नक्सलियों का अबूझमाड़ नेटवर्क बर्बाद, 33 लाख के 8 इनामी माओवादियों का सरेंडर
अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के स्ट्राइक से अब इनामी नक्सली भारी संख्या में सरेंडर कर रहे हैं.

By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : July 24, 2025 at 2:36 PM IST
नारायणपुर: बस्तर के अबूझमाड़ में नक्सल नेटवर्क का जाल अब तबाह हो रहा है. गुरुवार को अबूझमाड़ के दुर्गम जंगलों में सक्रिय रहे 8 इनामी नक्सलियों ने सरेंडर किया है. इन नक्सलियों पर 33 लाख रुपये का इनाम घोषित था. नारायणपुर पुलिस के सामने सभी माओवादियों ने सरेंडर किया है. इनमें चार महिला नक्सली भी शामिल हैं.
नारायणपुर एसपी ऑफिस में सरेंडर: सभी आठों नक्सलियों ने नारायणपुर एसपी ऑफिस में सरेंडर किया है.नारायणपुर एसपी रॉबिनसन गुड़िया, बीएसएफ और आईटीबीपी के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में नक्सलियों ने हथियार डाले हैं.
खूंखार नक्सली कमलेश और सुखलाल का सरेंडर: आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में माओवादी संगठन के प्लाटून-16 का कमांडर कमलेश और संगठन की मेडिकल यूनिट से जुड़ा डॉक्टर सुखलाल उर्फ मुखेश जैसे कुख्यात नाम शामिल हैं. ये दोनों लंबे समय से अबूझमाड़ के अंदरूनी क्षेत्रों में सक्रिय थे और शीर्ष माओवादी नेतृत्व के सीधे संपर्क में रहकर संगठन की गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे.
अबूझमाड़ के भीतर सुरक्षा बलों की लगातार दबिश की वजह से यह संभव हुआ है. फोर्स के नक्सल ऑपरेशन की निरंतरता और गांवों के समीप स्थापित सुरक्षा शिविरों की वजह से माओवादियों के भीतर भय का वातावरण बना. यही कारण है कि माओवादी अब आत्मसमर्पण कर रहे हैं और हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं- रॉबिनसन गुड़िया, एसपी, नारायणपुर

चार महिला नक्सलियों का सरेंडर: नारायणपुर एसपी रॉबिनसन गुड़िया ने बताया कि जिन चार महिला नक्सलियों ने सरेंडर किया है. वे महिला माओवादी नक्सलियों की महिला दस्ते का नेतृत्व कर चुकी हैं. कुल 8 नक्सलियों पर 33 लाख रुपये का इनाम था.
सरेंडर नक्सलियों को पुनर्वास नीति का लाभ: नारायणपुर एसपी रॉबिनसन गुड़िया ने मीडिया से बात करते हुए यह जानकारी दी है कि सभी सरेंडर नक्सलियों को राज्य सरकार के पुनर्वास नीति का लाभ मिलेगा. उन्हें हर संभव मदद पहुंचाई जाएगी. जिसमें सुरक्षा, आवास, रोजगार, और कौशल विकास जैसी सुविधाएं शामिल है. इन आठों नक्सलियों का सरेंडर अबूझमाड़ जैसे दुर्गम क्षेत्र में फोर्स की रणनीतिक सफलता मानी जा रही है. इससे नक्सलियों का मांद कहे जाने वाले अबूझमाड़ में फोर्स की और पैठ बढ़ेगी. आने वाले समय में बस्तर में शांति स्थापित करने में भी इससे सुरक्षाबलों को मदद मिलेगी.

