भोपाल: हम दिन भर में तरह-तरह के खाद्य पदार्थ खाते हैं. लेकिन इससे होने वाले फायदे और नुकसान कम लोगों को ही पता होता है. इसलिए कई बार लोग खराब खाना खाने से बीमार होते हैं और बाद में उन्हें इस लापरवाही का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है. लेकिन अब इस चिंता से मुक्ति मिलने जा रही है. दरअसल एम्स भोपाल के आयुष विभाग में पदस्थ डॉ दानिश जावेद ने एक ऐसा हैंड बैंड बनाया है, जो भोजन के उपभोग के दौरान उसकी गुणवत्ता का तुरंत विश्लेषण करता है. इसको लेकर एम्स भोपाल को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय द्वारा अभिनव आविष्कार प्रणाली पर आधारित फूड क्वालिटी मॉनिटरिंग हैंड बैंड के डिजाइन हेतु पेटेंट प्रदान किया गया है.
विजुअल और वाइब्रेशन अलर्ट सिस्टम से लैस
इस हैंड बैंड में डिप-स्टिंग सेंसर लगाया गया है, जो भोजन के संपर्क में आने पर हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस या दूसरे प्रदूषकों की तुरंत पहचान कर सकता है. इसके अतिरिक्त, इसमें एक गैस सेंसर भी सम्मिलित है, जो भोजन की गंध का विश्लेषण कर उसके खराब होने की स्थिति का आंकलन करता है. इस उपकरण में विजुअल और वाइब्रेशन अलर्ट सिस्टम शामिल है. जो उपयोगकर्ता को संभावित स्वास्थ्य जोखिमों की तुरंत सूचना देता है. जिससे समय रहते सुरक्षात्मक कदम उठाए जा सकते हैं.
- 16 करोड़ रुपये का रोबोट करेगा धड़ाधड़ ऑपरेशन, एमपी में पहली रोबोटिक स्पाइन सर्जरी
- कैंसर का खात्मा करेगी 6 हजार साल पुरानी तकनीक, भोपाल एम्स में खुलेगी प्रदेश की पहली सिद्ध चिकित्सा क्लीनिक
वाटरप्रूफ हैंड बैंड का कॉम्पेक्ट डिजाइन इम्प्रेसिव
डॉ दानिश जावेद ने बताया कि "इस हैंड बैंड की वाटरप्रूफ और कॉम्पेक्ट डिजाइन इसे उपयोगकर्ता के लिए सुविधाजनक, आसानी से साफ करने योग्य एवं रोजमर्रा के उपयोग हेतु उपयुक्त बनाती है. वहीं ये एक ऐसा उपकरण है, जो अपके खाने का तुरंत विश्लेषण करता है."
डॉ दानिश जावेद की इस उपलब्धि पर एम्स डायरेक्टर डॉ अजय सिंह ने कहा कि "यह पेटेंट एम्स भोपाल में नवाचार की सुदृढ़ होती संस्कृति का प्रमाण है. खाद्य गुणवत्ता निगरानी हैंड बैंड केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि निवारक स्वास्थ्य सेवा की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम भी है. यह उस ट्रांसलेशनल रिसर्च के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसका प्रत्यक्ष लाभ जनस्वास्थ्य और सुरक्षा को मिलता है."