बस्तर: 4 दशकों से बस्तर में काबिज माओवादियों के खिलाफ चलाये जा रहे नक्सल अभियान में 21 मई को सबसे बड़ी सफलता जवानों को मिली. अबूझमाड़ के जंगलों में जवानों ने माओवादियों के जनरल सेक्रेटरी बसवराजू (जनरल सेक्रेटरी) समेत 28 माओवादियों को मार गिराया. इस घटना के बाद माओवादी संगठन ने भी पर्चा जारी कर मुठभेड़ में 28 माओवादियों के मारे जाने की बात स्वीकार की है. नक्सलियों ने अपने प्रेस नोट में आरोप लगाया है कि बसवराजू (जनरल सेक्रेटरी) को ज़िंदा पकड़कर मारा गया है. प्रेस नोट दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के माओवादी प्रवक्ता विकल्प ने जारी की है. माओवादियों के जारी किए प्रेस नोट को लेकर बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने भी बड़ा बयान दिया है.
अबूझमाड़ एनकाउंटर में 27 नहीं 28 नक्सली हुए ढेर: बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि प्रतिबंधित और गैरकानूनी सीपीआई माओवादियों के खिलाफ एक ऐतिहासिक अभियान 21 मई को अबूझमाड़ के जंगल में संचालित किया गया. जिसमें माओवादियों के साथ मुठभेड़ हुई. इस मुठभेड़ में संगठन के जनरल सेक्रेटरी बसवराजू समेत 27 माओवादियों का शव पुलिस ने बरामद किया. माओवादियों ने इस मुठभेड़ में 28 सदस्यों के मारे जाने की बात स्वीकार की है. इनमें मारे गए माओवादी नीलेश का शव माओवादी अपने साथ ले गए. इस मुठभेड़ में हजारों ग्रामीणों और जवानों के मृत्यु का आरोपी माओवादी संगठन का सरगना बसवराजू भी मारा गया. बसवराजू के ऊपर हजारों की संख्या में आपराधिक मामले दर्ज हैं. बीते 40 वर्षों से अनके हिंसात्मक गतिविधियों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उसकी भूमिका रही थी.
नक्सली लीडर बसवराजू भी हुआ था ढेर: आईजी ने बताया कि माओवादियों के प्रेस नोट में इस बात भी जिक्र है कि उनके अन्य 7 साथी घटना में बचकर निकल गए. लेकिन सही बात यह है कि वे डरकर भाग गए. ऐसी घटनाएं हाल फिलहाल में लगातार सामने आ रही हैं. जो स्थानीय माओवादी कैडर हैं वो अपने बड़े बाहरी कैडरों को बचाने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं. जहां भी मुठभेड़ें हो रही है वे अपने सीनियर कैडर को छोड़कर भाग रहे हैं. इसके पीछे का कारण यह है कि बाहरी राज्य तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश इस प्रकार के बाहरी माओवादी स्थानीय माओवादी को इस्तेमाल करते रहे हैं. यही कारण है स्थानीय कैडर तेलुगु कैडरों को बचाने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं.
माओवादियों ने प्रेस नोट जारी कर किया स्वीकार: बस्तर आईजी ने बताया कि प्रेस नोट में यह भी जिक्र है कि माओवादियों ने सबसे पहले सुरक्षाबल के ऊपर हमला किया. जिसमें DRG का सदस्य घोटलुराम शहीद हो गए. इससे यह बात स्पष्ट होता है कि पहले माओवादियों ने जवानों पर पहले हमला किया. जिसके बाद जवानों ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की. जवानों की जवाबी कार्रवाई मेंं 28 माओवादी मारे गए. साथ ही एक अन्य DRG सदस्य रमेश हेमला की आईईडी ब्लास्ट कर हत्या करने की बात भी माओवादियों ने पर्चा जारी कर स्वीकार की. इन दोनों जवानों के शहादत को नमन करते हुए बहुत जल्द बस्तर के उन इलाकों को शांति में तब्दील करने के लिए काम किया जाएगा.
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