देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रिस्पना नदी के शिखर फॉल से लेकर मोथरोवाला संगम तक के 22 किलोमीटर के हिस्से की भूमि को बाढ़ मैदान परिक्षेत्र घोषित कर दिया गया है. ऐसे में अब शिखर फॉल से लेकर मोथरोवाला संगम के बीच दोनों तटों से लगे 77 हेक्टेयर क्षेत्र में निर्माण कार्यों के लिए अनुमति लेनी होगी.
धामी मंत्रिमंडल ने बाढ़ मैदान परिक्षेत्र की अधिसूचना पर जताई सहमति: दरअसल, बीती 25 जुलाई 2023 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) नई दिल्ली ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को रिस्पना नदी को बाढ़ क्षेत्र घोषित करने का आदेश दिया था. जिसके चलते धामी मंत्रिमंडल ने बाढ़ मैदान परिक्षेत्र (Flood Plain Zoning) की अंतिम अधिसूचना जारी करने पर सहमति जता दी है.

धामी मंत्रिमंडल की सहमति मिलने के बाद अब सिंचाई विभाग की ओर से शिखर फॉल से लेकर मोथरोवाला संगम तक के क्षेत्र को बाढ़ मैदान परिक्षेत्र घोषित किए जाने संबंधित अधिसूचना जारी की जाएगी. उत्तराखंड में नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्रण की व्यवस्था के लिए अधिनियमित 'उत्तराखंड बाढ़ मैदान परिक्षेत्रण अधिनियम, 2012' के तहत अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी.
इस अधिसूचना के जारी होने के बाद इस पूरे क्षेत्र में होने वाले निर्माण कार्यों के लिए अनुमति लेना अनिवार्य हो जाएगा. साथ ही सिंचाई विभाग की ओर से नदी के निषेध और वर्जित क्षेत्र में 25 एवं 100 साल के आधार पर सुरक्षा संबंधित कार्य किए जाएंगे. रिस्पना नदी के दोनों तरफ काफी संख्या में अवैध बस्तियां बस चुकी हैं, जिसके चलते कई जगहों पर नदी अब नाले के रूप में परिवर्तित हो गई है. लिहाजा, रिस्पना नदी के स्वरूप को बचाए रखने और आसपास रह रहे लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर निर्णय लिया गया है.
क्या होता है बाढ़ मैदान परिक्षेत्र? किसी भी नदी में बाढ़ की स्थिति के दौरान पानी कहां तक फैल सकता है, उस क्षेत्र को बाढ़ मैदान परिक्षेत्र कहा जाता है. बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित करने के लिए पिछले 100 सालों और बीते 25 साल में अधिकतम बाढ़ के प्रभावों का आकलन किया जाता है, इसके बाद ये क्षेत्र घोषित किया जाता है.
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