नई दिल्ली: नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में शुक्रवार को आदि रंग महोत्सव 2025 के सातवें संस्करण की शुरुआत हुई. 23 मार्च तक चलने वाले इस समारोह का उद्घाटन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद सरभाई ने किया. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि अगर संस्कृति की बार करें, तो सबसे पहले बातचीत से ही इसकी झलक दिखाई देती है. इसके लिए कोई स्क्रिप्ट नहीं होती है. यह एक पीढ़ी से अगली तक चलती है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि हर कोई आदिवासी हो. सभी की अपनी संस्कृति होती है. एनएसडी द्वारा आयोजित आदि रंग महोत्सव संस्कृति और आदिवासियों को बढ़ावा देनी की एक अच्छी पहल है. वह प्रयास करेंगे एनएसडी को कभी भी फंडिंग की समस्या न आए.
महोत्सव में आदिवासी नायक बिरसा मुंडा की वीरता को सम्मानित करने वाली एक थिएटर प्रस्तुति 'बीर बिरसा' का मंचन भी किया गया. इस नाटक में झारखंड के महान आदिवासी नायक बिरसा मुंडा के जीवन और संघर्ष को प्रस्तुत किया गया. नाटक का निर्देशन जीत राय हंसडा ने किया और इसे मैदी आर्टिस्ट् एसोसिएशन ऑफ ट्राइब, जटाझोपड़ि, पूरब सिंघभूम, झारखंड द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा. इस नाटक में 18 प्रतिभाशाली कलाकारों ने मंचन किया. यह सभी संथाली जनजाति से थे. वहीं कार्यक्रम में क्राफ्ट मेला भी लगाया गया. महोत्सव लगभग 300 आदिवासी कलाकारों को एकत्र करेगा जो ग्रामीण भारत से आए हुए हैं.
आदिवासी समुदायों को समर्पित: इस दौरान एनएसडी के निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी ने कहा, 'हमें बीर बिरसा को अपने मंच पर लाने का गर्व है, जो आदि रंग महोत्सव 2025 का हिस्सा है. यह नाटक केवल बिरसा मुंडा की असाधारण धरोहर को ही जीवंत नहीं करता, बल्कि संथाली जनजाति की सांस्कृतिक परंपराओं को भी उजागर करता है. यह महोत्सव भारत की आदिवासी समुदायों की दृढ़ता और संघर्ष को समर्पित है. हमें उम्मीद है कि यह दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ेगा. हम यह भी उम्मीद करते हैं कि दर्शक क्राफ्ट मेला में भाग लें, जो आदिवासी संस्कृति को उसकी भौतिक रूप में जीवन्त करता है और अद्वितीय स्मृतियां और उपहार प्रदान करता है.' आदि रंग महोत्सव में 15 नृत्य और संगीत प्रदर्शन होंगे, जो 13 राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे. साथ ही 11 राज्यों से आदिवासी शिल्पकला का प्रदर्शन भी किया जाएगा.
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