मौजूद रहे. नोडल अधिकारियों के साथ चुनौतियों पर चर्चा भी हुई.

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