कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू की पर्यटन नगरी मनाली के पलचान से मंडी जिले के औट तक ब्यास के तटीकरण (चेनेलाइजेशन) का काम 2 दशक बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है. दो दशक पहले इसके चेनेलाइजेशन की कवायद शुरू हुई थी. 2005-2006 में चेनेलाइलजेशन के लिए 600 करोड़ की डीपीआर भेजी गई थी, लेकिन ये कवायद सिरे नहीं चढ़ पाई.
तटीकरण के लिए 2024 में 2900 करोड़ की डीपीआर बना कर केंद्र सरकार को भेजी गई थी, लेकिन केंद्र सरकार के जल मंत्रालय ने उस पर आपत्तियां लगाई गई थी. अब फिर से डीपीआर को तैयार किया गया है और 2000 हजार करोड़ की संशोधित डीपीआर केंद्र को फिर मंजूरी के लिए भेज दी गई है. पलचान से औट तक ब्यास नदी का तटीकरण होना है. ब्यास नदी के तटीकरण से पलचान से औट तक बाढ़ का खतरा कम होगा. वर्ष 2023 की आपदा के दौरान व्यास नदी ने मनाली से औट तक भारी तबाही मचाई थी. जमीन के साथ कई भवन ताश के पत्तों की तरह से बह गए थे. इससे पहले भी ब्यास में आई बाढ़ से काफी अधिक नुकसान झेलना पड़ा था. जिला कुल्लू में अधिकतर आबादी वाले क्षेत्र ब्यास के दोनों ओर बसे हैं.

तटीकरण के लिए पिछले दो दशक से चल रही कवायद
ब्यास नदी के तटीकरण को लेकर पिछले दो दशक से कवायद चल रही है, लेकिन तटीकरण की योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है. ऐसे में उम्मीद है कि बरसात में हर बार होने वाले नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार से तटीकरण के लिए हरी झंडी मिल सकती है. बीते साल भी इसकी डीपीआर को तैयार किया गया था और उसे केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन बीते साल ही केंद्र सरकार ने ब्यास नदी के तटीकरण की फाइल को नए सिरे से बनाकर जमा करने को कहा था. इसमें ब्यास नदी के क्रॉस सेक्शन, चौड़ाई और तकनीकी अध्ययन के आधार बनाने की बात की है. इसके अलावा लोगों की संपत्ति जमीन, बगीचे और बस्तियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रोजेक्ट को तैयार करने को कहा गया है.

2023 की बाढ़ को ध्यान में रखकर किया जाएगा काम
ब्यास नदी में बाढ़ आने की स्थिति में कई क्षेत्र खतरे में आ जाते हैं और नेशनल हाईवे तीन कुल्लू-मनाली के बीच बाधित होता है. इससे वाहनों की आवाजाही ठप हो जाती है. तटीकरण से नेशनल हाईवे बाधित नहीं होगा. एनएच तीन मनाली-लेह मार्ग सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. बीते साल संशोधन के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि इस प्रोजेक्ट को अब वर्ष 2023 में आई बाढ़ को ध्यान में रखकर बनाया जाए. इसके अलावा ब्यास नदी के इतिहास को ध्यान में रखते हुए धरातल पर काम किया जाए और लोगों के जान-माल के नुक्सान को रोका जा सके.

डेंजर जोन में बनाई जाएगी सुरक्षा दीवार
अब 2023 में ब्यास नदी में आई बाढ़ से जहां-जहां नदी ने नुक्सान किया है और जहां-जहां नदी ने अपना चैनल बदला है. उसे भी इस प्रारूप का हिस्सा बनाया जाएगा. इसके अलावा जो बस्तियां डेंजर जोन में आती हैं उनकी सुरक्षा के लिए दीवारें बनाने के साथ अन्य आवश्यक कार्य किए जाएंगे. लोगों की जमीन-बगीचों को प्रोटेक्ट करने के लिए सुरक्षा दीवार लगाई जाएगी. नदी के बीच जहां मलबा और चट्टानें अधिक हैं और जहां किनारों को नुक्सान पहुंच रहा है. वहां ड्रेजिंग की जाएगी. इतना ही नहीं, जहां नदी से हाईवे और अन्य सड़कों को नुक्सान होने की संभावनाएं है. वहां भी सुरक्षा दीवार लगाई जाएगी. ऐसे में नई डीपीआर में इन सभी बातों का ध्यान रखा गया हैं.

बाढ़ के होंगे गंभीर परिणाम
जिला कुल्लू के पर्यावरणविद गुमान सिंह का कहना हैं कि, साल 2023 की बाढ़ के बाद नदी ने अपना रास्ता बदल लिया है और आने वाले समय में अगर बाढ़ आती हैं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. सरकार को जल्द तटीकरण का कार्य शुरू करना चाहिए. इसके अलावा नदी नालों के किनारे घर या किसी अन्य प्रकार के निर्माण पर भी रोक लगानी चाहिए, जिन लोगों के घर या जमीन नदी किनारे हैं तो उन्हें भी वहां से शिफ्ट करने का प्रावधान करना चाहिए, ताकि बाढ़ के कारण जान माल का नुकसान न हो सके.'
'कागजी प्रोजेक्ट बनकर रह गया ब्यास का तटीकरण'
पतलीकुहल के रहने वाले ओम बौद्ध, मोहन कपूर, राकेश कुमार का कहना हैं कि हर साल बरसात में ब्यास का पानी उन्हें डराता हैं और कई बार पानी लोगों के घरों में घुस जाता है. इसके अलावा कई बार लोगों की जमीन और संपति भी नदी की चपेट में आ गई है. ब्यास नदी के तटीकरण की डीपीआर कई साल पहले तैयार की गई थी, लेकिन ये प्रोजेक्ट अभी भी सिरे नहीं चढ़ पाया. हालांकि इससे पहले भी केंद्र को इसका प्रारूप बार-बार भेजा गया था, लेकिन इसे ना तो राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया और न ही केंद्र सरकार ने इसे प्राथमिकता दी, जिस कारण इतने सालों में ये सिर्फ कागजी प्रोजेक्ट बनकर रह गया. ऐसे में अब देखना यह है कि इस डीपीआर को अब केंद्र कब तक मंजूरी देता है, ताकि इस तटीकरण का कार्य जल्दी शुरू हो सके.

वहीं, जल शक्ति विभाग के अधीक्षण अभियंता विनोद ठाकुर ने कहा कि 'पलचान से लेकर औट तक होने वाले ब्यास के तटीयकरण की डीपीआर को रिवाइज किया गया है. 2000 करोड़ की डीपीआर को अब मंजूरी के लिए भेज दिया गया है.'
इन क्षेत्रों में है बाढ़ का खतरा
जिला कुल्लू के मनाली के साथ लगता पलचान, रांगड़ी, क्लाथ, 18 मील, पतलीकूहल, रायसन, बाशिंग में एचआरटीसी वर्कशॉप, अखाड़ा बाजार, लंकाबेकर, नेचर पार्क के साथ लगता नदी का क्षेत्र, भुंतर सहित औट तक नदी किनारे बसे रिहायशी क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा रहता है. ऐसे में अगर ब्यास नदी का तटीकरण होता है तो इससे लोगों की संपत्ति का भी बचाव होगा.
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