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अब धरती पर नहीं हवा में उगेगा आलू; नहीं लगेगा कोई रोग, जानिए क्या है ये नई तकनीक? - AEROPONIC TECHNIQUE

मेरठ में खास तरह से बिना मिट्टी के आलू का बीज अब तैयार होगा. यह किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगा.

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बिना मिट्टी के तैयार होगा आलू का बीज (picture credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 15, 2025 at 1:14 PM IST

Updated : April 15, 2025 at 3:27 PM IST

4 Min Read

मेरठ: पश्चिमी यूपी में आलू की खेती बड़े पैमाने पर होती है. अब तक किसानों को आलू उगाने के लिए उन्हें मिट्टी में तैयार बीज ही अपने खेत में लगाना होता था. यही परम्परागत तरीका भी है. लेकिन प्रदेश में पहली बार उद्यान विभाग कुछ ऐसा करने जा रहा है, जिससे किसान को गुणवत्ता परक आलू का बीज उपलब्ध होगा.

इसके साथ ही इस आलू के बीज में रोग भी नहीं लगेगा. ऐसे में किसानों को अधिक लाभ होगा. इस खास तरीके को एरोपोनिक तकनीक कहा जाता है. प्रदेश में सबसे पहले मेरठ मंडल में इस खास तरीके से आलू का बीज तैयार होने जा रहा है.

उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. विनीत कुमार ने बताया कि मेरठ मंडल के हापुड़ जिले में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा आलू के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है. इस केंद्र की स्थापना के पीछे का मकसद यह है कि जो आलू के बीज की कमी रहती है, उसको पूरा कराया जा सके.

एरोपोनिक तकनीक से आलू होगा तैयार : उद्यान विभाग के उप निदेशक विनीत कुमार ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को बीज उपलब्ध कराया जा सके, इस दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं. एरोपोनिक विधि से बिना मिट्टी के आलू का बीज तैयार किया जा रहा है.

इसमें बिना मिट्टी, बिना किसी माध्यम के हवा में जो जड़ें होती हैं. पानी में पोषक तत्वों के माध्यम से बीज को तैयार कराया जाता है. इसके बाद उसे इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए उद्यान विभाग के द्वारा एरोपोनिक सेंटर बाबगढ़ में तैयार हो चुका है. इसके साथ-साथ एक टिशु कल्चर लैब भी तैयार की गई है. 10 हेक्टेयर का फार्म बीज उत्पादन के लिए रहेगा.

रोग मुक्त बीज से ज्यादा होगी पैदावार : विनीत कुमार ने बताया कि पूरे प्रदेश में अब तक इस तकनीक से कहीं भी आलू का बीज तैयार नहीं किया गया है. यह पहली शुरुआत है, जहां अलग तकनीक से आलू का बीज तैयार किया जाएगा.

प्रदेश में सिर्फ मेरठ मंडल के बाबूगढ़ और कुशीनगर जिले के कसिया में आलू के बीज के लिए यह खास सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया जा रहा है. मेरठ मंडल के सेंटर पर काम तीव्र गति से हो रहा है. यहां 90 फीसदी काम हो चुका है.

विनीत कुमार बताते हैं कि विभाग के द्वारा आलू का बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा. अब तक जो परम्परगत तरीके से उद्यान विभाग बीज तैयार कराने के बाद किसानों को उपलब्ध कराता है, जबकि बीज की मांग बहुत अधिक होती है. इस क्षेत्र में इस गैप को पूरा करने के लिए यह आवश्यकता थी, इसीलिए इस खास सेंटर की स्थापना की गई है. इसकी विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से रोग मुक्त तैयार होगा. पैदावार ज्यादा होगी.

उद्यान विभाग उप निदेशक डॉक्टर विनीत कुमार ने दी जानकारी (video credit; ETV Bharat)

क्या है एरोपोनिक तकनीक : केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र मोदीपुरम के पूर्व चीफ टेक्निकल ऑफिसर ओपी सिंह बताते हैं कि एरोपोनिक तकनीक से पौधों को हवा में उगाया जाता है. एरोपोनिक तकनीक के लिए जो विशेष नर्सरी होती है, उसमें आलू के पौधे तैयार किए जाते हैं.

जमीन से ऊपर पानी और न्यूट्रिशन तत्वों की मदद से आलू उत्पादन करते हैं. खास बात यह है कि इस तकनीक से जो आलू का बीज तैयार होगा, वह रोगमुक्त होगा. इस तरीके से अगर आलू कोई उगाना चाहे तो पैदावार भी जमीन की तुलना में अधिक होती है.इससे निश्चित ही आलू उत्पादकों को लाभ होगा. गौरतलब है कि एरोपोनिक तकनीक को हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा ईजाद किया गया था.

आलू प्रौद्योगिकी केंद्र का ये दावा भी है कि Aeroponics तकनीक से आलू उगाने पर अधिक पैदावार तो होगी ही. इसके साथ ही बहुत तेजी से आलू का बढ़ता पौधा भी अपना आकार लेगा. जहां आलू के लिए खेत में पानी भी काफी खर्च होता है.

उसी तरह इस तकनीक से पानी की भी काफी बचत की जा सकती है. रिटायर्ड कृषि वैज्ञानिक ओपी सिंह बताते हैं कि एयरोपोनिक्स (Aeroponics Farming) से आलू की पहली फसल उगने पर 70 से 80 दिन का समय लगता है. इस अवधि के बाद आलू खाने के लायक हो जाता है.

इसे भी पढ़ें - आगरा में आलू बीज घोटाला; कर्मचारियों ने बिक्री का पैसा ब्याज पर उठाया, रोका जाएगा वेतन - AGRA POTATO SEED SCAM

यह भी पढ़ें - महज 60 दिनों में तैयार होता है ये आलू, CPRI के वैज्ञानिक किसानों को देंगे बीज - CSA UNIVERSITY

मेरठ: पश्चिमी यूपी में आलू की खेती बड़े पैमाने पर होती है. अब तक किसानों को आलू उगाने के लिए उन्हें मिट्टी में तैयार बीज ही अपने खेत में लगाना होता था. यही परम्परागत तरीका भी है. लेकिन प्रदेश में पहली बार उद्यान विभाग कुछ ऐसा करने जा रहा है, जिससे किसान को गुणवत्ता परक आलू का बीज उपलब्ध होगा.

इसके साथ ही इस आलू के बीज में रोग भी नहीं लगेगा. ऐसे में किसानों को अधिक लाभ होगा. इस खास तरीके को एरोपोनिक तकनीक कहा जाता है. प्रदेश में सबसे पहले मेरठ मंडल में इस खास तरीके से आलू का बीज तैयार होने जा रहा है.

उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. विनीत कुमार ने बताया कि मेरठ मंडल के हापुड़ जिले में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा आलू के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है. इस केंद्र की स्थापना के पीछे का मकसद यह है कि जो आलू के बीज की कमी रहती है, उसको पूरा कराया जा सके.

एरोपोनिक तकनीक से आलू होगा तैयार : उद्यान विभाग के उप निदेशक विनीत कुमार ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को बीज उपलब्ध कराया जा सके, इस दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं. एरोपोनिक विधि से बिना मिट्टी के आलू का बीज तैयार किया जा रहा है.

इसमें बिना मिट्टी, बिना किसी माध्यम के हवा में जो जड़ें होती हैं. पानी में पोषक तत्वों के माध्यम से बीज को तैयार कराया जाता है. इसके बाद उसे इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए उद्यान विभाग के द्वारा एरोपोनिक सेंटर बाबगढ़ में तैयार हो चुका है. इसके साथ-साथ एक टिशु कल्चर लैब भी तैयार की गई है. 10 हेक्टेयर का फार्म बीज उत्पादन के लिए रहेगा.

रोग मुक्त बीज से ज्यादा होगी पैदावार : विनीत कुमार ने बताया कि पूरे प्रदेश में अब तक इस तकनीक से कहीं भी आलू का बीज तैयार नहीं किया गया है. यह पहली शुरुआत है, जहां अलग तकनीक से आलू का बीज तैयार किया जाएगा.

प्रदेश में सिर्फ मेरठ मंडल के बाबूगढ़ और कुशीनगर जिले के कसिया में आलू के बीज के लिए यह खास सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया जा रहा है. मेरठ मंडल के सेंटर पर काम तीव्र गति से हो रहा है. यहां 90 फीसदी काम हो चुका है.

विनीत कुमार बताते हैं कि विभाग के द्वारा आलू का बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा. अब तक जो परम्परगत तरीके से उद्यान विभाग बीज तैयार कराने के बाद किसानों को उपलब्ध कराता है, जबकि बीज की मांग बहुत अधिक होती है. इस क्षेत्र में इस गैप को पूरा करने के लिए यह आवश्यकता थी, इसीलिए इस खास सेंटर की स्थापना की गई है. इसकी विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से रोग मुक्त तैयार होगा. पैदावार ज्यादा होगी.

उद्यान विभाग उप निदेशक डॉक्टर विनीत कुमार ने दी जानकारी (video credit; ETV Bharat)

क्या है एरोपोनिक तकनीक : केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र मोदीपुरम के पूर्व चीफ टेक्निकल ऑफिसर ओपी सिंह बताते हैं कि एरोपोनिक तकनीक से पौधों को हवा में उगाया जाता है. एरोपोनिक तकनीक के लिए जो विशेष नर्सरी होती है, उसमें आलू के पौधे तैयार किए जाते हैं.

जमीन से ऊपर पानी और न्यूट्रिशन तत्वों की मदद से आलू उत्पादन करते हैं. खास बात यह है कि इस तकनीक से जो आलू का बीज तैयार होगा, वह रोगमुक्त होगा. इस तरीके से अगर आलू कोई उगाना चाहे तो पैदावार भी जमीन की तुलना में अधिक होती है.इससे निश्चित ही आलू उत्पादकों को लाभ होगा. गौरतलब है कि एरोपोनिक तकनीक को हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा ईजाद किया गया था.

आलू प्रौद्योगिकी केंद्र का ये दावा भी है कि Aeroponics तकनीक से आलू उगाने पर अधिक पैदावार तो होगी ही. इसके साथ ही बहुत तेजी से आलू का बढ़ता पौधा भी अपना आकार लेगा. जहां आलू के लिए खेत में पानी भी काफी खर्च होता है.

उसी तरह इस तकनीक से पानी की भी काफी बचत की जा सकती है. रिटायर्ड कृषि वैज्ञानिक ओपी सिंह बताते हैं कि एयरोपोनिक्स (Aeroponics Farming) से आलू की पहली फसल उगने पर 70 से 80 दिन का समय लगता है. इस अवधि के बाद आलू खाने के लायक हो जाता है.

इसे भी पढ़ें - आगरा में आलू बीज घोटाला; कर्मचारियों ने बिक्री का पैसा ब्याज पर उठाया, रोका जाएगा वेतन - AGRA POTATO SEED SCAM

यह भी पढ़ें - महज 60 दिनों में तैयार होता है ये आलू, CPRI के वैज्ञानिक किसानों को देंगे बीज - CSA UNIVERSITY

Last Updated : April 15, 2025 at 3:27 PM IST
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