झालावाड़: जिले में पं. दीनदयाल उपाध्याय एयरपोर्ट अब पूरी तरह तैयार हो चुका है और शनिवार को यहां से दिल्ली के लिए पहली जेट विमान ने उड़ान भरी. इस ऐतिहासिक क्षण पर विमान में सवार होकर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके पुत्र सांसद दुष्यंत सिंह दिल्ली के लिए रवाना हुए. इस तरह झालावाड़ अब आधिकारिक रूप से हवाई सेवा से जुड़ गया है. पहली उड़ान के लिए हनुमान जयंती का विशेष अवसर चुना गया, क्योंकि हनुमान जी को पवन से भी तेज गति से उड़ने की क्षमता का प्रतीक माना जाता है.
इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि जब वे पहली बार यहां से सांसद बनी थीं, तब इस क्षेत्र में सड़क मार्ग भी पर्याप्त नहीं था, लेकिन आज झालावाड़ में सड़क, रेल और अब हवाई सेवा भी उपलब्ध है. उन्होंने कहा, “समुद्र होता तो क्रूज जहाज भी चला देते.” राजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का धन्यवाद करते हुए इस ड्रीम प्रोजेक्ट को साकार करने पर संतोष जताया.

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उत्तर भारत का तीसरा बड़ा रनवे: झालावाड़ एयरपोर्ट का रनवे 3,120 मीटर लंबा है, जिस पर बोइंग 747 जैसे जंबोजेट विमान भी उतर सकते हैं. इतना लंबा रनवे उत्तर भारत में सिर्फ जालंधर और कुशीनगर जैसे बड़े शहरों में ही मौजूद है. पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन हुकमचंद मीणा के अनुसार, यह रनवे 45 मीटर चौड़ा है और रनवे की मजबूती को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा किए गए फ्रिक्शन टेस्ट में 82 से 84 न्यूटन की क्षमता के साथ सफल पाया गया है.
राज्य सरकार यहां फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल स्थापित करने की योजना भी बना रही है, जिससे क्षेत्रीय युवाओं को पायलट प्रशिक्षण के अवसर मिल सकेंगे. एयरपोर्ट पर टैक्सी-वे, ड्रेनेज सिस्टम और रनवे लाइटिंग जैसी सुविधाओं का निर्माण भी किया जा रहा है, जिससे इसकी कार्यक्षमता और सुरक्षा में वृद्धि होगी.
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राजे ने किए बालाजी के दर्शन: पहली उड़ान से पूर्व, वसुंधरा राजे ने राड़ी के बालाजी मंदिर में दर्शन किए और संत जनों से आशीर्वाद लिया. पूजा में सांसद दुष्यंत सिंह भी साथ मौजूद रहे. उन्होंने रामायण के दोहे पढ़े और हनुमान चालीसा का पाठ किया गया. इसके बाद राजे व दुष्यंत सिंह संत पीपाजी की समाधि पहुंचे और सप्त शताब्दी जयंती महोत्सव में भाग लिया. कार्यक्रम के बाद राजे सांसद कार्यालय पहुंचीं, जहां नवनिर्वाचित भाजपा जिलाध्यक्ष हर्षवर्धन शर्मा और मंडल अध्यक्षों को पदभार की शपथ दिलाई.
यह एयरपोर्ट निर्माण कार्य वसुंधरा राजे सिंधिया के दूसरे कार्यकाल में प्रारंभ हुआ था, जिसका उद्देश्य हाड़ौती क्षेत्र को बेहतर हवाई कनेक्टिविटी देना था. इससे कोटा, बूंदी, झालावाड़ सहित मध्यप्रदेश के गुना, इंदौर, उज्जैन, राजगढ़ और ब्यावरा जैसे शहरों की आपसी कनेक्टिविटी को भी बल मिलेगा.
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