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15 राज्यों में 40 यूनिवर्सिटी से सेटिंग और छाप डालीं 8000 डिग्रियां... पढ़िए- कैसे एक दुकान से चल रहा था फर्जी मार्कशीट का रैकेट - AGRA NEWS

यूपी एसटीएफ और पुलिस ने किया भंडाफोड, गैंग के सरगना धनेश मित्रा और अन्य सदस्यों से जांच टीम कर रही पूछताछ, कई अहम खुलासे

after arresting fake marksheet gang in agra stf revealed network spread india 15 states updates.
फर्जी मार्कशीट मामले में बड़ा खुलासा. (photo credit: etv bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : March 21, 2025 at 10:32 AM IST

Updated : March 21, 2025 at 11:20 AM IST

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आगराः उप्र एसटीएफ की आगरा यूनिट ने आगरा में फर्जी मार्कशीट और​ डिग्री ऑन डिमांड खेल का बड़ा खुलासा किया है. यह यूपी की अब तक की फर्जी मार्कशीट और डिग्री की सबसे बड़ी दुकान मानी जा रही है. गिरफ्तार मास्टरमाइंड धनेश मिश्रा से एसटीएफ और शाहगंज थाना पुलिस की पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. धनेश मिश्रा ने फर्जी मार्कशीट व डिग्री के गोरखधंधे का नेटवर्क 15 राज्यों में फैला रखा था. अब जांच टीम उसके एजेंटों की संख्या की सूची बना रही है. एक मार्कशीट या डिग्री के लिए एजेंटों को मिश्रा पांच हजार रुपये तक का कमीशन देता था. अलग-अलग राज्यों की करीब 40 निजी यूनिवर्सिटी के बाबुओं और एजेंसियों से उनकी सांठगांठ थी. इनके जरिए ही ऑन डिमांड ही मार्कशीट और डिग्री सारा खेल चल रहा था. मार्कशीट या डिग्री कुरियर या ईमेल पर ही आ जाती थी. आगरा एसटीएफ और शाहगंज थाना पुलिस अब गिरफ्त में आए धनेश मिश्रा से पूछताछ करके ​यूनिवर्सिटी के बाबुओं, एजेंट, मार्कशीट और डिग्री लेने वालों की सूची बना रही है.




कंपनी बनाई थी धनेश नेः बता दें कि एसटीएफ की आगरा यूनिट ने मूलत कासगंज निवासी धनेश मिश्रा को गिरफ्तार किया है. धनेश मिश्रा एलएलबी पास है. अभियुक्त धनेश मिश्रा अधिवक्ता बनना चाहता था मगर, उसने खुद का काम शुरू करने के लिए नोट पैड एजुकेशनल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई. इसके जरिए ओपन यूनिवर्सिटीज के लिए नामांकन कराने लगा. आगरा एसटीएफ यूनिट के प्रभारी निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि धीरे धीरे धनेश मिश्रा का लोगों से संपर्क बढता चला गया. उसने फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने का काम शुरू कर दिया.

किराए के मकान में फर्जीवाडे़ की दुकानः एसटीएफ के प्रभारी निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि अभियुक्त धनेश मिश्रा ने 12 हजार रुपये महीने पर अर्जुन नगर में तीन मंजिला मकान लिया. इसके भूतल पर स्थित दो कमरों में फर्जी मार्कशीट और डिग्री की दुकान संचालित होती थी. फर्जी मार्कशीट और डिग्री के कार्यालय में तीन से चार युवतियां पांच से छह हजार रुपये मासिक की नौकरी पर रखीं. यहां से सुभारती यूनिवर्सिटी, मंगलायतन यूनिवर्सिटी, सिक्किम ओपन बोर्ड और सुरेश ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी कराने की आड़ में फर्जी डिग्री और मार्कशीट का खेल चला रहा था. नौकरी पर रखी युवतियां ही छात्रों से बात करती थीं. प्रवेश लेने वालों को परीक्षा में भी सुविधा दिलाने का वादा करके अतिरिक्त रकम लेकर कार्यालय की युवतियाों से कॉपियां लिखवाता था. इसके बाद इन कॉपियों को संबंधित विश्वविद्यालय में भेजता था. ऐसी कॉपियां भी मिली हैं. युवतियों ने भी इस बारे में जानकारी दी है.

40 से अधिक बाबुओं से सेंटिंग, 15 राज्यों में नेटवर्क: एसटीएफ के प्रभारी निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि अभियुक्त धनेश मिश्रा से पूछताछ और उसके कार्यालय से मिले दस्तावेज, डायरी, लेपटॉप और मोबाइल से उसके 15 राज्य में फैले नेटवर्क के सबूत मिले हैं. फर्जी मार्कशीट और डिग्री के नेटवर्क में एजेंट शामिल हैं. जिन्हें हर फर्जी मार्कशीट और डिग्री के लिए पांच हजार और इससे अधिक रुपये तक दिए जाने का अभियुक्त धनेश मिश्रा ने खुलासा किया है. अभियुक्त धनेश मिश्रा ने खुलासा किया है कि ऑन डिमांड डिग्री या मार्कशीट की ऑर्डर आने पर सबसे पहले दिल्ली, झारखंड, बिहार, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में स्थित निजी विश्वविद्यालयों के 40 से अधिक बाबुओं से बात करके उन्हें फर्जी मार्कशीट और डिग्री की डिमांड देता था. निजी यूनिवर्सिटी के बाबुओं से सेटिंग करके ही फर्जी मार्कशीट और डिग्री भेजता था.

गैंग की सूची बना रही एसटीएफ और पुलिस: फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने वाले अभियुक्त धनेश मिश्रा से पूछताछ, उसके मोबाइल से मिले ईमेल, मोबाइल से मिले नंबर, दस्तावेज के आधार पर पूरे नेटवर्क की कुंडली बनाई जा रही है. एसटीएफ और शाहगंज पुलिस अब अभियुक्त की सेटिंग वाले निजी यूनिवर्सिटी के बाबुओं, यूनिवर्सिटी के कर्मचारी के साथ ही एजेंट की सूची बना रही है. इस सूची 300 लोग भी शामिल हैं. जिनकी फर्जी मार्कशीट और डिग्री से अलग अलग राज्यों में अलग अलग विभाग में नौकरी पाई है. इनके बारे में अभियुक्त धनेश मिश्रा ने भी जानकारी दी है. आगरा एसटीएफ यूनिट के प्रभारी निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि अभियुक्त धनेश मिश्रा के पास ऐसे युवा आते थे. जो किसी कारणवश पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते थे. जिन्हें अच्छी नौकरी पाने के लिए बिना परीक्षा दिए मार्कशीट चाहिए होती थी. उसने अपने नेटवर्क में शामिल ऐसे ही एजेंट के नाम बताए हैं. जो अक्सर करके प्राइवेट जॉब करने वाले लोगों के लिए फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने का काम लेकर आते थे. क्योंकि, प्राइवेट नौकरी में मार्कशीट या डिग्री का सत्यापन नहीं कराया जाता है. इसकी वजह से उसका फर्जीवाडा पकड में नहीं आ रहा था.


आठ हजार से अधिक डिग्रियां बेचीः एसटीएफ की पूछताछ और मिले दस्तावेजों से एसटीएफ और शाहगंज थाना पुलिस का अनुमान है कि आरोपी अब तक हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, ग्रेजुएशन, एमबीए, एमसीए, डी फार्मा, बी डिप्लोमा समेत अन्य डिप्लोमा और डिग्री कोर्स की डिग्री बनाकर बेच चुका है. अब तक आठ हजार से अधिक फर्जी अंकपत्र, प्रमाणपत्र बेच चुका है. एसटीएफ निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि जनवरी 2024 में ताजगंज क्षेत्र से फर्जी मार्कशीट बेचने वाले गैंग को दबोचा था. उस गैंग में अभियुक्त धनेश मिश्रा भी शामिल था मगर, वो बच गया था. जब साथी जेल गए तो धनेश मिश्रा ने अपना अलग काम शुरू कर दिया था.


ये भी पढ़ेंः यूपी में फर्जी मार्कशीट की सबसे बड़ी दुकान; 4 साल में 8000 डिग्रियां बेचीं, रेट- 2.5 लाख, कॉलेज जाना न यूनिवर्सिटी

आगराः उप्र एसटीएफ की आगरा यूनिट ने आगरा में फर्जी मार्कशीट और​ डिग्री ऑन डिमांड खेल का बड़ा खुलासा किया है. यह यूपी की अब तक की फर्जी मार्कशीट और डिग्री की सबसे बड़ी दुकान मानी जा रही है. गिरफ्तार मास्टरमाइंड धनेश मिश्रा से एसटीएफ और शाहगंज थाना पुलिस की पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. धनेश मिश्रा ने फर्जी मार्कशीट व डिग्री के गोरखधंधे का नेटवर्क 15 राज्यों में फैला रखा था. अब जांच टीम उसके एजेंटों की संख्या की सूची बना रही है. एक मार्कशीट या डिग्री के लिए एजेंटों को मिश्रा पांच हजार रुपये तक का कमीशन देता था. अलग-अलग राज्यों की करीब 40 निजी यूनिवर्सिटी के बाबुओं और एजेंसियों से उनकी सांठगांठ थी. इनके जरिए ही ऑन डिमांड ही मार्कशीट और डिग्री सारा खेल चल रहा था. मार्कशीट या डिग्री कुरियर या ईमेल पर ही आ जाती थी. आगरा एसटीएफ और शाहगंज थाना पुलिस अब गिरफ्त में आए धनेश मिश्रा से पूछताछ करके ​यूनिवर्सिटी के बाबुओं, एजेंट, मार्कशीट और डिग्री लेने वालों की सूची बना रही है.




कंपनी बनाई थी धनेश नेः बता दें कि एसटीएफ की आगरा यूनिट ने मूलत कासगंज निवासी धनेश मिश्रा को गिरफ्तार किया है. धनेश मिश्रा एलएलबी पास है. अभियुक्त धनेश मिश्रा अधिवक्ता बनना चाहता था मगर, उसने खुद का काम शुरू करने के लिए नोट पैड एजुकेशनल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई. इसके जरिए ओपन यूनिवर्सिटीज के लिए नामांकन कराने लगा. आगरा एसटीएफ यूनिट के प्रभारी निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि धीरे धीरे धनेश मिश्रा का लोगों से संपर्क बढता चला गया. उसने फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने का काम शुरू कर दिया.

किराए के मकान में फर्जीवाडे़ की दुकानः एसटीएफ के प्रभारी निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि अभियुक्त धनेश मिश्रा ने 12 हजार रुपये महीने पर अर्जुन नगर में तीन मंजिला मकान लिया. इसके भूतल पर स्थित दो कमरों में फर्जी मार्कशीट और डिग्री की दुकान संचालित होती थी. फर्जी मार्कशीट और डिग्री के कार्यालय में तीन से चार युवतियां पांच से छह हजार रुपये मासिक की नौकरी पर रखीं. यहां से सुभारती यूनिवर्सिटी, मंगलायतन यूनिवर्सिटी, सिक्किम ओपन बोर्ड और सुरेश ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी कराने की आड़ में फर्जी डिग्री और मार्कशीट का खेल चला रहा था. नौकरी पर रखी युवतियां ही छात्रों से बात करती थीं. प्रवेश लेने वालों को परीक्षा में भी सुविधा दिलाने का वादा करके अतिरिक्त रकम लेकर कार्यालय की युवतियाों से कॉपियां लिखवाता था. इसके बाद इन कॉपियों को संबंधित विश्वविद्यालय में भेजता था. ऐसी कॉपियां भी मिली हैं. युवतियों ने भी इस बारे में जानकारी दी है.

40 से अधिक बाबुओं से सेंटिंग, 15 राज्यों में नेटवर्क: एसटीएफ के प्रभारी निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि अभियुक्त धनेश मिश्रा से पूछताछ और उसके कार्यालय से मिले दस्तावेज, डायरी, लेपटॉप और मोबाइल से उसके 15 राज्य में फैले नेटवर्क के सबूत मिले हैं. फर्जी मार्कशीट और डिग्री के नेटवर्क में एजेंट शामिल हैं. जिन्हें हर फर्जी मार्कशीट और डिग्री के लिए पांच हजार और इससे अधिक रुपये तक दिए जाने का अभियुक्त धनेश मिश्रा ने खुलासा किया है. अभियुक्त धनेश मिश्रा ने खुलासा किया है कि ऑन डिमांड डिग्री या मार्कशीट की ऑर्डर आने पर सबसे पहले दिल्ली, झारखंड, बिहार, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में स्थित निजी विश्वविद्यालयों के 40 से अधिक बाबुओं से बात करके उन्हें फर्जी मार्कशीट और डिग्री की डिमांड देता था. निजी यूनिवर्सिटी के बाबुओं से सेटिंग करके ही फर्जी मार्कशीट और डिग्री भेजता था.

गैंग की सूची बना रही एसटीएफ और पुलिस: फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने वाले अभियुक्त धनेश मिश्रा से पूछताछ, उसके मोबाइल से मिले ईमेल, मोबाइल से मिले नंबर, दस्तावेज के आधार पर पूरे नेटवर्क की कुंडली बनाई जा रही है. एसटीएफ और शाहगंज पुलिस अब अभियुक्त की सेटिंग वाले निजी यूनिवर्सिटी के बाबुओं, यूनिवर्सिटी के कर्मचारी के साथ ही एजेंट की सूची बना रही है. इस सूची 300 लोग भी शामिल हैं. जिनकी फर्जी मार्कशीट और डिग्री से अलग अलग राज्यों में अलग अलग विभाग में नौकरी पाई है. इनके बारे में अभियुक्त धनेश मिश्रा ने भी जानकारी दी है. आगरा एसटीएफ यूनिट के प्रभारी निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि अभियुक्त धनेश मिश्रा के पास ऐसे युवा आते थे. जो किसी कारणवश पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते थे. जिन्हें अच्छी नौकरी पाने के लिए बिना परीक्षा दिए मार्कशीट चाहिए होती थी. उसने अपने नेटवर्क में शामिल ऐसे ही एजेंट के नाम बताए हैं. जो अक्सर करके प्राइवेट जॉब करने वाले लोगों के लिए फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने का काम लेकर आते थे. क्योंकि, प्राइवेट नौकरी में मार्कशीट या डिग्री का सत्यापन नहीं कराया जाता है. इसकी वजह से उसका फर्जीवाडा पकड में नहीं आ रहा था.


आठ हजार से अधिक डिग्रियां बेचीः एसटीएफ की पूछताछ और मिले दस्तावेजों से एसटीएफ और शाहगंज थाना पुलिस का अनुमान है कि आरोपी अब तक हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, ग्रेजुएशन, एमबीए, एमसीए, डी फार्मा, बी डिप्लोमा समेत अन्य डिप्लोमा और डिग्री कोर्स की डिग्री बनाकर बेच चुका है. अब तक आठ हजार से अधिक फर्जी अंकपत्र, प्रमाणपत्र बेच चुका है. एसटीएफ निरीक्षक हुकुम सिंह ने बताया कि जनवरी 2024 में ताजगंज क्षेत्र से फर्जी मार्कशीट बेचने वाले गैंग को दबोचा था. उस गैंग में अभियुक्त धनेश मिश्रा भी शामिल था मगर, वो बच गया था. जब साथी जेल गए तो धनेश मिश्रा ने अपना अलग काम शुरू कर दिया था.


ये भी पढ़ेंः यूपी में फर्जी मार्कशीट की सबसे बड़ी दुकान; 4 साल में 8000 डिग्रियां बेचीं, रेट- 2.5 लाख, कॉलेज जाना न यूनिवर्सिटी

Last Updated : March 21, 2025 at 11:20 AM IST
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