कुरुक्षेत्रः हरियाणा में गेहूं की कटाई शुरू हो चुकी है. गेहूं की कटाई के बाद अब किसान दूसरी फसलों की बिजाई करेंगे. उनमें से ढैंचा एक फसल है, जिससे उत्पादन तो नहीं लिया जाता लेकिन इसकी खाद से बहुत फायदा होता है. धान की फसल या फिर कोई दूसरी फसल किसान जब इसके बाद लगता है तो उसमें खाद और पानी की कम मात्रा में जरूरत पड़ती है. इसके साथ फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है. इस बार हरियाणा में 6 लाख एकड़ में ढैंचा की बिजाई का लक्ष्य रखा गया है. इसकी खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने के लिए सरकार की ओर से अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराया जा रहा है.
कुरुक्षेत्र में 45000 एकड़ में ढैंचा बिजाई का लक्ष्यः
कुरुक्षेत्र कृषि एवं कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. कर्मचंद ने कहा कि "इस बार हरियाणा में ढैंचा की फसल का लक्ष्य पहले से बढ़कर 6 लाख एकड़ कर दिया गया है. वहीं कुरुक्षेत्र में 45 हजार एकड़ में 5400 क्विंटल ढैंचा का बीज किसानों को उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया है. जिले में किसानों को प्रति एकड़ 12 किलो बीज देने की सिफारिश की गई है."
बीज पर किसानों को 80 प्रतिशत अनुदानः
उप निदेशक डॉ. कर्मचंद ने कहा कि ढैंचा को हरी खाद के रूप में सदियों से प्रयोग किया जा रहा है. ढैंचा फसल की जड़ें मिट्टी के जीवाणुओं के साथ काम करती है और वातावरण से नाइट्रोजन को ट्रैप करके जमीन में जमा करती है. इसलिए कृषि विभाग द्वारा हरियाणा में 6 लाख एकड़ एरिया के लिए 72 हजार क्विंटल ढैंचा बीज को हरी खाद के रूप में प्रयोग के लिए प्रबंध किया गया है. हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केन्द्रों के माध्यम से 80 प्रतिशत अनुदान पर किसानों बीज देने का प्रबंध किया गया है.
एक किसान ले सकता है 10 एकड़ का बीजः
उपनिदेशक ने कहा कि बीज की मात्रा 12 किलो प्रति एकड़ सिफारिश की जाती है. एक किसान 10 एकड़ यानी 120 किलो तक ढैंचा का बीज प्राप्त करके अपने खेतों में हरी खाद के रूप में बिजाई कर सकता है. इसके लिए इच्छुक किसान https://agriharyana.gov.in/ पर पंजीकरण कर सकते हैं. यह बीज 10 अप्रैल से 30 मई 2025 तक हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केन्द्रों पर उपलब्ध रहेगा.
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति होती है मजबूतः
खेतों में हरी खाद डालने से यह खाद मिट्टी की संरचना में सुधार करती है. यह मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ती है. मिट्टी के कटाव को रोकती है. मिट्टी की अम्लीयता और क्षारीयता में सुधार करती है. मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की क्षमता और क्रियाशीलता को बढ़ाती है. मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता बढ़ती है. हरी खाद डालने से खेतों में कार्बनिक नाइट्रोजन के स्तर में सुधार होता है. उन्होंने कहा कि इसे खाद के रूप में प्रयोग करने से हरी खाद डालने से धान के पौधों द्वारा मिट्टी में नाइट्रोजन के उपयोग को बढ़ावा मिलता है. खेतों में खरपतवारों की वृद्धि कम हो जाती है और मिट्टी जनित रोगों से भी बचाव होता है.
योजना का फायदा लेने के लिए पंजीकरण करना जरूरीः
उप निदेशक ने कहा कि किसानों द्वारा बिजाई किए गए खेतों का कृषि विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों की टीम द्वारा भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा. उन्होंने किसानों से अनुरोध करते हुए कहा कि वे समय रहते पोर्टल पर पंजीकरण करवाने के उपरांत अपना आधार कार्ड/किसान कार्ड और पंजीकरण स्लिप दिखाकर हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केन्द्रों से बीज प्राप्त करके बिजाई कर सकते हैं और इस योजना का फायदा उठा सकते हैं.