गिरिडीह: सरकारी भूमि हो या सरकारी नाला. वन भूमि हो या सीएनटी की जमीन. मधुबन में ऐसी भूमि पर अतिक्रमण का खेल वर्षों से चलता रहा है. यहां जिसे मौका मिला, उसने सरकारी भूमि पर कब्जा ही जमा लिया है. प्राकृतिक नाले का स्वरूप ही बदल डाला गया. इसमें गरीब गुरबों को योजनाओं का लाभ देने वाली राशि भी लगा दी गई.
इलाके में अभी नाले पर पुल निर्माण के मामले की जांच चल रही है. अंचल से रिपोर्ट भी जिला मुख्यालय को सुपुर्द कर दी गई है. इस बीच मधुबन में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने का निर्णय अंचलाधिकारी ने ले लिया है. पीरटांड के अंचलाधिकारी गिरिजा शंकर किस्कू ने अभियान की शुरुआत करने की बात कही है. बुधवार को सीओ ने बताया कि अतिक्रमण किए हुए 12 से अधिक लोगों को नोटिस दिया गया है. जिन्हें नोटिस दिया गया है उनके द्वारा सड़क पर अतिक्रमण किया गया है. सभी को दो दिनों के अंदर अतिक्रमण हटाने को कहा गया है. ऐसा नहीं करने पर प्रशासन अपने स्तर से कार्रवाई करेगी.
सीओ ने कहा कि अंचल के द्वारा मधुबन, पारसनाथ में जमीन की मापी भी की गई है. सरकारी भूमि और सीएनटी की भूमि पर कब्जा किन-किन लोगों ने किया, सभी की सूची भी तैयार की गई है. जिसकी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि पर कब्जाधारी पर अग्रतर कार्रवाई होगी. बता दें कि मधुबन में सरकारी जमीन कब्जे की शिकायत कई लोगों ने की है. इन शिकायत पर जिलाधिकारी भी गंभीर रहे हैं.
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मधुबन: नाला अतिक्रमण और पुलिया निर्माण, सवालों के घेरे में जिम्मेदारान