कुचामनसिटी: मकराना की अदालत में फर्जी वकील द्वारा प्रैक्टिस करने का मामला सामने आया है. इसकी भनक जब अन्य वकीलों को लगी और उन्होंने पूछताछ की तो वह पकड़े जाने के डर से न्यायालय की दीवार फांद कर भाग छूटा. वकीलों ने इसकी शिकायत संबंधित न्यायाधीश से की. बाद में अभिभाषक संघ ने फर्जी वकील के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया है.
मकराना थाना अधिकारी सुरेश सोनी ने बताया कि अभिभाषक संघ मकराना के सचिव वरिष्ठ अधिवक्ता अमराराम जाट ने रसाल निवासी सुरेंद्र सिंह पुत्र पूसाराम मेघवाल पर फर्जी वकील बनकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है. जाट ने पुलिस में दर्ज रिपोर्ट में बताया कि गत 31 मई को मकराना की एडीजे कोर्ट में सुमिता बनाम निल के मामले में सुरेंद्रसिंह ने प्रार्थी संख्या 2 की ओर से वकालतनामा पेश किया. इसमें उसने अपने दस्तावेजों में नाम में ऋषि रोलण बताया और हस्ताक्षर ऋषि रोलन के रूप में किए. संदेह होने पर बार अभिभाषक संघ ने कुचामन के अध्यक्ष बोदूराम सहित अन्य सदस्यों से पूछताछ की तो पाया गया कि सुरेंद्र सिंह कोई वकील नहीं है. आरोपी स्वयं को वकील बताकर लोगों को धोखा देता रहा है. आरोप की गंभीरता को देखते हुए बार संघ मकराना की ओर से एडीजे कोर्ट में फर्जी वकील के खिलाफ एक प्रार्थना पत्र सौंपा गया.
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अदालत परिसर से भागा: वकीलों ने अदालत परिसर में फर्जी वकील सुरेन्द्र सिंह को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन उसे ज्योंहि इसकी भनक लगी वह कोर्ट परिसर से दीवार फांदकर फरार हो गया. इस पर मकराना बार संघ के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता अमराराम पुत्र रामूराम जाट ने थाने में शिकायत दर्ज कराई. इसमें फर्जी वकील के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की गई. थानाधिकारी ने शिकायत के आधार पर प्रकरण दर्ज कर जांच सहायक उपनिरीक्षक अयूब खान को सौंपी. पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है.
बार संघ मकराना के अध्यक्ष बलजीतसिंह किरडोलिया, वरिष्ठ अधिवक्ता बार संघ के संरक्षक एडवोकेट गणपत लाल सोलंकी, देवी सिंह बीका, भंवराराम डूडी और अशोक सिंगोदिया आदि ने कहा कि ऐसे फर्जी लोग वकालत के पेशे को बदनाम करते हैं. उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. मकराना थाना अधिकारी सुरेश सोनी ने बताया कि मामले की जांच सहायक उप निरीक्षक अयूब खान द्वारा की जा रही है
ये है कानून: कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी अदालत में पेशेवर तौर पर वकील का काम तब ही कर सकता है, जब उसके पास संबंधित कानून की डिग्री और स्टेट बार एसोसिएशन की सनद हो. यह प्रावधान एडवोकेट एक्ट 1961 में किए गए हैं. एडवोकेट एक्ट में ही बगैर सनद के प्रैक्टिस करने पर दंड का प्रावधान है. एक्ट की धारा 45 के अनुसार कोई गैर वकील व्यक्ति यदि वकील का काम करता है, तब इस अपराध पर छह महीने तक की सज़ा है. अगर नकली सनद बनाकर व वकील की वेशभूषा पहनकर कोई व्यक्ति वकालत करता है तो तब उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.