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ताजमहल पहले बना या आगरा का पेठा; 250 करोड़ का कारोबार, 1 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार, यूपी की इस मिठाई में ढेरों चमत्कारिक गुण - AGRA PETHA

चांदी सी चमक-स्वाद में लाजवाब, महाभारत काल में भी इसका जिक्र, ऐसे बनी 'मनी मेकर', जानिए दिलचस्प हिस्ट्री

जानिए आगरा के पेठे की क्या है कहानी.
जानिए आगरा के पेठे की क्या है कहानी. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : June 19, 2025 at 3:04 PM IST

Updated : June 24, 2025 at 6:58 AM IST

16 Min Read

आगरा: ताजमहल के साथ ही आगरा की पहचान यहां की पेठा मिठाई से भी है. चांदी सा सफेद और सेहत के लिए लाभकारी माना जाने वाला पेठा औषधीय गुणों से युक्त है. आगरा आने वाले हर देशी-विदेशी पर्यटक की पहली पंसद स्वाद से भरपूर पेठा मिठाई ही रहती है.चाशनी में डूबे पेठे की आगरा में कई वैरायटी मिलती हैं. यहां आने वाले पर्यटक इसका स्वाद तो लेते ही हैं, इसकी मिठास साथ घर भी ले जाते हैं. पेठे को लेकर तमाम कहानियां हैं. कहा जाता है कि सदियों पहले पेठा को दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. आज यूपी में योगी सरकार द्वारा ओडीओपी योजना में शामिल होने के बाद पेठा कारोबार आगरा में सालाना करीब 250 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है. इसकी डिमांड देश के साथ ही ​विदेशों तक में है. आइए, जानते हैं पेठा कितना पुराना, क्या है इसे बनाने की प्रक्रिया और कभी दवाई के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिठाई की कितनी है वैरायटी.

आगरा का पेठा इसलिए है मशहूर. (Video Credit; ETV BHARAT)

आगरा में 500 से ज्यादा ईकाइयां: आगरा में 500 से ज्यादा पेठा ईकाइयां हैं. जिनमें हर दिन लगभग 700 टन पेठा तैयार होता है. ये अलग-अलग करीब 42 वैरायटी का होता है. नूरी दरवाजा और शहर के अन्य इलाकों से निकल कर पेठा ईकाइयां अब आसपास के कस्बों में शिफ्ट हो गई हैं. देश के अलावा आगरा का पेठा पूरी दुनिया में खूब पसंद किया जाता है. ताजमहल का दीदार करने आने वाले हर पर्यटक की पहली पसंद पेठा होता है. पर्यटक हों या फिर अन्य लोग, मिलावटी मावा मिठाइयों की अपेक्षा पेठा खाना पसंद करते हैं. इसमें मिलावट की गुंजाइश कम होती है.

आयुर्वेद में पेठा का वर्णन : आयुर्वेद में पेठा का वर्णन मिलता है. महाभारत काल से पेठा का उपयोग औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा. सदियों से लोग अम्लावित्त, रक्तविकार, वात प्रकोप, जिगर, स्त्री रोग समेत अन्य बीमारियों में पेठे का सेवन औषधि के तौर पर करते रहे. इसका नाम कुम्हड़ा भी है. जिसे संस्कृति में कूष्मांड कहते हैं. जिसमें अनेक औषिधीय गुण हैं. वक्त के साथ पेठे की कई वैरायटी बनती गईं और मिठाई के रूप में इसकी ख्याति बढ़ती गई. स्वाद के साथ सेहत से भरपूर पेठे को लेकर लोगों में अलग ही चाव नजर आता है.

यूं औषधि बनी मिठाई : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि पेठा के बारे में आयुर्वेद में जिक्र है. यह एक आयुर्वेदिक औषधि है. जिसे आयुर्वेदाचार्य तमाम बीमारियों में मरीजों को दिया करते थे. महाभारत काल में सबसे पहले पेठा मिठाई बनाए जाने की बातें तमाम जगह लिखी हैं. एक किवदंती यह है कि ताजमहल से पहले मुगलिया रसोई में यह मिठाई बनाई गई थी. मुगल बादशाह शाहजहां ने सबसे पहले पेठा मिठाई बनवाई थी. जब ताजमहल बना तो मजदूरों को पेठा मिठाई खाने को दी जाती थी. मगर, किसी भी किताब में शाहजहां के पेठा मिठाई बनवाने के बारे में कुछ नहीं लिखा है. यह एक किवदंती है. आगरा में पेठा की बात करें तो 1920 के बाद पेठा मिठाई बनाने के बारे में किताबों में लिखा है. इससे पहले पेठा मिठाई एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में आयुर्वेदाचार्य बनाकर मरीजों को खाने की सलाह देते थे. धीरे-धीरे इसके स्वाद में परिवर्तन लाने के लिए चीनी की चाशनी में सुगंध का इस्तेमाल करके रसीला पेठा बनने लगा.

आगरा में पेठे का कारोबार.
आगरा में पेठे का कारोबार. (Photo Credit; ETV Bharat)

व्रत का फल: शहीद भगत सिंह पेठा कुटीर उद्योग के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल बताते हैं कि महाभारत काल से पेठा बनाए जाने की जानकारी आयुर्वेद में मिलती है. आयुर्वेद में कुम्हड़ा नामक फल से लिखा है. जिसके अन्य भी नाम हैं. यह व्रत में खाया जाने वाला फल है. पेठा बनाने में चीनी का प्रयोग होता है. इसलिए यह एक शुद्ध मिठाई है. पेठा फल की पूजा भी की जाती है. इसके साथ ही पेठा फल को तमाम लोग टोना और टोकटा करने में इस्तेमाल करते हैं.

पेठा तीन रूप से उपयोगी

  • आयुर्वेद की औषधि
  • धार्मिक अनुष्ठान
  • मिठाई के रूप में

धार्मिक अनुष्ठान: पेठा फल का उपयोग धार्मिक अनुष्ठान में किया जाता है. कई प्रदेश में पेठा फल की मां काली को प्रसन्न करने के लिए बलि तक दी जाती है. साउथ में नजरौटा के रूप में भी बांधा जाता है. आगरा की बात करें तो पूर्णिमा और अमावस को पेठा कारोबारी इसकी पूजा करते हैं. इन तिथियों को पेठा कारोबारी इसे काटते नहीं हैं. इसलिए, आगरा में हर पूर्णिमा और अमावस्या पर पेठा कारखाना में पेठा नहीं बनता है.

शुद्ध मिठाई : पेठा को भारतीय मिठाई होने का गौरव प्राप्त है. जो एक शुद्ध मिठाई है. पेठा फल और चीनी से बनाया जाता है. इसमें कैसी भी मिलावट नहीं होती है.

आगरा में यहां पर पेठा की इकाइयां : पुराने शहर में नूरी दरवाजा के साथ ही केके नगर, हलवाई की बगीची, एत्मादउद्दौला, कालिंदी विहार, रुनकता, खेरागढ़, फतेहाबाद, शमशाबाद, सैंया सकेत अन्य क्षेत्रा में पेठा बनाने की ईकाइया हैं.

आगरा में पेठा की शुरूआत : पेठा का उपयोग पहले औषधि के रूम में किया जाता था. आयुर्वेचार्य पहले अन्य आयुर्वेदिक औषधियों के साथ पाक बनाकर बीमार लोगों को देते थे. जिससे यह स्वाद में मीठा होता था. आयुर्वेदाचार्य तक लिवर संबंधी बीमारी, पीलिया, पेट संबंधी बीमारी, आंखों की रोशनी संबंधी बीमारी और संतान की उत्पत्ति के लिए भी पेठा फल पति और पत्नी को खिलाया जाता था. जिससे ही धीरे धीरे इसे मिठाई के रूप में उपयोग किया जाने लगा. क्योंकि, पहले भी लोग सेहत को लेकर ज्यादा सजग थे. आगरा में पहले शीरे यानी गन्ने के रस के साथ बनाया जाता था. जिससे ही उस समय सबसे सस्ती और शुद्ध मिठाई पेठा बन गया.

पेठा खाने के ये हैं लाभ.
पेठा खाने के ये हैं लाभ. (Photo Credit; ETV Bharat)

सात से आठ बार होती है धुलाई : कारीगर रामप्रकाश ने बताया कि सबसे पहले आढ़त पर किसानों से पेठा का फल आता है. यहां से काराखाने में जाता है. पहले पेठा फल की धुलाई की जाती है. जिससे पेठा फल पर लगी मिटटी और अन्य गंदगी हट जाए. इसके बाद पेठा फल को चार या छह पीस में काटते हैं. इसके बाद गूदा निकालकर उसकी छिलाई की जाती है. पेठे की वैरायटी बनाने के हिसाब से ही फल छिलाई की जाती है. इसके बाद धुलाई और मशीन में कटिंग किए पेठा फल की गुदाई की जाती है, जिससे उसमें चीनी की चासनी अच्छी तरह से भरे. इसके बाद उसे चूने के पानी में डाला जाता है. जिससे पेठा अपनी पुरानी स्थिति में आ जाता है. फिर पेठा फल को छोटे-छोटे पीस में काटा जाता है. जिसके बाद साफ पानी से धुला जाता है, जिससे चूने का पानी बाहर निकल जाए. इसके बाद पेठा को उबाला जाता है. फिर चीनी की चाशनी बनाकर उसमें भी एक से डेढ घंटे पकाया जाता है. इससे ही शुद्ध पेठा बनकर तैयार होता है.

मिठास गजब, स्वाद लाजबाव : पर्यटक अक्षत कुमार ने बताया कि हमारे मिर्जापुर में सादा पेठा मिलता है, जिसका स्वाद भी कसैला होता है. आगरा का पेठा खाया तो इसकी मिठास की बात ही अलग है. आगरा में कई वैरायटी के पेठा हैं, जिनका स्वाद ही अलग है. इसलिए, आगरा से कई वैरायटी का पेठा घर लेकर जाउंगा. पर्यटक मनोज गुप्ता कहते हैं, पहली बार पेठा मिठाई खाई है. इसका स्वाद गजब है. आगरा से परिवार के लिए पेठा खरीद कर ले जा रहा हूं. पर्यटक रजनीकांत राय ने बताया कि आगरा की वैरायटी और स्वाद लाजवाब है. हमारे यहां पर जो पेठा मिलता है, स्वाद में खटटा होता है. मगर, आगरा का पेठा जूसी और गजब की मिठास वाला है.

अब साउथ से भी पेठा की खूब डिमांड : पेठा का ऑनलाइन कारोबार करने वाले जिक्की ने बताया कि वैसे तो देश में ताजमहल के बारे में जो भी जानता है, वह आगरा के पेठा के बारे में भी जानता है. देश के हर राज्य में आगरा का पेठा जाता है. वैसे आगरा पेठा की सबसे ज्यादा खपत हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब, दिल्ली, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार समेत अन्य राज्य हैं. मगर, अब हमारे पास सबसे अधिक ऑर्डर साउथ के प्रदेशों से आ रहे हैं. वहां के लोगों को आगरा पेठा खूब पसंद आ रहा है.

ये है वैरायटी.
ये है वैरायटी. (Photo Credit; ETV Bharat)

ऑनलाइन मांग में बढ़ोतरी: पेठा कारोबारी यर्थाथ अग्रवाल ने बताया कि आगरा में इसे बनाने का पहला कारखाना हमारे दादाजी गोकुलचंद गोयल ने लगाया था. पहले सादा पेठा बनता था. इसके बाद केसर पेठा, अंगूरी पेठा, लाल पेठा और अन्य वैरायटी में बनने लगा. 2004 के बाद आगरा के बाद जब मेरे पिता ने पेठा कारोबार संभाला तो उन्होंने कई वैरायटी बनाईं. जिसमें बटरस्कॉच पेठा लडडू, पान पेठा, सैंडविच पेठा, पेठा बर्फी समेत अन्य बनाई जाए. मैं तीसरी पीढी हूं. अब दुकान से ज्यादा आगरा का पेठा ऑनलाइन भी खूब मंगवाया जा रहा है.

त्योहार पर खपत ज्यादा : शहीद भगत सिंह पेठा कुटीर उद्योग के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल बताते हैं कि पेठा एक सीजनल फल और सीजनल मिठाई है. पेठा मिठाई की डिमांड त्योहार पर अधिक होती है. जैसे नवरात्रि, दीपावली, होली, रक्षाबंधन और अन्य त्योहार पर डिमांड अधिक होती है. नवरात्रि में पेठा खूब खाया जाता है. इसलिए, नवरात्रि और त्योहारों पर पेठा की डिमांड दस गुना तक बढ़ जाती है.

अब गैस की भट्ठी पर बनता है पेठा: शहीद भगत सिंह पेठा कुटीर उद्योग के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल बताते हैं कि वर्तमान में पेठा पर पांच फीसदी जीएसटी है. पहले सरकारों ने पेठा उद्योग को टैक्स मुक्त करने का आश्वासन दिया था. पेठा उद्योग एग्रीकल्चर से जुड़ा है. इसमें किसान से लेकर मजदूर सब काम करते हैं. इसलिए, पेठा कारोबार को टैक्स मुक्त किया जाना चाहिए. आगरा में पेठा पहले कोयले की भट्ठी पर बनता था. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और टीटीजेड (ताज ट्रैपेजियम जोन) की वजह से आगरा में कोयले की भट्टी बंद हैं. अब गैस की भट्ठी पर पेठा बनता है. जिससे पेठा बनाने की कीमत भी बढ़ी है. सरकार से लगातार मांग की जा रही है कि आगरा के पेठा उद्योग के लिए सब्सिडी पर गैस देने की मांग हो रही है. इस बारे में अधिकारियों से लगातार मिलते रहे हैं.

पेठे में क्या है खास.
पेठे में क्या है खास. (Photo Credit; ETV Bharat)

आगरा में फूड प्रोसेसिंग यूनिट की डिमांड : शहीद भगत सिंह राजेश अग्रवाल बताते हैं कि पेठा एक भारतीय मिठाई है. आगरा टीटीजेड (ताज ट्रैपेजियम जोन) में है. 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश किया था कि जो कुटीर उद्योग हैं, उन्हें ग्रीन फ्यूल सब्सिडी पर दिया जाए. इस बारे में लगातार आगरा के पेठा कारोबारी सब्सिडी पर ग्रीन फ्यूल यानी गैस के लिए डिमांड कर रहे हैं. टीटीजेड की कमान आगरा में कमिश्नर के पास है. उन्होंने टीटीजेड को लेकर 128 अन्य ईकाइयों को सब्सिडी पर गैस दी. मगर, आगरा के सबसे पुराने पेठा कारोबार को अभी तक सब्सिडी की गैस नहीं मिल रही है. इस बारे में पर्यटन मंत्री, आगरा कमिश्नर और एडीएम सिटी से भी पत्राचार किया है. जिससे पेठा कारोबार को ग्रीन फ्यूल यानी सब्सिडी की गैस मिले. इसके साथ ही आगरा में फूड प्रोसेसिंग यूनिट दी जाए. जिससे पेठा की सेल्फ लाइफ बढेगी. जिससे किसान, मजदूर और कारोबारी सभी को लाभ होगा.

ओडीओपी में शामिल, अब जीआई टैग की बारी : राजेश अग्रवाल बताते हैं कि योगी सरकार ने अपनी 'एक जिला एक उत्पाद ओडीओपी योजना' में पेठा कारोबार शामिल किया है. जिससे भी पेठा कारोबार को एक नई पहचान मिली है. मैंने 2010 में आगरा के पेठा को जीआई टैग दिलाने के लिए कार्य किया था. मगर, नहीं मिल सका. इस बारे में अब जीआई टैग को लेकर पुरस्कार पाने वाले रजनीकांत माहेश्वरी के जरिए दोबारा से आगरा पेठा का जीआई टैग दिलाने को लेकर अप्लाई किया है, जो हियरिंग में चल रहा है. इस बारे में कालिंदी विहार पेठा उद्योग के उपाध्यक्ष सोनू मित्तल ने बताया कि ओडीओपी से आगरा के पेठा कारोबार को नई संजीवनी मिली है. अब आगरा के पेठा कारोबारी और तमाम एसोसिएशन मिलकर आगरा पेठा के जीआई टैग को लेकर काम कर रही हैं.

पेठे से जुड़े रोचक तथ्य.
पेठे से जुड़े रोचक तथ्य. (Photo Credit; ETV Bharat)

विंटर मेलन या कुम्हड़ा: पेठा यानी सफेद कद्दू को देश में अलग क्षेत्र में अलग-अलग नाम से जाना जाता है है. देश में पेठा फल को कुम्हड़ा, कूष्माण्ड (कदीमा) या कहीं-कहीं इसे सफेद कद्दू कहते हैं. अंग्रेजी में पेठा को ऐश गॉर्ड, वैक्स गॉर्ड या विंटर मेलन भी कहते हैं. पेठा फल को विंटर मेलन कहने की दो अहम वजह है. पहली पेठा के सेवन से शरीर को ठंडक मिलती है और दूसरी इसकी खेती पतझड़ तक ही होती है. राजेश अग्रवाल बताते हैं कि देश में प्रचलित करीब 35 भाषाओं में अलग-अलग नाम से इसे जाना जाता है. इंग्लिश में ही पेठा के तीन नाम हैं. जिसे एस गार्ड, व्हाइट पंपकिन और विंटर मेलन.

आगरा में पेठा बनाते कारीगर.
आगरा में पेठा बनाते कारीगर. (Photo Credit; ETV Bharat)

पेठा सेवन के ये माने गए हैं फायदे

  • एनर्जी बूस्टर: आयुर्वेद में पेठा का जिक्र इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में किया गया है. जिससे ही बीमारियां कम होती हैं. पेठा के सेवन से तमाम बीमारियों का इलाज होता है.
  • कब्ज होती दूरः पेठा के सेवन से गैस और कब्ज की समस्या में असरदार है. जिसकी वजह पेठा में गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव व एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं. जिससे ही गैस और कब्ज में राहत मिलती है.
  • कोलेस्ट्रॉल पर कंट्रोल: पेठा में पर्याप्त मात्रा में फाइटोस्टेरॉल होता है. फाइटोस्टेरॉल शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने में मदद करता है. शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने से हार्ट अटैक, कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुणा कम हो जाता है.
  • वजन कम करने में मददगार: पेठा में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है. इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है. कम कैलोरी और फाइबर की वजह से ही पेठा के सेवन से भूख कम लगती है. जिससे एक्स्ट्रा फूड को खाने की क्रेविंग कम करता है और वजन कम करने में मदद मिलती है.
  • किडनी करे डिटॉक्स: पेठा में मौजूद औषिधीय गुणों की वजह से शरीर में जमा गंदगी निकालने में मदद मिलती है. जिससे शरीर डिटॉक्स होता है और किडनी स्टोन कम बनती है. इसके साथ ही यूरिनरी इंफेक्शन में पेठा का सेवन फायदेमंद है.
  • शरीर रखे हाइड्रेटेड: पेठा में एंटी ऑक्सीडेंट और मिनरल्स भरपूर हैं. जिससे ही पेठा के सेवन से हमारे शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद मिलती है. कहें तो पेठा का सेवन हमारे शरीर में एक चॉकलेट की तरह काम करता है.
  • आंखों के लिए फायदेमंद: पेठा में ल्यूटिन और जेक्सैन्थिन की पर्याप्त मात्रा होती है. जैक्सैन्थिन से ही धूप की हानिकारक किरणों से आंखें बचती हैं. पेठा का सेवन मोतियाबिंद रोकने में मदद है.
  • डिप्रेशन कंट्रोल: सफेद पेठा में एल-ट्रिप्टोफैन होता है. ट्रिप्टोफैन की कमी से डिप्रेशन होता है. कहें तो यह एक आवश्यक अमीनो-एसिड है. जिसका शरीर निर्माण नहीं कर सकता है. इसलिए, पेठा के सेवन से उदास मनोदशा कम होती है. इसके साथ ही खुशी की भावना बढ़ती है.
  • पेट को रखे ठंडा: पेठा की तासीर ठंडी है. यह आसानी से बनने वाली शुद्ध मिठाई है. पेठा रसीला और सूखा दोनों तरह का बनाया जाता है. जिसके सेवन से पेट ठंडा रहता है. गर्मी में पेठा के सेवन से फायदा होता है.
  • श्वसन तंत्र में लाभदायक: पेठा में मौजूद पोषक और औषिधीय गुण से श्वास नली में जमा कफ या बलगम आसानी से बाहर निकलता है. इसलिए पेठा खाने से सांस नली साफ होती है. फेफड़ों को हेल्दी रखने में मदद मिलती है. एलर्जी भी कंट्रोल होती है.
  • पाचन तंत्र बने बेहतर: पेठा भरपूर फाइबर होता है. यदि किसी को पेट खराब होना, कब्ज, ऐंठन और सूजन है तो पेठा खाने से पाचन तंत्र बेहतर हो सकता है.
  • डायबिटीज के मरीजों के लिए गुणकारी: पेठा के सेवन से ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रहता है. नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, गर्मी में पेठा के सेवन से पेट के अल्सर, टाइप 2 डायबिटीज, इन्फ्लेमेशन और कई दूसरी बीमारियां दूर रहती हैं.

नगर निगम बनाएगा पेठा वेस्ट से सीएनसी : आगरा नगर निगम ने पेठा कारोबारों से निकलने वाले वेस्ट से बायो सीएनजी का निर्माण करने की पूरी प्लानिंग की है. नगर निगम की ओर से 70.88 करोड़ की लागत से आगरा में 150 टन प्रतिदिन (टीपीडी) क्षमता का एक बायोमीथेनेशन प्लांट स्थापित करके करने की योजना बनाई गई है. नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल ने बताया कि आगरा के पेठा कारोबार के वेस्ट, गीला कूड़ा, बाजार में सब्जियों का कूड़ा, फ्लावर वेस्ट से बायो सीएनजी का उत्पादन किया जाएगा. इसके लिए इटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट किया जाएगा. जिसमें आगरा का चयन होने पर करीब 140 करोड़ रुपए की योजनाओं को अमली जामा पहनाया जाएगा.

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आगरा: ताजमहल के साथ ही आगरा की पहचान यहां की पेठा मिठाई से भी है. चांदी सा सफेद और सेहत के लिए लाभकारी माना जाने वाला पेठा औषधीय गुणों से युक्त है. आगरा आने वाले हर देशी-विदेशी पर्यटक की पहली पंसद स्वाद से भरपूर पेठा मिठाई ही रहती है.चाशनी में डूबे पेठे की आगरा में कई वैरायटी मिलती हैं. यहां आने वाले पर्यटक इसका स्वाद तो लेते ही हैं, इसकी मिठास साथ घर भी ले जाते हैं. पेठे को लेकर तमाम कहानियां हैं. कहा जाता है कि सदियों पहले पेठा को दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. आज यूपी में योगी सरकार द्वारा ओडीओपी योजना में शामिल होने के बाद पेठा कारोबार आगरा में सालाना करीब 250 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है. इसकी डिमांड देश के साथ ही ​विदेशों तक में है. आइए, जानते हैं पेठा कितना पुराना, क्या है इसे बनाने की प्रक्रिया और कभी दवाई के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिठाई की कितनी है वैरायटी.

आगरा का पेठा इसलिए है मशहूर. (Video Credit; ETV BHARAT)

आगरा में 500 से ज्यादा ईकाइयां: आगरा में 500 से ज्यादा पेठा ईकाइयां हैं. जिनमें हर दिन लगभग 700 टन पेठा तैयार होता है. ये अलग-अलग करीब 42 वैरायटी का होता है. नूरी दरवाजा और शहर के अन्य इलाकों से निकल कर पेठा ईकाइयां अब आसपास के कस्बों में शिफ्ट हो गई हैं. देश के अलावा आगरा का पेठा पूरी दुनिया में खूब पसंद किया जाता है. ताजमहल का दीदार करने आने वाले हर पर्यटक की पहली पसंद पेठा होता है. पर्यटक हों या फिर अन्य लोग, मिलावटी मावा मिठाइयों की अपेक्षा पेठा खाना पसंद करते हैं. इसमें मिलावट की गुंजाइश कम होती है.

आयुर्वेद में पेठा का वर्णन : आयुर्वेद में पेठा का वर्णन मिलता है. महाभारत काल से पेठा का उपयोग औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा. सदियों से लोग अम्लावित्त, रक्तविकार, वात प्रकोप, जिगर, स्त्री रोग समेत अन्य बीमारियों में पेठे का सेवन औषधि के तौर पर करते रहे. इसका नाम कुम्हड़ा भी है. जिसे संस्कृति में कूष्मांड कहते हैं. जिसमें अनेक औषिधीय गुण हैं. वक्त के साथ पेठे की कई वैरायटी बनती गईं और मिठाई के रूप में इसकी ख्याति बढ़ती गई. स्वाद के साथ सेहत से भरपूर पेठे को लेकर लोगों में अलग ही चाव नजर आता है.

यूं औषधि बनी मिठाई : वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि पेठा के बारे में आयुर्वेद में जिक्र है. यह एक आयुर्वेदिक औषधि है. जिसे आयुर्वेदाचार्य तमाम बीमारियों में मरीजों को दिया करते थे. महाभारत काल में सबसे पहले पेठा मिठाई बनाए जाने की बातें तमाम जगह लिखी हैं. एक किवदंती यह है कि ताजमहल से पहले मुगलिया रसोई में यह मिठाई बनाई गई थी. मुगल बादशाह शाहजहां ने सबसे पहले पेठा मिठाई बनवाई थी. जब ताजमहल बना तो मजदूरों को पेठा मिठाई खाने को दी जाती थी. मगर, किसी भी किताब में शाहजहां के पेठा मिठाई बनवाने के बारे में कुछ नहीं लिखा है. यह एक किवदंती है. आगरा में पेठा की बात करें तो 1920 के बाद पेठा मिठाई बनाने के बारे में किताबों में लिखा है. इससे पहले पेठा मिठाई एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में आयुर्वेदाचार्य बनाकर मरीजों को खाने की सलाह देते थे. धीरे-धीरे इसके स्वाद में परिवर्तन लाने के लिए चीनी की चाशनी में सुगंध का इस्तेमाल करके रसीला पेठा बनने लगा.

आगरा में पेठे का कारोबार.
आगरा में पेठे का कारोबार. (Photo Credit; ETV Bharat)

व्रत का फल: शहीद भगत सिंह पेठा कुटीर उद्योग के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल बताते हैं कि महाभारत काल से पेठा बनाए जाने की जानकारी आयुर्वेद में मिलती है. आयुर्वेद में कुम्हड़ा नामक फल से लिखा है. जिसके अन्य भी नाम हैं. यह व्रत में खाया जाने वाला फल है. पेठा बनाने में चीनी का प्रयोग होता है. इसलिए यह एक शुद्ध मिठाई है. पेठा फल की पूजा भी की जाती है. इसके साथ ही पेठा फल को तमाम लोग टोना और टोकटा करने में इस्तेमाल करते हैं.

पेठा तीन रूप से उपयोगी

  • आयुर्वेद की औषधि
  • धार्मिक अनुष्ठान
  • मिठाई के रूप में

धार्मिक अनुष्ठान: पेठा फल का उपयोग धार्मिक अनुष्ठान में किया जाता है. कई प्रदेश में पेठा फल की मां काली को प्रसन्न करने के लिए बलि तक दी जाती है. साउथ में नजरौटा के रूप में भी बांधा जाता है. आगरा की बात करें तो पूर्णिमा और अमावस को पेठा कारोबारी इसकी पूजा करते हैं. इन तिथियों को पेठा कारोबारी इसे काटते नहीं हैं. इसलिए, आगरा में हर पूर्णिमा और अमावस्या पर पेठा कारखाना में पेठा नहीं बनता है.

शुद्ध मिठाई : पेठा को भारतीय मिठाई होने का गौरव प्राप्त है. जो एक शुद्ध मिठाई है. पेठा फल और चीनी से बनाया जाता है. इसमें कैसी भी मिलावट नहीं होती है.

आगरा में यहां पर पेठा की इकाइयां : पुराने शहर में नूरी दरवाजा के साथ ही केके नगर, हलवाई की बगीची, एत्मादउद्दौला, कालिंदी विहार, रुनकता, खेरागढ़, फतेहाबाद, शमशाबाद, सैंया सकेत अन्य क्षेत्रा में पेठा बनाने की ईकाइया हैं.

आगरा में पेठा की शुरूआत : पेठा का उपयोग पहले औषधि के रूम में किया जाता था. आयुर्वेचार्य पहले अन्य आयुर्वेदिक औषधियों के साथ पाक बनाकर बीमार लोगों को देते थे. जिससे यह स्वाद में मीठा होता था. आयुर्वेदाचार्य तक लिवर संबंधी बीमारी, पीलिया, पेट संबंधी बीमारी, आंखों की रोशनी संबंधी बीमारी और संतान की उत्पत्ति के लिए भी पेठा फल पति और पत्नी को खिलाया जाता था. जिससे ही धीरे धीरे इसे मिठाई के रूप में उपयोग किया जाने लगा. क्योंकि, पहले भी लोग सेहत को लेकर ज्यादा सजग थे. आगरा में पहले शीरे यानी गन्ने के रस के साथ बनाया जाता था. जिससे ही उस समय सबसे सस्ती और शुद्ध मिठाई पेठा बन गया.

पेठा खाने के ये हैं लाभ.
पेठा खाने के ये हैं लाभ. (Photo Credit; ETV Bharat)

सात से आठ बार होती है धुलाई : कारीगर रामप्रकाश ने बताया कि सबसे पहले आढ़त पर किसानों से पेठा का फल आता है. यहां से काराखाने में जाता है. पहले पेठा फल की धुलाई की जाती है. जिससे पेठा फल पर लगी मिटटी और अन्य गंदगी हट जाए. इसके बाद पेठा फल को चार या छह पीस में काटते हैं. इसके बाद गूदा निकालकर उसकी छिलाई की जाती है. पेठे की वैरायटी बनाने के हिसाब से ही फल छिलाई की जाती है. इसके बाद धुलाई और मशीन में कटिंग किए पेठा फल की गुदाई की जाती है, जिससे उसमें चीनी की चासनी अच्छी तरह से भरे. इसके बाद उसे चूने के पानी में डाला जाता है. जिससे पेठा अपनी पुरानी स्थिति में आ जाता है. फिर पेठा फल को छोटे-छोटे पीस में काटा जाता है. जिसके बाद साफ पानी से धुला जाता है, जिससे चूने का पानी बाहर निकल जाए. इसके बाद पेठा को उबाला जाता है. फिर चीनी की चाशनी बनाकर उसमें भी एक से डेढ घंटे पकाया जाता है. इससे ही शुद्ध पेठा बनकर तैयार होता है.

मिठास गजब, स्वाद लाजबाव : पर्यटक अक्षत कुमार ने बताया कि हमारे मिर्जापुर में सादा पेठा मिलता है, जिसका स्वाद भी कसैला होता है. आगरा का पेठा खाया तो इसकी मिठास की बात ही अलग है. आगरा में कई वैरायटी के पेठा हैं, जिनका स्वाद ही अलग है. इसलिए, आगरा से कई वैरायटी का पेठा घर लेकर जाउंगा. पर्यटक मनोज गुप्ता कहते हैं, पहली बार पेठा मिठाई खाई है. इसका स्वाद गजब है. आगरा से परिवार के लिए पेठा खरीद कर ले जा रहा हूं. पर्यटक रजनीकांत राय ने बताया कि आगरा की वैरायटी और स्वाद लाजवाब है. हमारे यहां पर जो पेठा मिलता है, स्वाद में खटटा होता है. मगर, आगरा का पेठा जूसी और गजब की मिठास वाला है.

अब साउथ से भी पेठा की खूब डिमांड : पेठा का ऑनलाइन कारोबार करने वाले जिक्की ने बताया कि वैसे तो देश में ताजमहल के बारे में जो भी जानता है, वह आगरा के पेठा के बारे में भी जानता है. देश के हर राज्य में आगरा का पेठा जाता है. वैसे आगरा पेठा की सबसे ज्यादा खपत हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब, दिल्ली, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार समेत अन्य राज्य हैं. मगर, अब हमारे पास सबसे अधिक ऑर्डर साउथ के प्रदेशों से आ रहे हैं. वहां के लोगों को आगरा पेठा खूब पसंद आ रहा है.

ये है वैरायटी.
ये है वैरायटी. (Photo Credit; ETV Bharat)

ऑनलाइन मांग में बढ़ोतरी: पेठा कारोबारी यर्थाथ अग्रवाल ने बताया कि आगरा में इसे बनाने का पहला कारखाना हमारे दादाजी गोकुलचंद गोयल ने लगाया था. पहले सादा पेठा बनता था. इसके बाद केसर पेठा, अंगूरी पेठा, लाल पेठा और अन्य वैरायटी में बनने लगा. 2004 के बाद आगरा के बाद जब मेरे पिता ने पेठा कारोबार संभाला तो उन्होंने कई वैरायटी बनाईं. जिसमें बटरस्कॉच पेठा लडडू, पान पेठा, सैंडविच पेठा, पेठा बर्फी समेत अन्य बनाई जाए. मैं तीसरी पीढी हूं. अब दुकान से ज्यादा आगरा का पेठा ऑनलाइन भी खूब मंगवाया जा रहा है.

त्योहार पर खपत ज्यादा : शहीद भगत सिंह पेठा कुटीर उद्योग के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल बताते हैं कि पेठा एक सीजनल फल और सीजनल मिठाई है. पेठा मिठाई की डिमांड त्योहार पर अधिक होती है. जैसे नवरात्रि, दीपावली, होली, रक्षाबंधन और अन्य त्योहार पर डिमांड अधिक होती है. नवरात्रि में पेठा खूब खाया जाता है. इसलिए, नवरात्रि और त्योहारों पर पेठा की डिमांड दस गुना तक बढ़ जाती है.

अब गैस की भट्ठी पर बनता है पेठा: शहीद भगत सिंह पेठा कुटीर उद्योग के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल बताते हैं कि वर्तमान में पेठा पर पांच फीसदी जीएसटी है. पहले सरकारों ने पेठा उद्योग को टैक्स मुक्त करने का आश्वासन दिया था. पेठा उद्योग एग्रीकल्चर से जुड़ा है. इसमें किसान से लेकर मजदूर सब काम करते हैं. इसलिए, पेठा कारोबार को टैक्स मुक्त किया जाना चाहिए. आगरा में पेठा पहले कोयले की भट्ठी पर बनता था. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन और टीटीजेड (ताज ट्रैपेजियम जोन) की वजह से आगरा में कोयले की भट्टी बंद हैं. अब गैस की भट्ठी पर पेठा बनता है. जिससे पेठा बनाने की कीमत भी बढ़ी है. सरकार से लगातार मांग की जा रही है कि आगरा के पेठा उद्योग के लिए सब्सिडी पर गैस देने की मांग हो रही है. इस बारे में अधिकारियों से लगातार मिलते रहे हैं.

पेठे में क्या है खास.
पेठे में क्या है खास. (Photo Credit; ETV Bharat)

आगरा में फूड प्रोसेसिंग यूनिट की डिमांड : शहीद भगत सिंह राजेश अग्रवाल बताते हैं कि पेठा एक भारतीय मिठाई है. आगरा टीटीजेड (ताज ट्रैपेजियम जोन) में है. 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश किया था कि जो कुटीर उद्योग हैं, उन्हें ग्रीन फ्यूल सब्सिडी पर दिया जाए. इस बारे में लगातार आगरा के पेठा कारोबारी सब्सिडी पर ग्रीन फ्यूल यानी गैस के लिए डिमांड कर रहे हैं. टीटीजेड की कमान आगरा में कमिश्नर के पास है. उन्होंने टीटीजेड को लेकर 128 अन्य ईकाइयों को सब्सिडी पर गैस दी. मगर, आगरा के सबसे पुराने पेठा कारोबार को अभी तक सब्सिडी की गैस नहीं मिल रही है. इस बारे में पर्यटन मंत्री, आगरा कमिश्नर और एडीएम सिटी से भी पत्राचार किया है. जिससे पेठा कारोबार को ग्रीन फ्यूल यानी सब्सिडी की गैस मिले. इसके साथ ही आगरा में फूड प्रोसेसिंग यूनिट दी जाए. जिससे पेठा की सेल्फ लाइफ बढेगी. जिससे किसान, मजदूर और कारोबारी सभी को लाभ होगा.

ओडीओपी में शामिल, अब जीआई टैग की बारी : राजेश अग्रवाल बताते हैं कि योगी सरकार ने अपनी 'एक जिला एक उत्पाद ओडीओपी योजना' में पेठा कारोबार शामिल किया है. जिससे भी पेठा कारोबार को एक नई पहचान मिली है. मैंने 2010 में आगरा के पेठा को जीआई टैग दिलाने के लिए कार्य किया था. मगर, नहीं मिल सका. इस बारे में अब जीआई टैग को लेकर पुरस्कार पाने वाले रजनीकांत माहेश्वरी के जरिए दोबारा से आगरा पेठा का जीआई टैग दिलाने को लेकर अप्लाई किया है, जो हियरिंग में चल रहा है. इस बारे में कालिंदी विहार पेठा उद्योग के उपाध्यक्ष सोनू मित्तल ने बताया कि ओडीओपी से आगरा के पेठा कारोबार को नई संजीवनी मिली है. अब आगरा के पेठा कारोबारी और तमाम एसोसिएशन मिलकर आगरा पेठा के जीआई टैग को लेकर काम कर रही हैं.

पेठे से जुड़े रोचक तथ्य.
पेठे से जुड़े रोचक तथ्य. (Photo Credit; ETV Bharat)

विंटर मेलन या कुम्हड़ा: पेठा यानी सफेद कद्दू को देश में अलग क्षेत्र में अलग-अलग नाम से जाना जाता है है. देश में पेठा फल को कुम्हड़ा, कूष्माण्ड (कदीमा) या कहीं-कहीं इसे सफेद कद्दू कहते हैं. अंग्रेजी में पेठा को ऐश गॉर्ड, वैक्स गॉर्ड या विंटर मेलन भी कहते हैं. पेठा फल को विंटर मेलन कहने की दो अहम वजह है. पहली पेठा के सेवन से शरीर को ठंडक मिलती है और दूसरी इसकी खेती पतझड़ तक ही होती है. राजेश अग्रवाल बताते हैं कि देश में प्रचलित करीब 35 भाषाओं में अलग-अलग नाम से इसे जाना जाता है. इंग्लिश में ही पेठा के तीन नाम हैं. जिसे एस गार्ड, व्हाइट पंपकिन और विंटर मेलन.

आगरा में पेठा बनाते कारीगर.
आगरा में पेठा बनाते कारीगर. (Photo Credit; ETV Bharat)

पेठा सेवन के ये माने गए हैं फायदे

  • एनर्जी बूस्टर: आयुर्वेद में पेठा का जिक्र इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में किया गया है. जिससे ही बीमारियां कम होती हैं. पेठा के सेवन से तमाम बीमारियों का इलाज होता है.
  • कब्ज होती दूरः पेठा के सेवन से गैस और कब्ज की समस्या में असरदार है. जिसकी वजह पेठा में गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव व एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं. जिससे ही गैस और कब्ज में राहत मिलती है.
  • कोलेस्ट्रॉल पर कंट्रोल: पेठा में पर्याप्त मात्रा में फाइटोस्टेरॉल होता है. फाइटोस्टेरॉल शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने में मदद करता है. शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने से हार्ट अटैक, कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुणा कम हो जाता है.
  • वजन कम करने में मददगार: पेठा में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है. इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है. कम कैलोरी और फाइबर की वजह से ही पेठा के सेवन से भूख कम लगती है. जिससे एक्स्ट्रा फूड को खाने की क्रेविंग कम करता है और वजन कम करने में मदद मिलती है.
  • किडनी करे डिटॉक्स: पेठा में मौजूद औषिधीय गुणों की वजह से शरीर में जमा गंदगी निकालने में मदद मिलती है. जिससे शरीर डिटॉक्स होता है और किडनी स्टोन कम बनती है. इसके साथ ही यूरिनरी इंफेक्शन में पेठा का सेवन फायदेमंद है.
  • शरीर रखे हाइड्रेटेड: पेठा में एंटी ऑक्सीडेंट और मिनरल्स भरपूर हैं. जिससे ही पेठा के सेवन से हमारे शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद मिलती है. कहें तो पेठा का सेवन हमारे शरीर में एक चॉकलेट की तरह काम करता है.
  • आंखों के लिए फायदेमंद: पेठा में ल्यूटिन और जेक्सैन्थिन की पर्याप्त मात्रा होती है. जैक्सैन्थिन से ही धूप की हानिकारक किरणों से आंखें बचती हैं. पेठा का सेवन मोतियाबिंद रोकने में मदद है.
  • डिप्रेशन कंट्रोल: सफेद पेठा में एल-ट्रिप्टोफैन होता है. ट्रिप्टोफैन की कमी से डिप्रेशन होता है. कहें तो यह एक आवश्यक अमीनो-एसिड है. जिसका शरीर निर्माण नहीं कर सकता है. इसलिए, पेठा के सेवन से उदास मनोदशा कम होती है. इसके साथ ही खुशी की भावना बढ़ती है.
  • पेट को रखे ठंडा: पेठा की तासीर ठंडी है. यह आसानी से बनने वाली शुद्ध मिठाई है. पेठा रसीला और सूखा दोनों तरह का बनाया जाता है. जिसके सेवन से पेट ठंडा रहता है. गर्मी में पेठा के सेवन से फायदा होता है.
  • श्वसन तंत्र में लाभदायक: पेठा में मौजूद पोषक और औषिधीय गुण से श्वास नली में जमा कफ या बलगम आसानी से बाहर निकलता है. इसलिए पेठा खाने से सांस नली साफ होती है. फेफड़ों को हेल्दी रखने में मदद मिलती है. एलर्जी भी कंट्रोल होती है.
  • पाचन तंत्र बने बेहतर: पेठा भरपूर फाइबर होता है. यदि किसी को पेट खराब होना, कब्ज, ऐंठन और सूजन है तो पेठा खाने से पाचन तंत्र बेहतर हो सकता है.
  • डायबिटीज के मरीजों के लिए गुणकारी: पेठा के सेवन से ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रहता है. नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, गर्मी में पेठा के सेवन से पेट के अल्सर, टाइप 2 डायबिटीज, इन्फ्लेमेशन और कई दूसरी बीमारियां दूर रहती हैं.

नगर निगम बनाएगा पेठा वेस्ट से सीएनसी : आगरा नगर निगम ने पेठा कारोबारों से निकलने वाले वेस्ट से बायो सीएनजी का निर्माण करने की पूरी प्लानिंग की है. नगर निगम की ओर से 70.88 करोड़ की लागत से आगरा में 150 टन प्रतिदिन (टीपीडी) क्षमता का एक बायोमीथेनेशन प्लांट स्थापित करके करने की योजना बनाई गई है. नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल ने बताया कि आगरा के पेठा कारोबार के वेस्ट, गीला कूड़ा, बाजार में सब्जियों का कूड़ा, फ्लावर वेस्ट से बायो सीएनजी का उत्पादन किया जाएगा. इसके लिए इटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट किया जाएगा. जिसमें आगरा का चयन होने पर करीब 140 करोड़ रुपए की योजनाओं को अमली जामा पहनाया जाएगा.

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Last Updated : June 24, 2025 at 6:58 AM IST
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