नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष आतिशी ने विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को एक पत्र लिखा है. उसमें मुख्यमंत्री द्वारा बिना आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत किए, बजट पेश करने पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में पिछली सरकार द्वारा किए गए कार्यों से दिल्ली वालों की प्रति व्यक्ति आय में इजाफा से लेकर सरकारी खजाने में बढ़ोतरी आदि का जिक्र होता है. शायद इस वजह से नई सरकार ने बिना आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किए ही विधानसभा में बजट प्रस्तुत कर दिया.
जिस पर विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने भी जवाब दिया है उन्होंने आतिशी के आरोपों को असत्य बताया. उन्होंने कहा कि मुझे आतिशी का पत्र मिला जिसमें उन्होंने सदन में बजट पर चर्चा का समय बढ़ाने की मांग की, यह असत्य है कि बजट पर चर्चा के लिए एक घंटे का समय है. यह निर्णय लिया जा चुका है कि बजट पर 26 और 27 मार्च को चर्चा होगी, सभी सदस्यों को बोलने का मौका मिलेगा.
इससे पहले आतिशी ने बजट पर चर्चा के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी. आतिशी ने अपने पत्र में लिखा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा दिल्ली विधानसभा में वार्षिक बजट अनुमान 2025-26 प्रस्तुत किया गया. एक अनुभवी विधायक और उससे भी अधिक अनुभवी जनप्रतिनिधि होने के नाते आप भली-भांति जानते हैं कि वार्षिक बजट अनुमान किसी भी विधानसभा में प्रस्तुत किया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है. इसे प्रस्तुत किए जाने के बाद, इस पर कई दिनों तक चर्चा होती है. दोनों पक्षों के विधायक अपने-अपने विचार प्रस्तुत करते हैं और बजट को विधानसभा द्वारा अंतिम रूप से पारित किए जाने से पहले वित्त मंत्री उन सभी मुद्दों पर जवाब देते हैं. यह चर्चा और बहस न केवल विधायकों के लिए महत्वपूर्ण होती है, बल्कि इस पर दिल्ली के मतदाता और देश भर के लोग भी बारीकी से नज़र रखते हैं.
#WATCH | Delhi Assembly and former CM LoP Atishi says, " the budget session is to present budget and hold a discussion on budget but yesterday, when the list of business for today came, only one hour was allotted for discussion on budget...i want to ask bjp, what are you hiding?… https://t.co/hWe5udFric pic.twitter.com/w2FjzE4HP1
— ANI (@ANI) March 26, 2025
बजट पर चर्चा के लिए समय बढ़ाने की मांग: आतिशी ने आगे पत्र में लिखा है कि उम्मीद थी कि मौजूदा सत्र के बचे हुए तीन दिन बजट पर चर्चा में ही बीतेंगे. कल देर रात 26 मार्च 2025 के लिए 'कार्य सूची' प्राप्त हुई, जिसे देखकर चकित रह गई कि 'कार्य सूची' में इतने सारे विषय हैं कि बजट पर बमुश्किल एक घंटे की चर्चा ही हो पाएगी. चूंकि सत्र का समय सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक है, जिसमें एक घंटा 'नियम 280' पर, एक घंटा 'प्रश्नों' पर तथा एक घंटा भोजनावकाश पर व्यतीत होता है, अतः बजट पर चर्चा, सीएजी रिपोर्ट, नियम 55 के अंतर्गत जल की कमी तथा जलभराव पर अल्पकालिक चर्चा, नियम 107 के अंतर्गत प्रस्ताव, विधानसभा समितियों की 2 रिपोर्टों को स्वीकृत करने तथा मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले वित्तीय दस्तावेजों के लिए केवल 3 घंटे का समय बचता है.
बजट सत्र पर कई सवाल: आतिशी ने अपनी चिट्ठी में सवाल किया कि इस तरह से बजट पर चर्चा कैसे हो सकती है? क्या 70 विधायकों वाली विधानसभा सालाना बजट पर चर्चा करने में बमुश्किल एक घंटा लगाएगी? क्या इसे 5 अन्य एजेंडा मदों के बीच में रखा जाएगा? ऐसा लगता है कि सरकार बजट पर विस्तृत चर्चा से बचना चाहती है. यह बेहद चिंताजनक है. पहले तो सरकार ने सभी संसदीय परंपराओं के खिलाफ जाकर बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं किया और अब बजट पर चर्चा को कई अन्य मुद्दों के बीच में रखा जा रहा है. इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि बजट पर चर्चा के लिए कितना समय दिया जाएगा या सत्ता पक्ष और विपक्ष को कितना समय दिया जाएगा.
विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में आतिशी ने कहा है ऐसा लगने लगा है कि सरकार कुछ छिपाना चाहती है. आर्थिक सर्वेक्षण में कौन से आर्थिक आंकड़े और विश्लेषण हैं, जिन्हें सरकार सामने नहीं लाना चाहती? क्या यह बजट 2025-26 काल्पनिक राजस्व अनुमानों और आर्थिक रुझानों पर आधारित है? क्या यही वजह है कि सरकार आर्थिक सर्वेक्षण पेश नहीं करना चाहती या बजट पर उचित चर्चा नहीं करना चाहती? इसलिए अध्यक्ष के रूप में संसदीय प्रक्रियाओं और लोकाचार की पवित्रता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी की याद दिलाते हुए आतिशी ने लिखा है कि अनुरोध है कि अगले दो दिन केवल बजट पर चर्चा के लिए समर्पित किए जाएं. शेष चर्चा और कार्य 28 मार्च को रखे जा सकते हैं या यदि आवश्यक हो तो सत्र को एक दिन के लिए बढ़ाया जा सकता है.
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